शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहे सरकारी स्कूल, खाने में हो रहा घटिया मसालों का यूज
हरदोई: एक तरफ जहां सरकार बेहतर शिक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार अथक प्रयास कर रही है और 'पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया' का नारा लगा रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा व्यवस्था के दावों की पोल भी खुल रही है। यह पोल खोलते नजर आ रहा है बिलहरी का प्राथमिक विद्यालय, जहां पर शिक्षा व्यवस्था का काफी दयनीय हाल है।
शिक्षक तो हैं, लेकिन स्कूल में मौजूद नहीं रहते हैं। शिक्षामित्रों के सहारे विद्यालय चल रहा है, लेकिन शिक्षामित्रों की चल रही रार की वजह से वे स्कूल यदाकदा ही आ रहे हैं। ऐसे में पढ़ने वाले नन्हे-मुन्ने बच्चों के भविष्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। लेकिन सरकार के सरकारी नुमाइंदे इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे।
जब रिपोर्टर ने मिड डे मील का हाल जानना चाहा तो मीनू के हिसाब से आलू सोयाबीन की सब्जी और रोटी का मीनू था, लेकिन सब्जी में सोयाबीन गायब था और मसालों का प्रयोग घटिया था। ऐसी सब्जी है, जिसे खाकर बच्चे बीमार जरूर हो सकते हैं। सरकार करोड़ों रुपए मिड डे मील पर खर्च करती है, लेकिन वह पैसा सरकारी नुमाइंदे बंदर बांट कर लेते हैं।
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जो बचा खुचा होता है, उससे घटिया सामान खरीद कर मिड डे मील बच्चों के लिए बनवाया जाता है, जिसे खाकर बच्चे बीमार पड़ जाते हैं। कई मामले ऐसे सामने आ चुके हैं लेकिन इतना सब होने के बाद भी सरकार और अधिकारी नहीं चेत रहे।
वहीं अगर जनरल नॉलेज की बात करें तो बच्चों को अपने जिले के जिला अधिकारी का नाम तक नहीं पता है और तो और 15 अगस्त का मतलब भी नहीं पता है कि किस लिए 15 अगस्त मनाया जाता? सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन अध्यापक को सरकार भारी भरकम वेतन दे रही है। क्या वह शिक्षक अपना कर्तव्य निभा रहे हैं?