Jaadui Pitara: आइए हम सब खेल का उत्सव मनाएं

Jaadui Pitara: खेल ही ज्ञान है। यह बच्चे और आपके अंदर मौजूद बचपन के लिए उपयुक्त है।

Newstrack :  Network
Update: 2024-07-19 14:17 GMT

Jaadui Pitara

संजय कुमार/ शंकर मरुवाडा 

Jaadui Pitara: माननीय शिक्षा मंत्री द्वारा 20 फरवरी, 2023 को जादुई पिटारा (जादू बॉक्स)  के अवसर पर कुछ बच्चों को बॉक्स का अनावरण करने के लिए मंच पर आमंत्रित किया गया था। जैसे ही बच्चों ने जादुई पिटारा खोला, जो पूर्व-प्राथमिक स्तर के शिक्षण-शिक्षा से जुड़ी सामग्री है, तो उन्होंने औपचारिक तरीके से पुस्तकों और फ्लैशकार्ड को एक-एक करके ध्यान से देखा। लेकिन जब उनकी नज़र नीचे पड़े खिलौनों पर पड़ी, तो उनकी आंखें चमक उठीं।वे उसके चारों ओर ऐसे इकट्ठा हो गए, जैसे बच्चे जन्मदिन-केक के चारों ओर जमा हो जाते हैं। उन्होंने बॉक्स से अपने पसंदीदा खिलौने उठाए- गुड़िया, कठपुतली आदि और एक-दूसरे के साथ ख़ुशी व्यक्त करते हुए अपनी दुनिया में इस तरह मग्न हो गए कि मंच और समारोह पीछे छूट गए। इसने आश्चर्य, जिज्ञासा और खुशी पैदा की।

पांच सौ से ज़्यादा प्रशासकों, शिक्षाविदों और शिक्षकों की प्रतिष्ठित सभा ने अपने बचपन को याद करते हुए तालियां बजाईं और मुस्कान बिखेरी। जुलाई 2024-25 में नए स्कूल वर्ष की शुरुआत के मौके पर भारत भर की कक्षाओं में चमकती आंखें, हंसी, खिलखिलाहट, बातचीत, नन्हें पैरों की पदचाप और कभी-कभी रोने की आवाजें सुनाई देती हैं।आइए हम नए शिक्षण वर्ष को प्रत्येक बच्चे के लिए स्वागत योग्य, आनंदमय और चंचल बनाकर मनाएं। खेल बच्चों के लिए स्वाभाविक है और समग्र विकास (शारीरिक, सामाजिक भावनात्मक, भाषाई, संज्ञानात्मक और सांस्कृतिक) के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। यह बच्चों को एक सुरक्षित, मज़ेदार और बगैर रोक-टोक वाली जगह में जिज्ञासु होने, खोज करने और प्रयोग करने की अनुमति देता है।


 हाल ही में, भारत और दुनिया ने 11 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया, जिसमें विशेष रूप से बच्चों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए खेल के महत्व को मान्यता दी गई है। भारत ने भी खेल पर ज़ोर दिया है और इसे संस्थागत बनाने में अग्रणी रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 और राष्ट्रीय पूर्व-प्राथमिक स्तर पाठ्यचर्या रूपरेखा, 2022 (एनसीएफ-एफएस) ने पहली बार पूर्व-प्राथमिक स्तर (3-8 वर्ष की आयु) के लिए एक पाठ्यक्रम रूपरेखा की परिकल्पना की और इसे तैयार किया। एनसीएफ-एफएस का मुख्य परिवर्तनकारी पहलू "खेल के माध्यम से सीखना" है, जो अपने आप पता चल जाने वाली बातों को वैधता प्रदान करता है: यानी, जब बच्चे खेलते हैं, तो वे सीखते हैं। सीखना केवल तब नहीं होता, जब बच्चा लिख रहा होता है। सीखने की एक विशेष शैली को लागू न करने की जरूरत है, क्योंकि सीखने वालों की संख्या जितनी अधिक होती है, सीखने के उतने ही अधिक तरीके भी मौजूद होते हैं। खेल में बातचीत, कहानी सुनाना, खिलौने, गीत और कविताएं, संगीत और शारीरिक सक्रियता, कला और शिल्प तथा इनडोर और आउटडोर खेल शामिल होते हैं। यह आपसी संपर्क छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और समुदाय के बीच एक मजबूत बंधन बनाता है।


