आह कोरोना तो वाह भीः संकट बढ़ा, खुल गए ऑनलाइन कोचिंग के द्वार

कोरोना काल में महामारी की वजह से भारत में 75 हजार करोड़ रुपये के कोचिंग कारोबार को भारी नुकसान पहुंचा है । राजस्थान के कोटा में तो इस कारोबार से हजारों लोग जुड़े हैं

Update:2020-08-22 14:25 IST
आह कोरोना तो वाह भीः संकट बढ़ा, खुल गए ऑनलाइन कोचिंग के द्वार

''कोरोना महामारी और इसकी वजह से लंबे समय से जारी लॉकडाउन ने स्कूल-कालेज की पढ़ाई के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए होने वाली कोचिंग का स्वरूप भी बदल दिया है और अब कोचिंग देने वाली कंपनियां ऑनलाइन बिजनेस पर आ गयी हैं।''

नई दिल्ली: कोरोना काल में महामारी की वजह से भारत में 75 हजार करोड़ रुपये के कोचिंग कारोबार को भारी नुकसान पहुंचा है । राजस्थान के कोटा में तो इस कारोबार से हजारों लोग जुड़े हैं और पेइंग गेस्ट और होटल, टिफिन सर्विस और दूसरे कई सैकड़ों छोटे कारोबार इसी के भरोसे चलते हैं । महीनों नुकसान झेलने के बाद अब कई नामी-गिरामी संस्थानों ने ऑनलाइन कोचिंग शुरू की है। एक ताजा सर्वेक्षण से पता चला है कि तकनीक के बेहतर होने व इसकी पहुंच बढ़ने की वजह से अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले 90 प्रतिशत छात्र भी ऑफलाइन या क्लास रूम की जगह ऑनलाइन कोचिंग को ही तरजीह दे रहे हैं।

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कोचिंग का बढ़ता कारोबार

देश में हाल के वर्षों में कोचिंग का कारोबार तेजी से बढ़ा है। इलाहाबाद और दिल्ली जैसे शहरों को छोड़ भी दें तो हाल के वर्षों में राजस्थान का कोटा देश के सबसे बड़े कोचिंग हब के तौर पर उभरा है । उद्योग-व्यापार संगठन एसोचैम ने वर्ष 2013 में ही अपनी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि वर्ष 2017 तक देश में कोचिंग उद्योग बढ़ कर 70 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा । वैसे, असंगठित क्षेत्र में होने की वजह से इस कारोबार के सटीक टर्नओवर का अनुमान लगाना कुछ मुश्किल है । लेकिन वर्ष 2014 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि देश में फिलहाल 7.10 करोड़ छात्र कोचिंग या निजी ट्यूशन करते हैं।

डीडब्लू की रिपोर्ट के अनुसार, स्कूलों में पढ़ाई और शिक्षकों के खराब स्तर के साथ ही इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट संस्थानों में दाखिले के लिए बढ़ती गलाकाट होड़ ने कोचिंग के कारोबार को फलने-फूलने में भारी मदद पहुंचाई है। कोटा की कामयाबी के पीछे भी यही वजहें हैं।वहां तमाम कोचिंग संस्थानों में छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के पाठ्यक्रम और पैटर्न को घुट्टी में भर कर पिलाया जाता है ।

दो दशक पहले तक इस शहर को जेके सिंथेटिक्स और दूसरी छोटी-मोटी निर्माण कंपनियों के लिए जाना जाता था. लेकिन 1997 में जेके मिल के बंद होने से पांच हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए थे। उसके बाद वर्ष 2017 में सरकारी इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड भी बंद हो गई। जेके सिथेंटिक्स के एक रिटायर इंजीनियर बीके बंसल ने 1983 में यहां एक छात्र को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया था। फिर उन्होंने बंसल कोचिंग की स्थापना की जो नब्बे के दशक तक आईआईटी में प्रवेश के इच्छुक छात्रों के लिए मक्का बन गया।

ऑनलाइन की राह

कोटा, दिल्ली, जयपुर, लखनऊ, आदि शहरों में कोरोना की वजह से छात्रों के घर लौट जाने के कारण कोचिंग और सम्बंधित धंधों की आमदनी अचानक गिर गई। लेकिन अब ऑनलाइन कोचिंग के रास्ते ऐसे संस्थान नुकसान की भरपाई कर दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए ज्यादातर संस्थानों ने अपनी फीस नहीं बढ़ाई है, साथ ही किश्तों में भुगतान की सुविधा भी दी जा रही है।

कोरोना की वजह से महीनों से जारी लॉकडाउन और भविष्य में ऑफलाइन पढ़ाई को लेकर गहराती अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए कोचिंग संस्थान से लेकर इनमें पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र भी अब डिजिटल कोचिंग के पक्ष में हैं। उनके सामने दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। ऑनलाइन कोचिंग के अपने फायदे भी हैं। छात्र घर बैठे आराम से पढ़ाई कर सकते हैं, उनको लंबी यात्रा नहीं करनी होगी और इसमें खर्च भी कम है।

उज्जवल भविष्य

केपीएमजी की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016 में ऑनलाइन कोचिंग करने वाले छात्रों की तादाद जहां महज 16 लाख थी वहीं वर्ष 2021 में इसके बढ़ कर 96 लाख तक पहुंच जाने की उम्मीद है। बेहतर तकनीक की वजह से ऑनलाइन पढ़ाई या कोचिंग में पहले जैसी दिक्कतें नहीं रहीं। अब वर्चुअल क्लासरूम में छात्र अपने शिक्षकों से उसी तरह सवाल पूछ सकते हैं जिस तरह सामान्य कक्षा में पूछा जाता है। अब तो आईआईएम और आईआईटी समेत ज्यादातर संस्थान भी अपने छात्रों को ऑनलाइन ही पढ़ा रहे हैं।

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पहले माना जाता था कि ऑनलाइन शिक्षा या कोचिंग उतनी असरदार नहीं हो सकती लेकिन अब तमाम पाठ्यक्रमों के डिजिटल स्वरूप में मौजूद हैं और बेहतर क्वालिटी के वीडियो लेक्चर भी सहज ही उपलब्ध हैं। ऑनलाइन कोचिंग से देश के छोटे शहरों में रहने वाले ऐसे छात्र भी लाभ उठा सकते हैं जो पहले बेहतर संस्थान नहीं होने की वजह से कोचिंग से वंचित थे।

ऑनलाइन कोचिंग के व्यापक होने की स्थिति में कोटा और कुछ अन्य शहरों में बने कथित कोचिंग हब का वर्चस्व टूट जाएगा। इसकी शुरुआत तो हो ही चुकी है।

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