Harsh Bhardwaj: आखिरी सफर तक साथ रहा 'हमसफर एक्सप्रेस' का वो यात्री, कौन हैं मासूम के लिए मदद की गुहार लगाने वाले 'हर्ष भारद्वाज'

Harsh Bhardwaj: हर्ष के मुताबिक, इस घटना के दौरान मृतक बच्ची के पिता ने रेलवे के हेल्पलाइन नंबर 139 पर सम्पर्क करके मदद मांगनी चाही लेकिन रेलवे के फोन लाइन पर बने कर्मचारियों की ओर से कोई मदद नहीं मिली।;

Update:2025-01-07 15:48 IST

कौन हैं मासूम के लिए मदद की गुहार लगाने वाले 'हर्ष भारद्वाज' (social media)

Harsh Bhardwaj: बीते सोमवार को बरौनी-नई दिल्ली हमसफर एक्सप्रेस 02563 में एक 3 साल की बच्ची की मौत से जुड़ा संवेदनशील मामला सामने आया था। इस मामले में घटना के दौरान उसी कोच में बैठे हर्ष भारद्वाज नाम के यात्री ने रेलवे से सोशल मीडिया X की मदद से मासूम बच्ची को प्रथमिक उपचार दिलाने के लिए लगातार कोशिश की। दुर्भाग्य से उस मासूम की जान तो नहीं बच सकी लेकिन एक यात्री के तौर पर हर्ष ने जितनी गंभीरता से इस मामले को रेलवे तक पहुंचाया, वो आज ट्रेन या बस से सफर करने वाले यात्रियों के लिए एक मिसाल बन गया है।

बिहार से दिल्ली के लिए सफर कर रहे थे इंजीनियरिंग छात्र हर्ष भारद्वाज

बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हर्ष भारद्वाज ग्रेटर नोएडा स्थित IILM विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं और सेकंड ईयर के छात्र हैं। घर से छुट्टियां बिताकर वे बीते 5 जनवरी को मुजफ्फरपुर से दिल्ली के लिए बरौनी-नई दिल्ली हमसफर एक्सप्रेस (02563) से सफर कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उनकी ट्रेन 5 जनवरी की सुबह की थी लेकिन ट्रेन करीब साढ़े 11 घंटे देरी से चलने की वजह से मुजफ्फरपुर से रात करीब साढ़े 8 बजे रवाना हुई।

गोरखपुर से ट्रेन पर चढ़ा बीमार बच्ची का परिवार, सुबह मातम में बदली रात की खुशियां

हर्ष बताते हैं कि ट्रेन में जिस बच्ची की मृत्यु हुई, उसका परिवार बच्ची को लेकर गोरखपुर से ट्रेन में चढ़ा था और उनकी सीट भी मेरे ही कोच में थी। हर्ष के मुताबिक, रात में सब नार्मल था। उस 3 साल की बच्ची को परिवार हसी खुशी उसके इलाज के लिए ले जा रहा था लेकिन सुबह करीब 8 बजे बच्ची की तबियत खराब होना शुरू हो गई। मासूम बच्ची के माता पिता की रोने की आवाज सुनकर आसपास बैठे यात्री उस सीट पर जमा होने लगे। उस दौरान बच्ची का परिवार यही कहकर चीख रहा था कि 'यदि ट्रेन समय से चलती तो शायद हम बच्ची को बचा लेते'।

हेल्पलाइन पर नहीं मिली मदद तो सोशल मीडिया का लिया सहारा

हर्ष के मुताबिक, इस घटना के दौरान मृतक बच्ची के पिता ने रेलवे के हेल्पलाइन नंबर 139 पर सम्पर्क करके मदद मांगनी चाही लेकिन रेलवे के फोन लाइन पर बने कर्मचारियों की ओर से कोई मदद नहीं मिली। जिसके बाद हर्ष ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X का सहारा लेते हुए ट्वीट करके इस पूरे मामले की जानकारी रेलवे तक पहुंचाई और मदद की गुहार लगाई।

जब मदद मांगी तब तक जीवित थी मासूम, मौके पर मिलता इलाज तो बच जाती जान

यात्री हर्ष का कहना है कि बच्ची का स्वास्थ्य खराब होते ही इसकी सूचना सोशल मीडिया के जरिए रेलवे को दी गई थी, बच्ची की पूरी तरह से डेथ नहीं हुई थी। रेलवे प्रशासन चाहता तो उसकी वक्त मेडिकल इमरजेंसी के तहत बच्ची को प्रथमिक उपचार दिला सकता था लेकिन लापरवाही और देरी की वजह से उसे इलाज नहीं मिला , जिस वजह से उसकी मृत्यु हो गई। वहीं, इस मामले पर NER DRM के PRO ने बताया कि हमें ट्वीट पर बच्ची के डेथ की जानकारी देते हुए एम्बुलेंस की मदद मांगी गई थी, जो कि अगले स्टेशन ऐशबाग पर उपलब्ध कराई गई।

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