Mohan Bhagwat Reject Hate Speech: धर्म संसद के बयानों को संघ प्रमुख ने किया खारिज, कहा - ये हिन्दुत्व का प्रतिनिधित्व नहीं
Mohan Bhagwat Reject Hate Speech: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat Statement) का बयान आया है। संघ प्रमुख (Sangh samuh) ने समुदाय विशेष के खिलाफ दिए गए हेट स्पीच (Hate speech) को खारिज किया।
Mohan Bhagwat Reject Hate Speech: देश के कई हिस्सों में आयोजित धर्म संसदों में कथित तौर पर एक वर्ग विशेष को लेकर दिए गए नफरती बयानों पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat Statement) का बयान आया है। संघ प्रमुख (Sangh samuh) ने समुदाय विशेष के खिलाए दिए गए हेट स्पीच (Hate speech) को खारिज करते हुए कहा कि ये हिंदू और हिंदुत्व (Hindu and Hindutva) के की परिभाषा के मुताबिक नहीं थीं। उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई बात क्रोध में आकर कही जाए तो वो हिंदुत्व नहीं है।
हेट स्पीच से जताई असहमति
एक कार्यक्रम में बोलते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस तरह के बयानों से वो सहमत नहीं हैं। संघ और हिंदुत्व में विश्वास रखने वाले लोग ऐसे बयानों में विश्वास नहीं करते हैं। बता दें कि बीते साल छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुए धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ प्रसिध्द संत कालीचरण महाराज ने अर्मायादित टिप्पणी की थी। जिसने काफी तुल भी पकड़ा था, बाद में उन्हें मध्य प्रदेश के खजुराहो से गिरफ्तार किया गया था। वहीं बीते साल दिसंबर में हरिद्वार में हुए धर्म संसद के दौरान एक समुदाय विशेष के खिलाफ जमकर जहर उगला गया था।
संघ का विश्वास बांटने की बजाय जोड़ने में
भगवा परिवार के पितृ संगठन कहे जाने वाले आरएसएस के सरसंघचालक ने स्पष्ट करते हुए कहा कि संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं बल्कि उनके मतभेदों को दूर करने में है। इससे जन्म लेने वाली एकता अधिक मतबूत होगी। इसे हम हिंदुत्व के जरिए करना चाहते हैं।
वीर सावरकार का दिया हवाला
संघ प्रमुख ने वीर सावरकर का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंन हिंदू समुदाय की एकता और उसे संगठित करने की बात कही थी। सावरकर ने ये बात गीता का संदर्भ लेते हुए कही थी, किसी को खत्म करने या नुकसान पहुंचाने के परिप्रेक्ष्य में नहीं।
संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली
संघ प्रमुख ने हिंदू राष्ट के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है। भले इसे कोई स्वीकार या न करें। भारतीय संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली है। यह वैसी ही है जैसे कि देश की अखंडता का। राष्ट्रीय अखंडता के लिए सामाजिक समानता का होना जरूरी नहीं है। भिन्नता का मतलब अलगाव नहीं होता है।
बता दें कि हेट स्पीच को लेकर संघ परिवार अक्सर विपक्ष के निशाने पर रहा है। विपक्षी उनपर ऐसे लोगों को प्रश्रय मुहैया कराने का आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में संघ प्रमुख मोहन भागवत का ये बयान काफी मायने रखता है।