न्यूक्लियर फुटबॉल क्या है?

अमेरिका के राट्रपति के पास हमेशा एक ब्रीफ केस होता है, जिसे न्यूक्लियर फुटबाल कहा जाता है...

Written By :  AKshita Pidiha
Published By :  Ragini Sinha
Update:2021-07-30 15:51 IST

न्यूक्लियर फुटबॉल क्या है? (Social media)

अमेरिका के राट्रपति के पास हमेशा एक ब्रीफ केस होता है।जिसे न्यूक्लियर फुटबाल कहा जाता है। यह ब्रीफ केस राष्ट्रपति की शपथ ग्रहण समारोह के बाद एक राष्ट्रपति से दूसरे राष्ट्रपति के हाथों में सौंपा जाता है। इस बार अमेरिका के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को शामिल नहीं किया गया था। डोनाल्ड ट्रम्प जहाँ भी थे वहाँ ही इस ब्रीफ केस को निष्क्रिय कर दिया गया था तथा एक नया ब्रीफ केस अमेरिका के पुलिस प्रमुख के हाथों द्वारा राष्ट्रपति जो बाइडन को दिया गया था। पर इसे ये ही क्यों बोला जाता है, इसकी जरूरत क्या है, इसके फायदे क्या हैं, इसके बारे में विस्तार से समझते हैं-

क्या होता है 'न्यूक्लियर फुटबॉल'?

'न्यूक्लियर फुटबॉल' काले रंग का एक चमड़े का ब्रीफकेस होता है. जो दिखने में बेहद साधारण सा प्रतीत होता है। लेकिन इसमें लगे उपकरण वो काम करते हैं, जिनसे दुनिया में तबाही की जा सकती है। इन उपकरणों की मदद से अमेरिका के राष्ट्रपति जब चाहें अपने वरिष्ठ सलाहकारों और अन्य लोगों से कभी भी बात कर सकते हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति के साथ उनके 5 सैन्‍य सहायक हमेशा साथ चलते हैं और इन्‍हीं में से किसी एक व्‍यक्ति के पास न्‍यूक्लियर फुटबॉल रहता है। यह सैन्‍य सहायक हमेशा हथियारों से लैस होता है, ताकि कोई उससे यह बैग न छीन सके। 

सबसे अहम चीज है बिस्किट

इस बैग में मौजूद एक लैमिनेटेड कार्ड (बिस्किट) होता है। इस बिस्किट पर कुछ नंबर लिखे होते हैं, जो न्यूक्लियर सीक्रेट कोड हैं। उन्हीं सीक्रेट कोड के बताने पर अमेरिका की फौज राष्ट्रपति के आदेश पर न्यूक्लियर बम के ठिकानों से बताए गए दुश्मन पर हमला कर देती है।

जॉन एफ कैनेडी के आदेश में बना पहला सिस्टम

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1962 में उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने आदेश दिए थे कि एक ऐसा सिस्टम तैयार हो, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति के पास हमेशा न्यूक्लियर जंग के इंतजाम मौजद रहें। तब से अमेरिका के हर राष्ट्रपति के साथ ये न्यूक्लियर फुटबॉल मौजूद रहता है। 10 मई 1963 को पहली बार इस ब्रीफकेस की तस्‍वीर सामने आई थी। माना जाता है कि 1962 के क्‍यूबा मिसाइल संकट के बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति के साथ हमेशा अब न्‍यूक्लियर फुटबॉल साथ चलता है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के उपराष्‍ट्रपति के पास भी इस ब्रीफकेस का एक क्‍लोन होता है जिसका आपात स्थिति में इस्‍तेमाल किया जाता है।

कैसे मिलती है सारी जानकारी?

