लखनऊ: केरल के एक मदरसे में चन्दन का टीका लगाकर पढ़ने जाने पर 5वीं की एक छात्रा को बाहर निकाल देने का मामला सामने आया है। पीड़िता के पिता ने खुद फेसबुक पर इस घटना की पूरी जानकारी शेयर की है। जिसके बाद यह पोस्ट वायरल हो गया। कुछ लोग इस कदम की आलोचना कर रहे हैं तो कुछ लोग इसे गलत बता रहे हैं। newstrack.com आज आपको देश के ऐसे ही कुछ स्कूल- कालेज और मदरसों से जुड़े कुछ चर्चित केस के बारे में बताने जा रहा है। जिसमें कभी मनमाना आदेश जारी किया गया तो कभी छोटी-छोटी बातों पर बच्चों को एडमिशन देने या पढ़ाई से रोक दिया गया।
दाढ़ी रखने पर एडमिशन देने से किया मना
सीबीएसई बोर्ड से सम्बद्ध मऊ के एक प्राइवेट कालेज ने वर्ष -2016 में एक होनहार मुस्लिम छात्र को दाढ़ी रखने पर एडमिशन देने से मना कर दिया। उसके इंटर में 98 परसेंट मार्क्स आये थे। छात्र ने जब कालेज -प्रशासन से ये कहते हुए शिकायत की कि वह एडमिशन के समय दाढ़ी हटा लेगा। लेकिन कालेज इस बात के लिए राजी नहीं हुआ। लेकिन जब जिले के अंदर ये बात सार्वजनिक हुई तब काफी हो-हल्ला मचा था। कालेज प्रशासन ने बाद में उसे प्रवेश परीक्षा में तो बैठने दिया लेकिन उसे टेस्ट में फेल कर दिया गया। छात्र ने जान बूझकर फेल किये जाने का आरोप लगाते हुए कॉपी दिखाने की मांग की, लेकिन कॉपी नहीं दिखाई गई।
हिजाब पहनकर आने पर नाम काटने की धमकी
बाराबंकी के एक मिशनरी स्कूल को वर्ष -2017 में एक मुस्लिम छात्रा का हिजाब पहनकर स्कूल आना इतना नागवार गुजरा कि उसने पैरेंट्स को लेटर लिखकर उसका नाम काटने की धमकी तक दे डाली। स्कूल में ड्रेस कोड का हवाला देते हुए प्रिंसिपल ने कहा कि हमारे स्कूल के अंदर सिर पर हिजाब रखकर छात्रा पढ़ाई नहीं कर सकती है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपनी बेटी का एडिशन स्कूल की बजाए किसी मदरसे में करा दें।
स्किन कलर की ब्रा पहनने का फरमान
दिल्ली के रोहिणी स्थित एक स्कूल ने इसी वर्ष छात्राओं के लिए एक अजीब तरह का फरमान सुना दिया। जिसने स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई को लेकर एक नई तरह की बहस छेड़ दी। दरसअसल ये फरमान छात्राओं के पहनावे को लेकर था। प्रिंसिपल ने अपने आदेश में कहा था कि लड़कियों को केवल स्किन कलर की ब्रा पहनना चाहिए। यही नहीं यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ब्रा दिखाई ना दे रही हो। उस जगह पर और अधिक बटनों को लगाने के लिए भी कहा गया था ताकि स्किन दिखाई न दे। स्कूल के आदेश को कुछ पैरेंट्स ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जिसके बाद बहस शुरू हो गई। कुछ पैरेंट्स ने इसे सही तो कुछ ने इसे गलत ठहराया। लेकिन स्कूल ने अपना आदेश वापस नहीं लिया।