Education News : कोविड 19 से हुए नुकसान की भरपाई के लिए योजना, नए सेशन में प्राइमरी के स्टूडेंट्स को मिलेगी 500 रुपए की सहायता

कोरोना महामारी (COVID-19) की वजह से साल 2020 से अब तक बच्चों की पढ़ाई को बहुत नुकसान पहुंचा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (की ओर से एक योजना के तहत बच्चों की उस कमी की भरपाई की कोशिश की जा रही है।

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Published By :  aman
Update: 2022-02-24 04:07 GMT

शिक्षा पर कोविड-1ा9 का प्रभाव (फोटो-सोशल मीडिया)

Education News : कोरोना महामारी (COVID-19) की वजह से साल 2020 से अब तक बच्चों की पढ़ाई को बहुत नुकसान पहुंचा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) की ओर से एक योजना के तहत बच्चों की उस कमी की भरपाई की कोशिश की जा रही है। इसी के तहत सरकार ने बच्चों को सिखाने के लिए एक व्यापक योजना यानी एलआरपी (LRP) तैयार की है।

इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) के संयुक्त सचिव मनीष गर्ग (Manish Garg) की ओर से राज्यों को पत्र लिखकर इस योजना पर जल्द काम शुरू करने के निर्देश दिए हैं। बता दें, कि इस योजना के तहत सभी छात्रों के लिए शैक्षणिक सत्र 2022-23 के तहत अपर प्राइमरी (Upper Primary) और सेकेंडरी (Secondary) स्तर के छात्रों को 500 रुपए की वित्तीय मदद (Financial Aid) दी जाएगी।

वहीं, कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों को निपुण भारत मिशन (Nipun Bharat Mission) के तहत 500 रुपए की वित्तीय मदद दी जा रही है। योजना के तहत टीचर रिसोर्स पैकेज (Teacher Resource Package) या TRP में शिक्षकों को टेबलेट (Tablet) भी दिए जाएंगे।

क्या है निपुण भारत मिशन?

दरअसल, शिक्षा मंत्रालय ने बेहतर समझ और संख्यात्मक ज्ञान के साथ पढ़ाई में कुशलता और बच्चों को प्रवीण बनाने के लिए राष्ट्रीय पहल की है। इसका नाम 'निपुण ' दिया गया है। निपुण (NIPUN) शब्दों से मिलकर बना है जिसका इंग्लिश में अर्थ है 'National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy' ।

'निपुण' का उद्देश्य 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करना है। इस नीति का उद्देश्य देश में स्कूल तथा उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है। यह स्कूली शिक्षा के मूलभूत वर्षों में बच्चों तक शिक्षा की पहुंच प्रदान करने और उन्हें बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेगा। जिसके तहत, शिक्षक क्षमता निर्माण, उच्च गुणवत्ता और छात्र एवं शिक्षक संसाधनों, शिक्षण सामग्री का विकास तथा सीखने के परिणामों को लेकर प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर नजर रखना है।

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