ब्रीफकेस के अंदर कार्टून बुक की तरह दिखने वाला एक पन्ना होता है, जिसमें ग्राफिक्स होते हैं। इन ग्राफिक्स के जरिए ये पता लगाया जा सकता है कि कहीं युद्ध को लेकर क्या योजना है। मिसाइल लॉन्च करने के लिए कौन से हथियार मौजूद हैं और कहां टार्गेट कर सकते हैं। इसमें ये भी जानकारी दी जाती है कि अगर कहीं हमला किया जाता है तो उसमें कितने लोग मारे जा सकते हैं। राष्ट्रपति की बड़ी जिम्मेदारी ये होती है कि उन्हें ये सभी बातें पलभर में समझनी होती हैं। यानी इन्हें समझने में जरा सी भी देरी नुकसानदायक हो सकती है।

राष्ट्रपति को भी बतानी होती है खास पहचान?

अगर राष्ट्रपति पेंटागन को मिसाइल को लॉन्च करने का आदेश देते हैं, तो भी उनकी बात को तब तक नहीं माना जाता है, जब तक वह अपनी खास पहचान ना बता दें। उनकी यही पहचान एक ऐसे कार्ड में होती है, जिसे बिस्किट कहा जाता है। इस कार्ड को राष्ट्रपति हमेशा ही अपने पास रखते हैं, ताकि यह गलत हाथों में ना पहुंचे।

क्या काम होता है मिनटमैन का?

मिनटमैन को अपने सहकर्मियों के साथ एक कंप्यूटर की निगरानी करनी होती है. जिसपर कभी भी राष्ट्रपति मिसाइल लॉन्च करने का आदेश दे सकते हैं. अमेरिका में केवल राष्ट्रपति ही परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं. यही कारण है कि राष्ट्रपति के पास हर वक्त ये ब्रीफकेस रहता है और इसका कहीं गलत इस्तेमाल ना हो इसके लिए राष्ट्रपति के साथ हमेशा कुछ खास लोग भी होते हैं। इन जगहों पर मौजूद रहते हैं यह बैग अमेरिकी मीडिया के मुताबिक अमेरिका में ऐसे तीन बैग हैं। पहला अमेरिका के सदन के पास होता है, दूसरा व्हाइट हाउस में रहता है, जबकि तीसरा बैग वाइस प्रेज़िडेंट साथ रहता है।

इससे जुड़ा विवाद

अमेरिकी राष्‍ट्रपति का फुटबाल विवादों से अछूता नहीं है। वर्ष 2017 में चीन यात्रा के दौरान ट्रंप के इस ब्रीफकेस को लेकर चीन और अमेरिका के सीक्रेट सर्विस के बीच विवाद हो गया था। दरअसल, ट्रंप का सैन्‍य सहयोगी न्‍यूक्लियर फुटबॉल को लेकर बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ पीपल में जाने लगा। इसी दौरान चीनी सुरक्षा एजेंटों ने उन्‍हें रोकने का प्रयास किया। चीनी एजेंटों को रोकते देख सीक्रेट सर्विस के जवान हरकत में आ गए और उन्‍होंने चीनी एजेंट को दबोच लिया। बाद में दोनों देशों के आला सुरक्षा अधिकारियों ने हस्‍तक्षेप किया और मामला सुलझा।

अमेरिका की परमाणु शक्ति

एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका के पास करीब 6,185 परमाणु बम हैं जिससे पूरी दुनिया को कई बार तबाह किया जा सकता है। इन परमाणु बमों में से 1365 को बम वर्षक विमानों, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और परमाणु पनडुब्बियों में लगी मिसाइलों में तैनात किया गया है। एक बार जब अमेरिकी राष्‍ट्रपति परमाणु हमले के लिए स्‍वीकृति दे देता है तो व्‍हाइट हाउस में बने वॉर रुम का काम होता है, उसे जल्‍द से जल्‍द लागू करना। अमेरिकी राष्‍ट्रपति 'गो कोड' दे देता है तो उसे कोई अन्‍य अधिकारी नहीं रोक सकता है। इसके बाद मिसाइलों को दागा जाता है। एक बार जब मिसाइलें दाग दी जाती हैं तो उन्‍हें वापस बुलाना असंभव होता है। इसका परिणाम भीषण तबाही होता है।

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