चित्रकूट जेल में मारे गए अपराधियों में अंशु दीक्षित था सबसे खतरनाक अपराधी

अंशु दीक्षित लखनऊ के सीएमओ हत्याकांड में भी आरोपी रह चुका है। वह जीआरपी की कस्टडी से वर्ष 2013 में उस समय भाग गया था।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-05-14 15:31 IST

अंशु दीक्षित (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ: चित्रकूट जेल में आज बंदियों के बीच हुई मुठभेड़ में तीनों बदमाश हिस्ट्रीशीटर अपराधी थें। पर इनमें से सबसे बड़ा खतरनाक अपराधी अंशु दीक्षित (Anshu Dixit) था जिससे पुलिस भी कांपती थी और वह जिस जेल में भी रहता था, वहां वह बेहद ऐशो आराम से रहा करता था। अंशु दीक्षित का का पूर्वांचल क्षेत्र में बेहद जलजला रहा करता था। सीतापुर का रहने वाला अंशु दीक्षित पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) का वह दाहिना हाथ था।

बताया जाता है कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश एसटीएफ पर भी वह हमला कर चुका है। 27 अक्टूबर 2013 को अंशु दीक्षित ने जब भोपाल में एमपी पुलिस (MP Police) और यूपी एसटीएफ की टीम (UP STF Team) पर गोली चलाई, तो इसमें एसटीएफ के दरोगा संदीप मिश्र और भोपाल क्राइम ब्रांच (Bhopal Crime Branch) का सिपाही राघवेंद्र पांडेय बुरी तरह से घायल हो गए थे। इसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने अंशु की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था। अंशु दीक्षित लखनऊ यूनिवर्सिटी में महामंत्री विनोद त्रिपाठी और गौरव सिंह की हत्या का भी उस पर आरोप था। पांच दिसंबर 2014 को एसटीएफ को पता चला कि अपराधी अंशु दीक्षित गोरखपुर से नेपाल भागने की फिराक में है, तो एसटीएफ की टीम ने सर्विलांस की मदद से गोरखनाथ इलाके में एक मुठभेड़ के बाद अंशु को गिरफ्तार कर लिया गया।

सीएमओ हत्याकांड काआरोपी था अंशु

अंशु दीक्षित लखनऊ के सीएमओ हत्याकांड में भी आरोपी रह चुका है। वह जीआरपी की कस्टडी से वर्ष 2013 में उस समय भाग गया था। जब उसे पेशी पर ले जाया जा रहा था। अंशु दीक्षित को आठ दिसम्बर 2019 को सुल्तानपुर से चित्रकूट जेल लाया गया था।

अपराधी अंशु दीक्षित (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

मेराज अली मुन्ना बजरंगी का था खासमखास 

चित्रकूट जेल में हुए आज गोलीकांड में एक और अपराधी मेराज भाई (Meraj Bhai) भी कहीं से कम नहीं था। वह वाराणसी का रहने वाला था। मेराज अली मुन्ना बजरंगी का खासमखास हुआ करता था, पर जब मुन्ना बजरंगी (Munna Bajrangi) और मुख्तार के बीच छत्तीस का आंकड़ा हो गया तो वह मुख्तार के पास आ गया। पर उसकी मुख्तार के खासमखास अंशु दीक्षित से बिल्कुल नहीं बनती थी। उसे वाराणसी से चित्रकूट जेल लाया गया था। उस पर भी लगभग एक दर्जन मुकदमें थें। जबकि एक अन्य बंदी मुकीम काला (Mukim Kala) पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक बड़ा अपराधी था। हाल ही में सात मई को सहारनपुर से चित्रकूट लाया गया था।

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