Maths In Engineering: पढ़ रहे इंजीनियरिंग, गणित में ही फिसड्डी
Maths In Engineering: इंजीनियरिंग की हर गणना गणित पर आधारित होती है, सो छात्रों के लिए अन्य विषयों के अलावा गणित में पारंगत होना जरूरी होता है। लेकिन छात्र गणित में ही फिसड्डी हैं।
Maths In Engineering: इंजीनियरिंग की पढ़ाई (engineering studies) में गणित (Maths) का बहुत बड़ा स्थान होता है। इंजीनियरिंग की हर गणना गणित पर आधारित होती है सो छात्रों के लिए अन्य विषयों के अलावा गणित में पारंगत होना जरूरी होता है। लेकिन छात्रों के बीच किये गए एक मूल्यांकन सर्वे से पता चला है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्र गणित में ही फिसड्डी हैं। ये हैरान करने वाली बात है। सिर्फ गणित ही नहीं, बल्कि एप्टीट्यूड और लॉजिकल रीजनिंग में भी इंजीनियरिंग छात्र बहुत कमजोर हैं। इससे साफ है कि इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स की बेरोजगारी (unemployment of engineering graduates) की एक बड़ी वजह क्या है।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग छात्र, किसी भी अन्य मुख्य विषय की तुलना में गणित के साथ कहीं ज्यादा संघर्ष करते हैं। इससे पता चलता है कि देश में इंजीनियरिंग शिक्षा का संकट क्या है।
सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों का मौलिक विषयों में सबसे कम प्रदर्शन
तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने और इंजीनियरिंग स्नातकों के रोजगार की संभावनाओं को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान करने के लिए किए गए सर्वेक्षण में सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों को मौलिक विषयों में सबसे कम प्रदर्शन करने वाला पाया गया।
सर्वेक्षण में 1.29 लाख छात्रों ने पिछले सितंबर और इस साल 7 जून के बीच भाग लिया था। सर्वे के रिजल्ट बताते हैं कि प्राथमिक कक्षाओं में मूलभूत शिक्षा के रूप में गणित की नींव ठीक से नहीं पड़ रही है। यानी प्राथमिक स्तर पर गणित सिखाने पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
सर्वेक्षण में सभी स्तरों के लिए एक योग्यता परीक्षा के अलावा, प्रथम वर्ष के छात्रों का भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित पर परीक्षण किया गया था, जबकि दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष के छात्रों का मूल्यांकन उनके विशेषज्ञता के क्षेत्र में योग्यता पर किया गया। तीसरे और चौथे वर्ष के छात्रों के लिए, समग्र स्कोर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) जैसे उभरते क्षेत्रों में उनके प्रदर्शन को भी ध्यान में रखा।
इंजीनियरिंग क्षेत्र में गणित के अध्ययन पर जोर देने की आवश्यकता
सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रथम वर्ष के 22,725 छात्रों के गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान में स्किल के स्तरों के विश्लेषण से पता चला है कि इंजीनियरिंग क्षेत्र में गणित के अध्ययन के लिए अधिक जोर देने की आवश्यकता है। "सिविल इंजीनियरिंग, गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान स्ट्रीम में सबसे कम प्रदर्शन करने वाला विभाग है। सिविल विभाग में मौलिक विषयों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering) के छात्रों ने गणित में औसतन 37.48 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग के छात्रों ने 38.9 फीसदी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने 39.48 फीसदी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने 40.02फीसदी और कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के छात्रों ने 40.12 फीसदी स्कोर प्राप्त किए।
भौतिकी में, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र 52.5 फीसदी के औसत स्कोर के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले थे। इसके बाद सीएसई के छात्रों ने 51 फीसदी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने 50 फीसदी, ईसीई के छात्रों ने 48.8 फीसदी और सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों ने 48.5 फीसदी अंक हासिल किए।
औसत स्कोर
रसायन विज्ञान में, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र 53.1 फीसदी के औसत स्कोर के साथ शीर्ष पर रहे, इसके बाद सीएसई के छात्रों ने 53 फीसदी, सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों ने 51.3 फीसदी, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने 50.7 फीसदी और ईसीई के छात्रों ने 50.4 फीसदी अंक हासिल किए।
समग्र रिपोर्ट कार्ड से पता चलता है कि दूसरे वर्ष के छात्र सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले थे, जबकि तीसरे और चौथे वर्ष के छात्रों के प्रदर्शन में स्पष्ट गिरावट देखी गई। उदाहरण के लिए, सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों के मामले में, कुल 100 में से औसत स्कोर, पहले वर्ष में 53.9 फीसदी से गिरकर चौथे वर्ष में 50.36 फीसदी हो गया। सीएसई के छात्रों के मामले में, यह पहले वर्ष में 54.78 फीसदी से गिरकर चौथे वर्ष में 50.83 फीसदी हो गया।
एप्टीट्यूड टेस्ट में भी यही ट्रेंड दिखाई दिया है। सिविल इंजीनियरिंग विभाग में, एप्टीट्यूड टेस्ट स्कोर पहले वर्ष में 52.6 फीसदी से गिरकर चौथे वर्ष में 47.3 फीसदी हो गया; सीएसई में यह 54.4 फीसदी से गिरकर 50.6 फीसदी हो गया।
सामान्य ज्ञान और लॉजिकल रीजनिंग पर भी ध्यान नहीं
रिपोर्ट बताती है कि छात्र धीरे-धीरे योग्यता से संबंधित विषयों जैसे सामान्य ज्ञान और लॉजिकल रीजनिंग पर ध्यान खो देते हैं। जबकि कंपनियां भर्ती करते समय इन्हीं को ध्यान में रखती हैं। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि तीसरे और चौथे वर्ष के इंजीनियरिंग छात्रों में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), एआई, डेटा साइंस, रोबोटिक्स और साइबर सुरक्षा जैसे उभरते क्षेत्र शामिल हैं।
यह भी देखा गया कि बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा और कॉलेज में प्रदर्शन के बीच सीधा संबंध है। बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 85 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों ने इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष में मूल्यांकन में औसतन 54.01 फीसदी अंक प्राप्त किए।
बेरोजगारी से चिंता
इंजीनियरिंग स्नातकों की रोजगार योग्यता एआईसीटीई के लिए चिंता का एक प्रमुख क्षेत्र बना हुआ है। नियामक के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में स्नातक करने वाले 5.8 लाख छात्रों में से 3.96 लाख को कैंपस प्लेसमेंट मिला।
एआईसीटीई ने स्वीकार किया था कि कॉलेजों में रिक्त सीटों की बड़ी संख्या इंजीनियरिंग शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट के कारणों में से एक है, जिससे छात्रों के ग्रेड और नौकरी की संभावनाएं प्रभावित होती हैं।
प्रवेश क्षमता के खिलाफ नामांकन संख्या के अनुसार, 2020-21 और 2019-20 में इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्नातक की 45 प्रतिशत सीटें खाली रहीं; 2018-19 में 49 प्रतिशत; और 2017-18 में 50 प्रतिशत सीटें खाली रहीं।