Fake News On Social Media: चुनावी मौसम में फेक न्यूज़ पर फिर बढ़ी तनातनी

देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव शुरू होने वाला है। ऐसे में सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ भी तेजी से बढ़ गई है। सरकार सोशल मीडिया कंपनियों से खासा नाराज है क्योंकि यह कंपनियां समय से फेक न्यूज़ नहीं हटाती हैं।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2022-02-02 16:06 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर

Fake News: इस चुनावी मौसम में फेक न्यूज पर सरकार और गूगल (Google) , ट्विटर (Twitter) और फेसबुक (Facebook) जैसी टेक कंपनियों के बीच तनातनी बढ़ गयी है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information and Broadcasting) ने इन कंपनियों के साथ फेक न्यूज को लेकर वर्चुअल बैठक की जिसमें तनावपूर्ण और गर्मागर्म बहस होने की खबर है। बताया जाता है कि सरकार ने इन कंपनियों के काम करने के तरीके पर निराशा व्यक्त की है। सरकार का कहना है कि कम्पनियाँ फेक न्यूज (Fake News) को पूरी सक्रियता के साथ नहीं हटा रही हैं। कंपनियों की निष्क्रियता की वजह से सरकार को कंटेट हटाने का निर्देश देना पड़ता है जिसके कारण सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का आरोप झेलना पड़ता है।

बताया जाता है कि सूचना प्रसारण मंत्रालय के अफसरों की शिकायत है कि फेसबुक और ट्विटर जैसे बड़े सोशल मीडिया प्लटेफॉर्म्स (social media platforms) फेक न्यूज को खुद पकड़ कर नहीं हटा रहे हैं। अधिकारियों ने गूगल से भी फेक न्यूज को स्वतः हटाने के लिए अपनी गाइडलाइंस की समीक्षा करने को कहा है। दूसरी ओर कंपनियों के अधिकारियों का तर्क है कि वे अपने प्लेटफॉर्म से फेक न्यूज हटाने और इसका प्रसार रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाते हैं और कंटेट हटाने के कानूनन वैध अनुरोधों पर कार्रवाई करते हैं। गूगल के एक अधिकारी ने तो ये सुझाव दिया कि सरकार कंटेट हटाने के निर्देशों को सार्वजनिक नहीं करे ताकि सरकार आलोचना से बच सके।

भारत सरकार अक्सर गूगल, फेसबुक और ट्विटर को अपने प्लेटफॉर्म से कंटेट हटाने का निर्दश देती रहती है। कई बार उन्होंने कंटेट हटा दिया तो एक-दो बार उन्होंने सरकार के आदेश का पूर्णता में पालन करने से इनकार कर दिया। 

क्या है ट्विटर का कहना?

ट्विटर के अनुसार, भारत सरकार कंटेट हटाने के सबसे अधिक निर्देश देती है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने 2020 में कंटेट हटाने के 97,631 अनुरोध किए जिनमें से अधिकांश गूगल और फेसबुक से थे। छह महीनों की इस अवधि में इस तरह के निर्देश 1,96,878 खातों से कॉन्टेंट को हटाने के बारे में दिए गए।

ट्विटर ने बताया है कि 2012 में जब से कंपनी ने अपनी पारदर्शिता रिपोर्ट जारी करनी शुरू की तबसे लेकर अभी तक एक रिपोर्ट की अवधि में निशाना बनाए गए खातों की यह सबसे बड़ी संख्या है। यह अभी तक एक रिपोर्ट की अवधि में सरकार से मिले कॉन्टेंट हटाने के आदेशों की भी सबसे बड़ी संख्या है। इन निर्देशों में से 95 प्रतिशत निर्देश सिर्फ पांच देशों से आए। इनमें जापान पहले नंबर पर है और उसके बाद हैं रूस, तुर्की, भारत और दक्षिण कोरिया। चीन और उत्तर कोरिया जैसे कई देशों में तो ट्विटर ब्लॉक ही है। कंपनी ने बताया है कि इनमें से 54 प्रतिशत मामलों में उसे या तो चिन्हित कॉन्टेंट तक लोगों की पहुंच को रोक कर रखना पड़ा या खाताधारकों को कॉन्टेंट का कुछ या पूरा हिस्सा हटा देने के लिए कहना पड़ा।

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