Mohan Bhagwat: छोटी पहचानों के संकुचित अंहकार को भूलने का मोहन भागवत का आह्वान

Mohan Bhagwat: नागपुर में आज RSS सरसंघचालक मोहन भागवत ने विजयादशमी के मौके पर कहा कि अपने मत, पंथ, जाति, भाषा, प्रान्त आदि छोटी पहचानों के संकुचित अहंकार को हमें भूलना होगा।

Newstrack :  Network
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-10-15 09:49 IST

Mohan Bhagwat (Photo-@RSSorg  Twitter)

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने आज विजयादशमी (Vijayadashami) पर्व पर अपने संबोधन में आह्वान किया है कि अपने मत, पंथ, जाति, भाषा, प्रान्त आदि छोटी पहचानों के संकुचित अहंकार को हमें भूलना होगा। उन्होंने स्मरण कराया कि यह वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज के प्रकाश का 400वां वर्ष है। इस कार्यक्रम में कोब्बी शोशनी। इस्राइल के महावाणिज्य दूतावास, मुंबई भी #RSSVijaydashami कार्यक्रम में अतिथि के रूप में भाग ले रहे हैं। इसके अलावा राष्ट्र सेविका समिति प्रमुख संचालिका शांताक्का, प्रमुख कार्यवाहिका सीता अन्नदानम, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं।

सरसंघचालक नागपुर में विजयादशमी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा समाज की आत्मीयता व समता आधारित रचना चाहने वाले सभी को प्रयास करने पड़ेंगे। सामाजिक समरसता के वातावरण को निर्माण करने का कार्य संघ के स्वयंसेवक सामाजिक समरसता गतिविधियों के माध्यम से कर रहे हैं।

मोहन भागवत ने कहा स्वतंत्र भारत का चित्र कैसा हो इसकी, भारत की परंपरा के अनुसार समान सी कल्पनाएँ मन में लेकर, देश के सभी क्षेत्रों से सभी जातिवर्गों से निकले वीरों ने तपस्या त्याग और बलिदान के हिमालय खडे किये। यह वर्ष हमारी स्वाधीनता का 75वां वर्ष है। 15अगस्त 1947को हम स्वाधीन हुए। हमने अपने देश के सूत्र देश को आगे चलाने के लिए स्वयं के हाथों में लिए।स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर हमारी यात्रा का वह प्रारंभ बिंदु था।हमें यह स्वाधीनता रातों रात नहीं मिली।

संघ प्रमुख ने कहा डॉ. हेडगेवार पूर्णतया देश के सार्वजनिक जीवन में सक्रिय थे और कहीं न कहीं इन कार्यों के माध्यम से उनका देश के मूर्धन्य चिंतकों से संपर्क आया था। क्रांतिकारियों के साथ भी उन्होंने काम किया I वे उस समय स्वतंत्रता आन्दोलनों में भी सहभागी हुए।

उन्होंने डॉ. हेडगेवार को उद्धृत करते हुए कहा "केवल भूमि के किसी टुकड़े को तो राष्ट्र नहीं कहते। एक विचार,एक आचार,एक सभ्यता,एक परम्परा से जो लोग पुरातन काल से चले आये हैं, उन्हीं लोगों से राष्ट्र बनता है। इस देश को हमारे ही कारण हिन्दुस्थान नाम दिया गया है।

विभाजन का दर्द अब तक नहीं गया: मोहन भागवत

स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'जिस दिन हम स्वतंत्र हुए उस दिन स्वतंत्रता के आनंद के साथ हमने एक अत्यंत दुर्धर वेदना भी अपने मन में अनुभव की वो दर्द अभी तक गया नहीं है। अपने देश का विभाजन हुआ, अत्यंत दुखद इतिहास है वो, परन्तु उस इतिहास के सत्य का सामना करना चाहिए, उसे जानना चाहिए।'

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