Engineering Course: बायोलॉजी के छात्रों के लिए खुशखबरी, कर सकते हैं इंजीनियरिंग
Engineering Course For Biology Students: 12वी में बायोलॉजी पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। साइंस स्ट्रीम पढ़ने वाले छात्रों में एक मुख्य धारणा होती है कि जिसने मैथ्स लिया है वहीं इंजीनियरिंग करेगा और जिसने बायोलोजी लिया है वहीं मेडिकल करेगा। लेकिन अब बायलॉजी के छात्र भी इंजीनियरिंग को अपना करियर चुन सकते हैं। नहीं जानते हैं इंजीनियरिंग की इन शाखाओं के बारे में जहाँ बायोलॉजी के छात्र आवेदन कर सकती हैं।
Engineering Course For Biology Students: अब बायोलोजी के छात्र भी इंजीनीरिंग को अपना करियर चुन सकती हैं। इंजीनियरिंग में कुछ ऐसी शाखाएं हैं जिनमे बायलॉजी के छात्र एडमिशन लेकर आसानी से अपनी इंजीनयरिंग की डिग्री पूरी कर सकते हैं।
ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ़ टेक्निकल एजुकेशन ने किया नियमों में बदलाव
अखिल भारतीय तकनीकी परिषद ने फैसला लिया है की 12 वीं में बायोलोजी लेने वाले छात्र भी अब इंजीनियरिंग में दाखिला ले सकेंगे। यह फैसला इसलिए लिया गया है कि किन्हीं कारणों की वजह से अगर छात्र का मेडिकल में एडमिशन नहीं हो पाता है तो वह इंजीनियरिंग कर सकते हैं जिससे उनका समय बर्बाद न हो। एआईसीटीई ने इस संबंध में तकनीकी विश्वविद्यालय और कॉलेजों को अवगत करा दिया है।
अब विविध कोर्सों के छात्र इंजीनियरिंग में दाखिला ले सकते हैं
टेक्नोलोजिकल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंस के प्रशासक प्रमोद कुमार कहते हैं इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए छात्रों को गणित के साथ फिजिक्स केमिस्ट्री लेना होता था। अब विविध पृष्ठभूमि के छात्र इंजीनियरिंग में टेक्स्टाइल केमिस्ट्री, प्रिंटिंग, फैशन व लेदर टेक्नोलॉजी में दाखिला ले सकते हैं।
आइए जानते हैं इंजीनियरिंग में कौन सी शाखा है जिसमें बायो स्ट्रीम के छात्रों के लिए ढेरों संभावनाएँ है-
- बायोमेडिकल इंजीनियरिंग: विज्ञान की शाखा में इंजीनियरिंग के सिद्धांतों को मेडिकल व बायोलॉजिकल साइंस का संयोजन करके स्वास्थ्य संबंधी उपकरणों को डिजाइन वे तैयार किया जाता है। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग को मेडिकल डिवाइस पर रिसर्च, टेस्टिंग और मूल्यांकन संबंधित कार्य करना होता है।
- जेनेटिक इंजीनियरिंग: जेनेटिक इंजीनियरिंग विज्ञान की आधुनिक ब्रांच है। इसमें जीवित प्राणियों के डीएनए में मौजूद जेनेटिक को अत्याधुनिक तकनीक के जरिए परिवर्तित किया जाता है। जेनेटिक तकनीक के माध्यम से जीन्स की मदद से व्यक्ति और पेड़ पौधों में अच्छे गुणों को विकसित किया जाता है। जेनेटिक इंजीनियरिंग के बाद मेडिकल व फार्मास्यूटिकल कंपनी, ऐग्रिकल्चर सेक्टर प्राइवेट व गवर्नमेंट रिसर्च सेक्टर में जॉब कर सकते हैं।
- बायोटेक्नोलॉजी इंजीनीरिंग: बायो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल पेड़ पौधों, जानवरों, फूड प्रो़डक्ट के संवर्धन और उत्पाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। बायो टेक्नोलॉजी की शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र प्लांट और ऐग्रिकल्चर से जुड़े क्षेत्र, हेल्थ केयर डाइग्नोस्टिक, इंडस्ट्रियल बायोटेक्नोलॉजी, बायोडाइवर्सिटी कंजर्वेशन, टीचिंग एंड ट्रेनिंग से संबंधित कार्य कर सकते हैं।
- ऐग्रिकल्चरल इंजीनीरिंग: ऐग्रिकल्चरल इंजीनीरिंग में कृषि को बढ़ावा देने वाले प्रयास जैसे फसल की अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त मिट्टी, खाद्य पदार्थ बीज बायोलॉजिकल सिस्टम आदि से संबंधित बारीकियां सिखाई जाती है। इस क्षेत्र की छात्र फर्टिलाइजर और इरिगेशन कंपनी, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, इरीगेशन कंपनी, फार्मिंग कंपनी, एनजीओ में जॉब कर सकते हैं।
- फूड साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी इंजीनीरिंग: सभी डब्बाबंद फूड प्रोडक्ट्स में प्रयोग होने वाले रसायन, खाद्य पदार्थों के रख रखाव, पैक करने के तरीके एवं मार्केटिंग में रुचि रखने वाले छात्रों के लिए फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंजीनीरिंग एक बेहतर करियर ऑप्शन है। फूड टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में छात्र फूड प्रोसेसिंग कंपनी, होटल, रेस्टोरेंट, फूड रिसर्च लेबोरेटरी, एजुकेशन इन्स्टिट्यूट में अपना करियर बना सकते हैं।
- लैदर टेक्नोलॉजी: चमड़ा प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग की एक शाखा है जो चमड़े के सिंथेसिस, उत्पादन और शोधन से संबंधित है ताकि इसे कुशल उपयोग में लाया जा सके। यह कृत्रिम चमड़े के सिंथेसिस और वाणिज्यिक सामान बनाने के लिए इसके कुशल उपयोग से भी संबंधित है। लेदर इंजीनीरिंग के छात्र एक लेदर कंपनी या केमिकल इंजीनियर तौर par कार्य कर सकते है।