ऐतिहासिक रूप से, देखभाल के एक हिस्से के रूप में खेल सिंधु घाटी सभ्यता से शुरू हुआ। सभ्यता की विरासत लोरियों, बच्चों की कहानियों, खेलों, खिलौनों, कविताओं और पहेलियों के समृद्ध और विविधतापूर्ण भंडार में दिखाई देती है।एनसीएफ-एफएस की परिवर्तनकारी प्रकृति का प्रतीक एनसीईआरटी का जादुई पिटारा है, जिसे फरवरी 2023 में जारी किया गया। जादुई पिटारा किसी भी स्कूल में पूर्व-प्राथमिक स्तर के लिए आवश्यक सामग्री का उदाहरण है। यह विविधतापूर्ण है और ऐसी सामग्री विकसित करते समय ध्यान में रखी जाने वाली संवेदनशीलता (आयु-उपयुक्त, संवेदी अनुभव और स्थानीय)  को प्रदर्शित करता है। पिटारे में खिलौने, खेल, पहेलियां, कठपुतलियां, पोस्टर, फ्लैशकार्ड, कहानी की किताबें, प्लेबुक और शिक्षक-पुस्तिकाएं हैं। प्रत्येक खिलौना और खेल को एक निश्चित सीखने के परिणाम से जोड़ा गया है। देश भर के हितधारकों ने जादुई पिटारा में उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत परिवर्तनकारी शिक्षण-शिक्षा से जुड़ी सामग्री की सराहना की है। राज्यों द्वारा अपने स्थानीय संदर्भ और परिवेश के लिए बॉक्स की सामग्री को अनुकूल बनाने के प्रयास जारी हैं।


यह मानते हुए कि हम अब डिजिटल युग में रह रहे हैं और प्रौद्योगिकी-सक्षम चैनल, जादुई पिटारा की पहुंच और प्रभाव को बढ़ा सकते हैं, शिक्षा मंत्रालय ने फरवरी 2024 में ई-जादुई पिटारा का शुभारंभ किया, ताकि यह भौतिक जादुई पिटारा का पूरक बन सके और विभिन्न माध्यमों-कंप्यूटर, स्मार्ट-व फीचर-फोन, टेलीविजन और रेडियो आदि के जरिये पहुंच को लोकतांत्रिक बनाया जा सके। बच्चों को कहानियां सुनाने तथा खेल-खेल में सीखने की गतिविधियों में उन्हें शामिल करने के जुड़े सवाल पूछने के लिए; देखभाल करने वाले अब चैट और वॉयस सुविधाओं के माध्यम से जनरेटिव एआई का लाभ उठाते हुए वर्चुअल सहायक के साथ बातचीत कर सकते हैं।


बाल विकास और मस्तिष्क पर हुए कई अध्ययनों से भी संकेत मिलता है कि खेल निम्नलिखित के लिए आवश्यक है-

# मस्तिष्क का विकास, विशेष रूप से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स की उत्तेजना, जो ध्यान, समस्या-समाधान और सामाजिक व्यवहार को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार होता है।

# न्यूरोप्लास्टिसिटी या नए तंत्रिका संबंध बनाने की क्षमता, जो जीवन भर सीखने और अनुकूल होने के लिए मौलिक होती है।

# सहज ज्ञान, जो जटिल और अनिश्चित परिस्थितियों में समस्या समाधान और निर्णय लेने के लिए आवश्यक है।   

# माता-पिता के लिए खेल बचपन से ही बच्चों के विकास की आधारशिला रखने में एक मूलभूत पहलू है, जिसे यूनिसेफ जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा रेखांकित किया गया है।

 खेल के दौरान, बच्चे लगातार विकल्पों का चयन करते हैं। वे आश्चर्य और आनंद से भरे होते हैं। खेल बच्चों में समग्र विकास, रचनात्मकता और सहनशीलता बढ़ाता है। वयस्कों के लिए, खेल मानसिक स्वास्थ्य, अनुभूति और रचनात्मकता में वृद्धि करता है। जब माता-पिता और देखभाल करने वाले बच्चों को खेल में शामिल करते हैं, तो वे खेल का उत्सव मनाते हैं। आइए हम सब खेल का उत्सव मनाएं और बच्चों को सीखने एवं विकसित होने में मदद करें, बचपन मनाओ, बढ़ते जाओ।    

 ( यह लेख भारत सरकार के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार और बेंगलुरु के एकस्टेप फाउंडेशन के सीईओ एवं सह-संस्थापक शंकर मरुवाड़ा द्वारा लिखा गया है। ) 

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