Coronavirus: संदेह के घेरे में RT-PCR टेस्ट, जानें क्यों गलत आ रही रिपोर्ट

कई बार देखा गया है कि कोरोना के लक्षण होने पर भी मरीजों की RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2021-05-17 15:16 IST

कोरोना की जांच कराता युवक (फोटो- न्यूजट्रैक)

लखनऊ: कोरोना संक्रमण (Corona Virus) का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट (RT-PCR Test) को गोल्ड स्टैण्डर्ड माना जाता है लेकिन महामारी की दूसरी लहर में बहुत लोगों में कोरोना के कई गंभीर लक्षण होने के बावजूद उनकी आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई। अस्पताल भी सिर्फ इस बात पर मरीज को भर्ती नहीं कर रहे थे कि उनकी टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव है।

ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए जरूरी आरटीपीसीआर टेस्ट में नेगेटिव रिपोर्ट गलत (False Negative Report) तरीके से आ रही है? वैसे, ये भी कहा जा रहा है कि ये नए वेरिएंट को (New Variants) पकड़ ही नहीं पाता है।

जहां तक नए वेरिएंट की बात है तो सरकार ने कहा है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट ब्रिटेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और डबल-म्युटेंट वेरिएंट्स को पकड़ने से नहीं चूकता क्योंकि भारत में हो रहे टेस्ट दो से अधिक जीन को निशाना बनाते हैं।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि समस्याएं इस बात को लेकर हो सकती हैं कि स्वैब कैसे लिया गया है। क्या स्वैब स्टिक सैंपल लेते वक्त पर्याप्त गहराई में गई थी, या फिर टेस्ट कराने में देरी हो गई हो और वायरस ऊपरी रेस्पिरेटरी रीजन से निकलकर फेफड़ों के अंदर पहुंच गया हो। इसके अलावा सैम्पल लेते वक्त और टेस्टिंग के समय स्वैब कतई दूषित नहीं होना चाहिए।

अगर ऐसा कुछ भी होता है तो आरटीपीसीआर टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आ सकता है। इसी वजह से डॉक्टरों को केवल लैब रिपोर्ट से नहीं, बल्कि लक्षणों को देखकर भी बीमारियों को पहचानने का प्रशिक्षण दिया जाता है।

एक्स-रे (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सीटी स्कैन और एक्स-रे

किसी व्यक्ति में लक्षण हैं लेकिन टेस्ट में रिपोर्ट नेगेटिव है तो फेफड़े के सीटी स्कैन या एक्सरे का इस्तेमाल किया जा सकता है। जब एक व्यक्ति बुखार और सांस लेने में परेशानी के साथ आता है, तो ऐसे में क्लीनिकल फैसला बहुत अहम है जिससे किसी बीमारी का निर्णय लिया जा सके। बीमारी होने के बावजूद नेगेटिव रिपोर्ट आने पर उसे 'फाल्स नेगेटिव' रिपोर्ट (False Negative Report)कहते हैं।

ऐसा तब होता है जब टेस्ट में इस्तेमाल की गई तकनीक सटीक नहीं है, टेस्ट करने वाले लैब कर्मी ठीक से प्रशिक्षित नहीं हैं या हों या टेस्ट उपकरण अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं या लैब तक सैंपल पहुंचाने में प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया हो। या फिर सैंपल संक्रमण होने के सही समय पर नहीं लिया गया हो। डब्ल्यूएचओ (WHO) का कहना है कि कम वायरल लोड से फाल्स नेगेटिव रिजल्ट की आशंका बढ़ सकती है।

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