Career in Environmental Science: पर्यावरण विज्ञान में अपार संभावनाएं

Career in Environmental Science: पर्यावरण (Environmental Science को निरंतर नष्ट होने से बचाने एवं ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर बल देने वाला यह विषय निरंतर प्रासंगिक है। जैसे जैसे आधुनिकीकरण बढ़ा है।

Written By :  Sarojini Sriharsha
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-05-19 15:05 IST

पर्यावरण विज्ञान (फोटो-सोशल मीडिया)

Career in Environmental Science: वर्तमान युग विज्ञान एवं प्राविधिक विज्ञान का युग माना जाता है। इसमें संदेह नहीं कि विज्ञान और प्राविधिक विज्ञान ने बहुत उन्नति की है। आज रहन सहन , यातायात आदि की अनेक सुविधाएं उपलब्ध हो गई हैं, जिससे मानव जीवन बहुत सुखी और सुविधापूर्ण हो गया है।स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारतवर्ष में भी औद्योगिकी क्षेत्र में पर्याप्त उन्नति हुई है। जिसके कारण अनेक कल कारखाने स्थापित हुए हैं।

नवीन नगरों का निर्माण और पुराने ग्रामों का विस्तार हुआ है। यातायात की सुविधाएं बढ़ीं और रहन सहन का स्तर भी समुन्नत हुआ है। औद्योगिकरण तथा आधुनिक सभ्यता के साथ साथ अनेक समस्याएं भी उत्पन्न हुई हैं। इनमे से एक समस्या पर्यावरण प्रदूषण की है।

 जहरीले अवशिष्ट पदार्थों का उपयोग बढ़ा

पर्यावरण(Environmental Science को निरंतर नष्ट होने से बचाने एवं ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर बल देने वाला यह विषय निरंतर प्रासंगिक है। जैसे जैसे आधुनिकीकरण बढ़ा है और कल कारखानों में जहरीले अवशिष्ट पदार्थों का उपयोग बढ़ा है, पर्यावरण विज्ञानियों की चिंता आज समूची दुनिया की चिंता बन गई है।अब कई देशों में कड़े कानून लागू हैं और रेफ्रिजरेटर इत्यादि के उपयोग में आनेवाली गैसों के कम से कम इस्तेमाल पर जोर है।

पढ़ाई के स्तर पर पर्यावरण विज्ञान में अभियांत्रिकी स्तर से लेकर पी एच डी करने के लिए भी पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इस विषय की सम्यक शिक्षण व्यवस्था लखनऊ विश्वविद्यालय , काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं देश के लगभग सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों में उपलब्ध है। जो व्यक्ति पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में अपना भविष्य संवारना चाहते हैं वे निम्न शिक्षण संस्थानों से संबंधित पाठ्यक्रमों की विस्तृत जानकारी ले सकते हैं:

लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ

यहां स्नातकोत्तर स्तर पर पर्यावरण विज्ञान के पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं, जिसके लिए प्रवेश हेतु प्रतिवर्ष प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में भाग लेने हेतु न्यूनतम योग्यता विज्ञान में स्नातक है।

*राष्ट्रीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून

इस संस्थान में पर्यावरण विज्ञान से संबंधित स्नातकोत्तर, स्नातक और प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम चलाए जाते हैं।

* भारतीय वन प्रबंधन संस्थान, भोपाल

यहां वन प्रबंधन में डिप्लोमा की व्यवस्था है।

*जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

पर्यावरण विज्ञान में एम फिल तथा पी एच डी एवं पर्यावरण कानून में एम फिल तथा पी एच डी

* रुड़की विश्वविद्यालय

पर्यावण अभियंत्रण में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम

*दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

पी एच डी पाठ्यक्रम

यदि आप विज्ञान के छात्र हैं और भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र एवं वनस्पति विज्ञान में आपकी रुचि है तो आप इस क्षेत्र में अपना करियर संवार सकते हैं। वैसे यह एक उच्च स्तरीय करियर है जिसमे नाम भी है और पर्याप्त धन भी। विदेशों में इस विषय की बहुत मांग है। कई उच्चस्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों में इस विषय को १२वी के बाद ज्वाइन कर सकते हैं।

आजकल पर्यावरण के प्रति जनजागृति बढ़ी है और सरकारी क्षेत्र में भी अनेक विशद पर्यावरण परियोजनाओं का नाम चल रहा है। पर्यावरण की देखभाल के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तो कई उपक्रम जारी रखे हुए है, साथ ही उद्यमों में भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए पर्यावरण विज्ञानियों की सेवाएं ली जाने लगी हैं। यह विषय रुचि वालों के लिए अपार संभावनाएं समेटे हुए है, क्योंकि विश्व भर में जनमत पर्यवरण सुरक्षा हेतु जागृत हो रहा है और पृथ्वी को घातक रसायनों से बचाने तथा ओजोन परत की देखभाल करने हेतु कई कड़े कानून बनाए जा रहे हैं।

भारत में भी पर्यावरण एक आंदोलन की शक्ल ले चुका है और स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से पेड़ो की हरियाली, वनोपज, भूसंपदा, जल स्तर, खनिज, कार्बनिक पदार्थों से बचाव, अवजल शोधन की अनिवार्यता और नदियों नालों से प्रदूषण रोकने के मुद्दे गांव गांव में पहुंचे हुए हैं। कुल मिलाकर यह विषय प्रकृति के समीप आने का नैसर्गिक सुख भी प्रदान करता है तथा समस्त मानवजाति सहित पृथ्वी की सुरक्षा का गुरूतर दायित्व भी उपलब्ध कराता है।

पर्यावरण विषयक शिक्षा लेकर व्याख्याता से लेकर पर्यावरण नियंत्रक तक के पदों पर रोजगार अवसर जुटाए जा सकते हैं।शोधकर्ता के लिए अनेक देशी एवं विदेशी संस्थानों द्वारा छात्रवृति भी उपलब्ध कराई जाती है। पर्यावरण वानिकी जैसे कार्यक्रम वन संपदा विभाग द्वारा सतत चलाए जा रहे हैं, जिनमें विषय विशेषज्ञों के लिए रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं जिनमें विषय विशेषज्ञों के लिए रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जाते हैं। इस प्रकार पर्यावरण विज्ञान में उज्ज्वल भविष्य की अनेक संभावनाएं हैं।

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