Delhi Electricity Subsidy: केजरीवाल का बड़ा एलान, सभी को नहीं मिलेगी बिजली की सब्सिडी
Delhi News: दिल्ली में फ्री बिजली सब्सिडी अब वैकल्पिक कर दी गई है। यानी अब अगर आपको बिजली की सब्सिडी चाहिए तो उसके लिए मांग करनी होगी।
Delhi Electricity Subsidy: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में बिजली संकट (Power Crisis) छाया हुआ है। भीषण गर्मी के बीच जमकर बिजली की कटौती हो रही है। अब इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने एक बड़ा एलान किया है। सीएम केजरीवाल का कहना है कि अगर अब दिल्लीवासियों को बिजली की सब्सिडी (Electricity Subsidy) चाहिए तो उसके लिए मांग करनी होगी। उन्होंने कहा अब सभी को बिजली की सब्सिडी नहीं मिलेगी। केवल उन्हीं लोगों को बिजली की सब्सिडी दी जाएगी, जो उसकी मांग करेंगे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को घोषणा की कि दिल्ली में बिजली सब्सिडी केवल 1 अक्टूबर से मांगने वालों को ही दी जाएगी। उन्होंने कहा, "लोगों को एक विकल्प दिया जाएगा कि वे इसे चाहते हैं या नहीं।" दिल्ली सीएम के अनुसार ये एक वैकल्पिक व्यवस्था होगी, जिसके मुताबिक अगर कोई सक्षम व्यक्ति बिजली पर मिलने वाले अनुदान को छोड़ना चाहता है तो वो आगामी एक अक्टूबर से पूरा बिल जमा कर सकता है।
पीएम मोदी के गिव इट अप अभियान से है प्रेरित
बिजली सब्सिडी को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गिव इट अप अभियान से प्रेरित बताया जा रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2015 में अंतराष्ट्रीय ऊर्जा समिट के दौरान सब्सिडी छोड़ो अभियान की शुरूआत की थी। उस दौरान प्रधानमंत्री के इस अपील का असर भी देखा गया, कई लोगों ने स्वतः ही इसका उपभोग करना छोड़ दिया। पीएम मोदी ने इस दौरान कहा था कि जो लोग आर्थिक रूप से संबल हैं उन्हें सब्सिडी नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने उन लोगों की भी जमकर तारीफ की, जिन्होंने सब्सिडी लेने से इनकार कर दिया।
मोदी सरकार ने इस अभियान को धार देने के लिए एक अलग वेबसाइट givitup.in का निर्माण किया। इसके जरिए लोगों को इस अभियान से जोड़ने की कवायद की गई। 9 अप्रैल 2015 तक 3,23,822 लोगों ने इस अभियान से जुड़कर गैस सिलेंडरों पर मिलने वाले अनुदान न लेने को फैसला लेते हुए आवेदन डाला। केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, गिव इट अप कार्यक्रम के चलते केंद्र को 21 हजार करोड़ रूपये की बचत हुई।
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