World Students Day: डॉ कलाम के सम्मान में UN मनाता है ये दिन, जानिए खासियत
15 अक्टूबर को 1931 को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था और उनकी जयंती के मौके पर ही संयुक्त राष्ट्र हर साल विश्व छात्र दिवस के तौर पर मनाता है। इस दिन स्कूलों में तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। छात्रों के लिए निबंध और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है।
लखनऊ: देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की आज 88वीं जयंती है। उनको मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने विज्ञानं के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया, जिसको भूल पाना भारत के लिए आसान नहीं है। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम वो शख्सियत हैं, जिनके आविष्कार अकल्पनीय हैं। वैसे ये बात भी कम लोगों को मालूम है कि हर साल आज यानि 15 अक्टूबर को पूरी दुनिया विश्व छात्र दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
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दरअसल, 15 अक्टूबर को 1931 को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था और उनकी जयंती के मौके पर ही संयुक्त राष्ट्र हर साल विश्व छात्र दिवस के तौर पर मनाता है। इस दिन स्कूलों में तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। छात्रों के लिए निबंध और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। इसलिए आज हम मिसाइल मैन के बारे में कई बातें जानेंगे। वह न सिर्फ एक महान वैज्ञानिक थे, बल्कि वह विचारक और टीचर भी रह चुके हैं।
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डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का शुरुआती जीवन
- 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में मिसाइल मैन का जन्म हुआ था।
- पिता जैनुलाब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे और वह मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे।
- पिता जैनुलाब्दीन पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन वो पढ़ाई का महत्व जानते थे।
- मिसाइल मैन के पांच भाई और पांच बहने थीं।
- मिसाइल मैन का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी।
- साल 1950 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
अब्दुल कलाम के अविष्कार
- नंदी अविष्कार
- पोखरण परमाणु परीक्षण
- अग्नी और पृथ्वी स्वेदशी मिलाइल का निर्माण
- दिल के मरीजों के लिए कोरोनरी स्टेंट का निर्माण किया था, जिसकी वजह से इस दवा की कीमत में काफी कमी आई थी।
- ऑर्थोसिस कैलीपर्स का निर्माण
- बैलिस्टिक मिसाइलों का निर्माण
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कमाल था उनका वैज्ञानिक जीवन
- कलाम साहब ने साल 1972 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि ISRO जॉइन किया था।
- उनको परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस।एल।वी। तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ।
- 1980 में उन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के पास स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।
- इसरो लांच व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी मिसाइल मैन को जाता है।
- कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया।
- उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।
पुरस्कार और सम्मान
- उनको लगभग चालीस विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की गयी थीं।
- साल 1981 में उनको पद्म भूषण तो साल 1991 में उनको पद्म विभूषण से नवाज गया था।
- साल 1997 में कलाम साहब को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्म्मानित किया गया था।
- साल 2005 में स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने कलाम के स्विट्ज़रलैंड आगमन के उपलक्ष्य में 26 मई को विज्ञान दिवस घोषित किया।