वैक्सीन पासपोर्ट के खिलाफ भारत, क्यों बताया G7 समिट के लिए भेदभावपूर्ण

Vaccine Passport: भारत वैक्सीन पासपोर्ट का खुलकर विरोध (Vaccine Passport Ka Virodh) कर रहा है। G7 समिट से पहले भारत की ओर से वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-06-06 10:32 IST

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Vaccine Passport : पूरी दुनिया में कोरोना महामारी (Coronavirus Crisis) के कारण वैक्सीन पासपोर्ट की मांग (Vaccine Passport) लगातार तेज होती जा रही है। दुनिया के कई देश वैक्सीन पासपोर्ट की वकालत कर रहे हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (British PM Boris Johnson) ने भी वैक्सीन पासपोर्ट की आवश्यकता पर जोर दिया है।

दूसरी ओर भारत वैक्सीन पासपोर्ट का खुलकर विरोध (Vaccine Passport Ka Virodh) कर रहा है। G7 समिट (G7 Meet) से पहले भारत की ओर से वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। G7 के मिनिस्टर लेवल के सेशन के दौरान देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन (
Union Health Minister Dr. Harsh Vardhan
) ने वैक्सीन पासपोर्ट पर भारत की ओर से कड़ी आपत्ति जताई।

ब्रिटेन के पीएम ने की थी वकालत

दरअसल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने हाल में कहा था कि G7 समिट के दौरान वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर बड़े देशों में सहमति बनाने की कोशिश की जा सकती है। उनका कहना था कि वैक्सीन पासपोर्ट (Vaccine Passport Kya Hai) के जरिए अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं को आसान बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि इस नियम को लागू करने में कई दिक्कतें भी हैं जिनका अभी तक समाधान नहीं किया जा सका है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा-उचित कदम नहीं

G7 के मंत्री स्तरीय सेशन के दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने साफ तौर पर कहा कि अभी वैक्सीन पासपोर्ट को अनिवार्य करना उचित कदम नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कुछ देशों की ओर से की जा रही वैक्सीन पासपोर्ट की पहल दूसरे देशों के लिए भेदभावपूर्ण साबित होगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि विकसित देशों ने तो अपने देश में काफी बड़ी आबादी का वैक्सीनेशन कर लिया है मगर अभी तक विकासशील देशों में वैक्सीनेशन का प्रतिशत काफी कम है। ऐसी स्थिति में उन देशों के लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है जिनके यहां वैक्सीनेशन की रफ्तार अभी काफी धीमी है।

इसलिए शुरू हुई वकालत

वैक्सीन पासपोर्ट की वकालत इसलिए शुरू हुई है क्योंकि कोरोना महामारी के कारण कई देशों ने अपने देशों में दूसरे देशों से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके पीछे संक्रमण फैलने की दलील दी जा रही है। जिन देशों में एंट्री खुली भी हुई है वहां भी बाहर से आने वाले लोगों को कई-कई दिनों तक क्वारंटाइन रहना पड़ता है।

माना जा रहा है कि अगर वैक्सीन पासपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू कर दिया जाए तो ऐसे में दूसरे देश जाने वाले लोगों को क्वारंटाइन में छूट दी जा सकती है। यही कारण है कि वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर काफी तेजी से वकालत की जा रही है।

भारत को भी उठाना पड़ेगा नुकसान

यदि भारत को देखा जाए तो भारत में भी अभी तक सिर्फ 3.3 फ़ीसदी आबादी को ही वैक्सीन लगाई जा सकी है। देश में अब तक करीब 18 करोड़ 17 लाख लोगों को वैक्सीन का पहला डोर दिया जा चुका है।
इनमें सिर्फ करीब साढ़े चार करोड़ लोग ही ऐसे हैं जो वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं। माना जा रहा है कि यदि दुनिया के दूसरे देशों ने वैक्सीन पासपोर्ट के नियम को अनिवार्य बना दिया तो इससे देश की काफी बड़ी आबादी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

वर्चुअल ढंग से शामिल होंगे पीएम मोदी

G7 समिट का आयोजन 11 से 13 जून तक यूनाइटेड किंगडम में होने वाला है। इस बार G7 समिट में भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को भी आमंत्रित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल ढंग से G7 समिट में हिस्सा लेंगे।

पहले G7 समिट का आयोजन अमेरिका में तय किया गया था मगर कोरोना महामारी के कारण अब यह सम्मेलन यूनाइटेड किंगडम में आयोजित किया जा रहा है। G7 के सदस्यों में अमेरिका के अलावा जापान, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, कनाडा और यूरोपीय यूनियन शामिल हैं।
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