PM मोदी अगले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को करेंगे संबोधित, इन मुद्दों पर रखेंगे अपनी बात

PM मोदी अगले हफ्ते 14 जून को संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) की हाईलेवल बैठक को संबोधित करने वाले हैं।

Newstrack :  Network
Published By :  Shreya
Update:2021-06-11 22:17 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया)

PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अगले हफ्ते 14 जून को संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) की हाईलेवल बैठक को संबोधित करने वाले हैं। जो कि वर्चुअल तरीके से होगी। इस बैठक में भारत मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन की मेजबानी करेगा। जिसका उद्देश्य सूखे की समस्या यानी मरुस्थलीकरण से निपटना और और भूमि के उपजाऊपन और उसकी शक्ति को बढ़ाने के लिए नई योजनाओं पर सहमति बनाना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक को वर्चुअली संबोधित करेंगे। महासभा अध्यक्ष के कार्यालय द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया है कि मरुस्थलीकरण (Desertification) निपटने के लिए बुलाई गई UN की उच्चस्तरीय बैठक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार यानी 14 जून को संबोधित करेंगे।

ये लोग होंगे शामिल

मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के तहत पक्षों की सभा के 14वें सत्र के अध्यक्ष पीएम मोदी के अलावा इस कॉप-14 सम्मेलन में सदस्य देशों के सरकारी प्रतिनिधि, गैर-सरकारी संगठन, मंत्री, वैज्ञानिक और सामुदायिक समुह भाग लेंगे। इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मुहम्मद भी इस सम्मेलन में शामिल होंगी।

क्यों मनाया जाता है विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस?

आपको बता दें कि हर साल 17 जून को 'विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस' मनाया जाता है। 25 साल पहले उद्देश्य मरुस्थलीकरण की समस्या से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के मकसद से इसे मनाना शुरू किया गया था। 2019 में इस विश्व दिवस पर 'लेट्स ग्रो द फ़्यूचर टुगेदर' का नारा दिया गया है और इसमें तीन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया सूखा, मानव सुरक्षा और जलवायु।

क्या होता है मरुस्थलीकरण?

मरुस्थलीकरण ज़मीन का क्षरण है, जो शुष्क और अर्द्ध-नम क्षेत्रों में विभिन्न कारकों की वजह से होता है: जिनमें विविध जलवायु और मानवीय गतिविधियां भी शामिल है। मरुस्थलीकरण मुख्यतः मानव निर्मित गतिविधियों के परिणाम स्वरूप होता है। ऐसा विशेषतौर पर अधिक चराई, भूमिगत जल के अधिक उपयोग और मानवीय व औद्योगिक कार्यों के लिए लिए नदियों के जल का रास्ता बदलने की वजह से है।

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