कोरोना का कहर: दूसरी लहर क्यों मचा रही तबाही? सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा

लोगों के संक्रमित होने के पीछे की वजह सीरो सर्वे में पॉजिटिव पाए गए लोगों में खास एंटी बॉडीज मौजूद न होना हो सकती है।

Newstrack Network :  Network
Published By :  Shreya
Update:2021-04-26 09:21 IST

जलती चिताएं (फोटो-न्यूजट्रैक)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर की दस्तक होने के बाद से संक्रमण की रफ्तार बेकाबू हो चुकी है। तेजी से संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इस बीच CSIR के सर्वे में कोरोना के बढ़ते कहर की वजह को लेकर खुलासा किया गया है। काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के सर्वे में बताया गया है कि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या मे इतना इजाफा देखने को क्यों मिल रहा है?

सर्वे के मुताबिक, बीते साल सितंबर में कोरोना चरम पर होने के बावजूद लोगों के संक्रमित होने के पीछे की वजह सीरो सर्वे में पॉजिटिव पाए गए लोगों में कोई खास एंटी बॉडीज मौजूद न होना हो सकती है। मिली जानकारी के मुताबिक, CSIR ने सीरो सर्वे में दो केंद्रशासित प्रदेश समेत 17 राज्यों के 10,427 लोगों को शामिल किया था। इनमें कॉन्ट्रैक्ट पर रखे कर्मचारी और पारिवार के सदस्य भी शामिल थे। इन लोगों पर किए गए सीरो सर्वे में औसत पॉजिटिविटी रेट 10.14 फीसदी थी।

कोरोना जांच कराता युवक (फोटो- न्यूजट्रैक)

एंटीबॉडीज की संख्या में आई गिरावट 

सर्वे के लेखकों का कहना है कि बीते 5 से 6 महीनों में एंटीबॉडीज की संख्या में काफी गिरावट आई है, जिसके चलते लोग कोरोना का शिकार हो रहे हैं। सर्वे के मुताबिक, पांच से छह महीनों के बाद सीरो पॉजिटिव लोगों में जरूरी न्यूट्रलाइजेशन एक्टिविटी की कमी देखी गई। हालांकि CSIR के डाटा में पता चला था कि एंटी न्यूक्लियोकैप्सिड एंटीबॉडी वायरल और इंफेक्शन से लड़ने में काफी लंबे समय तक मदद करती है।

इसलिए ज्यादा खतनाक हुई दूसरी लहर

लेखकों का कहना है कि अगर सख्त प्रावधानों को लागू किया जाए तो शरीर में न्यूट्रलाइजेशन की बड़ी कमी हो सकती है। ऐसे में हमारा मानना है कि यही वजह है कि जो मार्च 2021 में कोरोना की दूसरी लहर को और ज्यादा खतरनाक बना रही है। सर्वे में यह भी कहा गया है कि देश के 17 राज्यों के लोगों पर किए गए स्टडी के अनुसार, सीरो सर्वे में औसत पॉजिटिविटी रेट 10.14 फीसदी होने का मतलब ये था कि भारत के कई जगहों पर सितंबर 2020 तक कोरोना से ठीक हुए लोग इम्यून हो चुके थे।

हालांकि भविष्य में संक्रमण की लहर से लड़ने के लिए ये इम्युनिटी पर्याप्त नहीं थी। खासकर उन इलाकों में जो संक्रमण से ज्यादा प्रभावित थे।

Tags:    

Similar News