सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी का वित्त मंत्री को खत, पेंशन रिवीजन और मेडिकल बीमा का उठाया मुद्दा
बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व चीफ मैनेजर रमिंदर सिंह ने एकबार फिर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्टी लिख इन समस्याओं की तरफ ध्यान आकृष्ट कराने की कोशिश की है।
पब्लिक सेक्टर बैंकों के सेवानिवृत्त कर्मचारी लंबे समय से पेंशन रिवीजन और मेडिकल बीमा सुविधाओँ की मांग केंद्र सरकार (Central Government) से कर रहे हैं। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के उदासीन रवैये के कारण इन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को काफी विषम परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक इससे करीब छः लाख पचास हजार से अधिक सेवानिवृत्त कर्मचारी प्रभावित हैं। लंबे समय से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे बैंक ऑफ इंडिया (bank of india) के पूर्व चीफ मैनेजर रमिंदर सिंह (Former Chief Manager Raminder Singh) ने एकबार फिर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) को चिट्टी लिख इन समस्याओं की तरफ ध्यान आकृष्ट कराने की कोशिश की है।
वित्त मंत्री को याद दिलाया उनका दावा
बैंक ऑफ इंडिया (bank of india) के सेवानिवृत्त कर्मचारी रमिंदर सिंह (Former Chief Manager Raminder Singh) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) को लिखे खत में उनके उस कथन का प्रमुखता से जिक्र किया है जिसमें वो सदन में गर्व के साथ कहती हैं कि उनकी सरकार में लटकाया और भटकाया नहीं जाता है। उन जैसे लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारियों को वित्त मंत्री के इस वक्तव्य से उम्मीद बंधी थी, लेकिन अंत में उन्हें निराशा ही हाथ लगा। उनका प्रश्न है कि जब एकबार वित्त मंत्री पेंशन रिवीजन के लिए अपनी स्वीकृति दे चुकी हैं तो फिर बैंक प्रबंधन पेंशन रिवीजन के प्रति उदासीन क्यों है।
रमिंदर सिंह खत में आगे कहते हैं पब्लिक सेक्टर बैंकों में पेंशन योजना सन 1995 से लागू है, इस योजना के आधार में Central & State Services Rules pensionary benefits के प्रावधान लागू होते हैं और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कर्मचारियों को पेंशन रिवीजन मंज़ूर किया जा चुका है, तो पब्लिक सेक्टर बैंक कर्मचारियों को पेंशन रिवीजन से वंचित क्यों रखा जा रहा है? उन्होंने भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने इस विषय पर एक मंत्री समूह बनाया जिसने कलकत्ता और भुवनेश्वर जाकर मामले को गंभीरता से देखा और अपनी सकारात्मक रिपोर्ट और संस्तुति भी दी। मगर इसके बाद भी सरकार की तरफ से अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की गई है।
मेडिकल बीमा का मुद्दा
पेंशन रिवीजन के बाद सेवानिवृत्त बैंककर्मियों का सबसे बड़ा मुद्दा मेडिकल बीमा का है। सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी रमिंदर सिंह अपने खत में कहते हैं कि रिजर्व बैंक अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए मेडिकल बीमा का वहन करता है । जबकि पब्लिक सेक्टर बैंकों में गला काट मेडिकल बीमा योजना लागू है। इन बैंकों ने सरकारी आदेश को भी ताक पर रख दिया है।
वे बताते हैं कि वित्त मंत्रालय ने 2012 में ही Department of Financial Services के माध्यम से सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए मेडिकल बीमा का भुगतान स्टाफ कल्याण निधि से करने के लिए आदेश जारी कर दिए थे। लेकिन भारतीय बैंक संघ वित्त मंत्रालय के इस फैसले पर चुप्पी साधे बैठा है उसने सद्स्य देशों से इस बारे में कुछ नहीं कहा। जिसके कारण आज लाखों की संख्या में सेवानिवृत्त कर्मचारी मेडिकल बीमा की सुविधाओँ से वंचित हैं। कोरोना के इस दौर में मेडिकल बीमा की अहमियत और बढ़ जाती है।
साल 2014 में सरकारी सेवा से रिटायर हुए रमिंदर (Former Chief Manager Raminder Singh) एकबार फिर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) को संसद में 30.10.2020 और 10.11.2020 को दिए गए उनके उस चर्चित बयान को याद दिलाते हुए कहते हैं कि जुलाई 2022 में राज्यसभा में उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है, ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि वो इससे पहले उनके जैसे लाखों सेवानिवृत्त पब्लिक सेक्टर बैंकों के कर्मचारिय़ों का वर्षों से अटके पड़े पेंशन रिवीजन का मुद्दा हल कर देंगी।
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