लखनऊः दुनिया में संगीत का बोलबाला पुरातन काल से ही रहा है। संगीत का जादू आज भी सिर चढ़कर बोलता है। आध्यात्म में तो यहां तक कहा गया है कि-।।साहित्य संगीत कलाविहीनः साक्षात पशुः पुच्छ विषाण हीनः।। अर्थात साहित्य संगीत और कला से विहीन व्यक्ति उस प्रकार से है जिस प्रकार पूंछ और सींह के बिना पशु।
संगीत को महज शौक मानने वालों की कमी नहीं है। लेकिन विश्व के तेजी से बदलते परिदृश्य में संगीत एक महत्वपूर्ण प्रोफेशन का रूप धारण कर चुका है। खासतौर से युवाओं में इसका क्रेज आए दिन तेजी से बढ़ता जा रहा है।
बता दें कि संगीत सीखने के लिए बचपन से संगीत में रूचि होना ज्यादा मायने रखता है।
अभ्यास को दें प्रमुखता
संगीत में गायन और वादन दो प्रकार की शिक्षा होती है। वादन में सभी प्रकार के वाद्य यंत्र शामिल हैं जिन्हें हम बजाना सीखतें हैं और गायन में हम गीत संगीत को गाना सीखतें हैं इसमें भी दो प्रकार के गायन होते हैं जिसमें साहित्यिक और माडर्न ऐसे ही वादन में भी होता है। क्लासिकल म्यूजिक में भी लोग अपने करियर को बनाते हैं और आधुनिक में भी।
आधुनिक वाद्य यंत्रों को सीखकर जल्द बना सकते हैं करियर
वादन हो या गायन दोनों ही एक साधना होती है। जो जितना तन मन से अभ्यास करता है वही निखरकर हीरा बनता है। बांसुरी हो या तबला हारमोनियम चाहे आधाुनिक वाद्य यंत्र सबको सीखने में आपको तन मन से लगना पड़ता है। आधुनिक वाद्य यंत्रों को सीखने से आप अपना करियर बहुत जल्द बना सकते हैं।
गायन वादन के साथ ही नृत्य का क्षेत्र भी संगीत के अन्तरगत ही आता है। जिन छात्रों की इसमें रूचि है वह इस क्षेत्र में भी अच्छा करियर बना सकते हैं। इसके भी दो भाग है पहला साहित्यिक और दूसरा आधुनिक या ब्रेक डान्स आदि।
संगीत में करियर के विकल्प
1. म्यूजिक इंडस्ट्री: इस उद्योग में कई प्रकार के म्यूजिक आधारित प्रोफेशनलों की अहम भूमिका होती है, इनमें विशेष तौर पर म्यूजिक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर, कंपोजर, म्यूजिशियन, जैसे कार्यकलापों के अलावा म्यूजिक बुक्स की पब्लिशिंग, म्यूजिक अलबम रेकार्डिंग म्यूजिक डीलर, म्यूजिक स्टूडियो के विभिन्न विभागों इत्यादि का उल्लेख किया जा सकता है।
2. टेलीविजन: साउंड रिकार्डिस्ट, म्यूजिक एडिटर, प्रोडक्शन, आर जे एवं डीजे म्यूजिक लाइसेंस में ऐसे जानकार और अनुभवी लोगों की जरूरत प़ड़ती है।
3. म्यूजिक शो, टेलीविजन म्यूजिक प्रोग्राम, म्यूजिक कंपीटिशन आम्र्ड फोर्सेज बैंडज, सिंफनी आर्केस्ट्रा, डांस बैंड, नाइटक्लब, कसर्ट शो, रॉक और जैज ग्रुप इत्यादि में भी इनकी भूमिका का नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
4. म्यूजिक थेरेपिस्ट: विकलांगता के शिकार बच्चों और लोगों के अलावा मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्तियों के उपचार में आजकल संगीत को काफी महत्वपूर्ण माना जाने लगा है। इस प्रोफेशन में सफल होने के लिए संगीत, अध्यायन और थेरेपी का जानकार होना जरूरी है। इनके लिए हॉस्पीटलों, मेंटल टैम्थ सेंटरों, नर्सिंग होम्स इत्यादि में रोजगार के अवसर हो सकते हैं।
5. स्टूडियो टीचिंग: म्यूजिक टीचर के रूप में स्कूलों कॉलेजों और अन्य संगीत प्रशिक्षण संस्थाओं में करियर बनाने के बारे में भी सोचा जा सकता है। इनमें भी विशेषतता प्राप्त टीचर का खासा महत्व होता है। विशेषताओं में खासतौर पर म्यूजिक थ्यरी, म्यूजिक हिस्ट्री एंड लिट्रेचर, म्यूजिक एजुकेशन, म्यूजिकोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक, कंपोजिशन अथवा म्यूजिक थेरेपी की बात की जा सकता है।
इन सबके अतिरिक्त फिल्म इंडस्ट्री, चर्च म्यूजिशियन म्यूजिक लाइब्रेरियन, म्यूजिक अरेंजिंग, म्यूजिक सॉफ्टवेयर, प्रोडेक्शन म्यूजिक, वर्चुअल रिअल्टी साउंड एंवायरनमेंट इत्यादि जैसी विधाओं में भविष्य बनाया जा सकता है।
ऐसे करें पढ़ाई
काफी सारी संस्थाएं, विद्यालय, और विश्व विद्यालय, संगीत में डिप्लोमा, अंडर ग्रेजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम उपलब्ध कराती हैं। इसके लिए डिप्लोमा तक़रीबन 2 वर्ष, बी.ए. 3 वर्ष और एम.ए 2 वर्ष का होता है। पाठ्यक्रम के अन्तरगत संगीत सिद्धांत, संगीत के इतिहास, संगीत व्याख्या, आवाज़ अनुदेश और संगीत लेखन का ज्ञान प्राप्त होता है। पाठ्यक्रम इस प्रकार हैं-
बी.ए. (संगीत)
बी.ए. (तबला)
बी.एफ.ए (सितार)
बी.एफ.ए (तबला)
संगीत में प्रमाणपत्र
विद्यालय जहां से प्राप्त कर सकते हैं संगीत की शिक्षा
1. कलकत्ता विश्वविद्यालय
2. एतिल्डे महाविद्यालय ऑफ़ दिल्ली
3. एतिल्डे महाविद्यालय ऑफ़ राजस्थान
4. दिल्ली संगीत समाज, नई दिल्ली
5. हिमाचल प्रदेश महाविद्यालय
6. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय
7. जय नरैन व्यास महाविद्यालय
8. बनारस हिन्दू महाविद्यालय
9. कुरुक्षेत्र महाविद्यालय
10. सरस्वती संगीत कॉलेज
11. विश्व भारती विश्वविद्यालय
12. दिल्ली विश्वविद्यालय
13. आदर्श कला मंदिर
14. मुंबई यूनिवर्सिटी
15. भातखण्डे संगीत संस्थान सम विश्वविद्यालय (लखनऊ)
16. प्रयाग संगीत समिति (इलाहाबाद)