लाखों तरह के फंगस मौजूद हैं हमारे चारों ओर, इनसे बच कर नहीं रह सकते
यीस्ट (खमीर), जंग, फफूंद और मशरूम समेत फंगस की लगभग एक लाख 44 हजार प्रजातियाँ वैज्ञानिकों ने खोजी हैं।
लखनऊ: इन दिनों देश में जानलेवा फंगल इन्फेक्शन (Fungal infection) बहुत से लोगों में पाया जा रहा है। हालत ये है कि कई राज्यों ने फंगल संक्रमण को महामारी घोषित कर दिया है। फंगल इन्फेक्शन लगभग सभी ऐसे लोगों में पाया गया है जो कोरोना (Coronavirus) से संक्रमित हुए थे। कोरोना महामारी पूरी दुनिया में बीते सवा साल से फ़ैली हुई है, लेकिन हजारों कोरोना मरीजों में जानलेवा फंगल इन्फेक्शन भारत में ही देखा गया है। बीते साल कोरोना की पहली लहर में भी ऐसा नहीं हुआ था।
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में बीमार हुए लोगों में ही फंगल इन्फेक्शन पाया जा रहा है। बहरहाल, पहले ब्लैक (Black fungus), फिर व्हाइट (White fungus) और अब येलो फंगस (Yellow fungus) से संक्रमित बीमारों के बारे में ख़बरें आ रहीं है। जानते हैं कि फंगस है क्या और कितने तरह की होती है।
लाखों तरह की फंगस
फंगस माइक्रोओर्गानिस्म यानी जीवित जीव होते हैं लेकिन ये न तो पौधे हैं और न पशुओं के समूह हैं। उनका अपना एक अलग समूह वैज्ञानिकों ने तय किया है. बैक्टीरिया, वायरस की तरह फंगस भी अलग चीज है। यीस्ट (खमीर), जंग, फफूंद और मशरूम समेत फंगस की लगभग एक लाख 44 हजार प्रजातियाँ वैज्ञानिकों ने खोजी हैं। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार फंगस की प्रजातियाँ 22 लाख से 38 लाख के बीच हो सकती हैं। अधिकांश की खोज ही अभी तक नहीं हुई है।
फंगस, फफूंदी या कवक हमारे चारों ओर हवा, मिट्टी, पौधों और पानी-यानी हर जगह रहते हैं। कुछ मानव शरीर में भी रहते हैं। सभी प्रकार की फंगस हानिकारक नहीं होती है। कुछ छोटे छोटे फंगस हवा में छोटे बीजाणुओं या स्पोर्स के माध्यम से प्रजनन करते हैं। ये ही छोटे बीजाणु बहुत बार हमारे भीतर सांस लेने के सतह प्रवेश कर जाते हैं और हमें इन्फेक्टेड कर देते हैं।
क्यों होता है संक्रमण
फंगल संक्रमण तब होता है जब शरीर कमजोरी इम्यूनिटी की कमी के दौरान फंगस के संपर्क में आता है। अगर किसी का इम्यून सिस्टम कमजोर है और ऐसे में वह फंगस के संपर्क में आया तो फंगस का किसी न किसी रूप में संक्रमण होने की बहुत संभावना रहती है।
अगर आपका इम्यून सिस्टम उतना मजबूत नहीं होता कि आपको उस इन्फेक्शन से बचा सके। यह एक ऐसा इन्फेक्शन होता है जो शरीर पर कई प्रकार के फंफूद या कवक के कारण हो जाता है, जिनमें डर्मेटोफाइट्स और यीस्ट प्रमुख होते हैं फंफूद मृत केराटिन में पनपता है और धीरे धीरे हमारे शरीर के ऐसे स्थानों में फ़ैल जाता है जहाँ थोड़ी नमी होती है जैसे कि पैर की उँगलियों के बीच का हिस्सा, एड़ी, नाखून, जननांग, स्तन इत्यादि।
कई माइक्रोब्स की तरह, कुछ फंगस हमारे शरीर के लिए सहायक होते हैं और कुछ हानिकारक होते हैं। जब हानिकारक फंगस हमारे शरीर पर आक्रमण करते हैं, तो उन्हें मारना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि वे पर्यावरण में जीवित रह सकते हैं और उस व्यक्ति को फिर से इन्फेक्टेड कर सकते हैं। त्वचा और नाखून में इन्फेक्शन के लिए, आप सीधे इन्फेक्टेड जगह पर दवा लगा सकते हैं।
एक अनुमान के अनुसार दुनिया में एक अरब लोग शरीर में बाहर की तरफ के फंगल संक्रमण से पीड़ित हैं। दूसरी तरफ घटक फंगल संक्रमण के चलते हर साल करीब 15 लाख मौतें होतीं हैं। इन जानलेवा फंगल संक्रमण में शरीर के भीतर हो गए कैंडीडीयासिस (व्हाईट फंगस) और अस्परगिलिओसिस (येलो फंगस) संक्रमण सबसे प्रमुख हैं। वैसे ये जानलेवा संक्रमण उन लोगों में सबसे ज्यादा पाए जाते हैं जिनका इम्यूनिटी सिस्टम बेहद कमजोर है, जैसे कि एचआईवी-एड्स से पीड़ित लोग, कैंसर के मरीज और ऐसे लोग जिनकी कीमोथेरेपी चल रही है।
तरह तरह के इन्फेक्शन
फंगस से कई तरह के इन्फेक्शन हो सकते हैं। एक अनुमान है कि फंगस 300 प्रकार की बीमारियाँ कर सकता है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल ने कुछ प्रमुख फंगल संक्रमणों के बारे में बताया है जिनसे इनसान ग्रसित हो सकते हैं।
सामान्य फंगल बीमारियाँ
- नाखून में संक्रमण
- रिंगवर्म इन्फेक्शन
- योनि में यीस्ट इन्फेक्शन जिसे कैंडीडीयासिस कहते हैं।
- मुंह, गले और भोजन नली में कैंडिडा यीस्ट इन्फेक्शन (कैंडीडीयासिस). इसे थ्रश भी कहा जाता है।
ख़ास इलाकों में रहने वालों में बीमारियाँ
- क्रिप्टोकोकस गेटी : ये इन्फेक्शन ट्रोपिकल यानी ऊष्ण कटिबंधीय या सब ट्रोपिकल क्षेत्रों में पाया जाता है। ये इन्फेक्शन सांस के जरिये शरीर में पहुंचे अति सूक्ष्म फंगस कणों से होता है। इसमें फेफड़े, सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम और शरीर के अन्य हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। क्रिप्टोकोकस गेटी नमक फंगस पेड़ों और पेड़ों के आसपास की मिट्टी में पाया जाता है। इस तरह का फंगल इन्फेक्शन बहुत ही कम पाया जाता है।
- हिस्टोप्लास्मोसिस : ये बीमारी हिस्टोप्लास्मा नमक फंगस से होती है. ये फंगस आमतौर पर उस मिट्टी में पनपता है जहाँ बड़ी मात्रा में पक्षियों या चमगादड़ों की बीट होती है। इस प्रकार का फंगस लगभग पूरी दुनिया में पाया जाता है। इसका इन्फेक्शन सांस के साथ फंगस के अति सूक्ष्म कणों के शरीर में जाने से होता है। आमतौर पर लोग इससे बीमार नहीं पड़ते या फिर थोड़ा बुखार, खांसी और थकान ही होती है जो बिना दवा ठीक हो जाती है। लेकिन जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर है वे गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं।