अमेरिका से भारत को 65 अरब रुपये की मदद, लेकिन चुनावी प्रक्रिया में नहीं हुई फंडिंग, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में हुए कई खुलासे

USAID funding controversy: USAID द्वारा भारत में दी गई फंडिंग को लेकर उठे विवाद के बीच वित्त मंत्रालय ने एक अहम रिपोर्ट जारी की है।;

Written By :  Sonali kesarwani
Update:2025-02-24 09:12 IST

USAID funding controversy

USAID funding controversy: USAID द्वारा भारत में दी गई फंडिंग को लेकर उठे विवाद के बीच वित्त मंत्रालय ने एक अहम रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में USAID ने भारत में 7 प्रोजेक्ट्स के लिए 750 मिलियन डॉलर (करीब 65 अरब रुपये) की आर्थिक सहायता दी, लेकिन इसमें वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने से जुड़ी कोई फंडिंग शामिल नहीं थी।

रिपोर्ट के अनुसार, यह फंडिंग मुख्य रूप से कृषि, खाद्य सुरक्षा, जल व स्वच्छता, नवीकरणीय ऊर्जा, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य संबंधी परियोजनाओं के लिए की गई। इसके अलावा, वन एवं जलवायु संरक्षण और ऊर्जा दक्षता तकनीक से जुड़े कुछ प्रोजेक्ट्स को भी सहायता देने का वादा किया गया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अमेरिका से भारत को आर्थिक मदद मिलनी 1951 में शुरू हुई थी और अब तक USAID के तहत 555 परियोजनाओं के लिए 1700 करोड़ रुपये की सहायता दी जा चुकी है।

DOGE की रिपोर्ट से बढ़ा विवाद

USAID फंडिंग को लेकर विवाद तब और गहरा गया जब अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) ने दावा किया कि भारत में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर की सहायता दी गई थी। इस खुलासे के बाद राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अमेरिका भारत को चुनावी प्रक्रिया में सहयोग के लिए इतनी बड़ी धनराशि क्यों दे रहा है, जबकि खुद अमेरिका में भी चुनाव सुधार की जरूरत है।

ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत को वित्तीय सहायता की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत है। उनकी इस टिप्पणी के बाद अमेरिकी राजनीतिक गलियारों में भी इस फंडिंग को लेकर बहस छिड़ गई।

भारत की प्रतिक्रिया

USAID फंडिंग विवाद पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुद्दे की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर इस फंडिंग का सच सामने आता है, तो देश को यह जानने का अधिकार है कि इसमें कौन लोग शामिल हैं और इसका मकसद क्या था।

गौरतलब है कि यह मामला भारत-अमेरिका संबंधों के दृष्टिकोण से भी अहम है, क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और कूटनीतिक रणनीतियों पर प्रभाव पड़ सकता है। अब देखना होगा कि इस विवाद पर अमेरिकी प्रशासन और भारतीय सरकार आगे क्या कदम उठाते हैं।

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