विश्वविद्यालयों में पढ़ाई का माहौल बनाने के लिए सरकार बनाये कानून

दरअसल इस केस की सुनवायी के दौरान केार्ट ने लखनउ विश्वविद्यालय के कुलपति व शासन से सुझाव मांगे थे कि किस प्रकार उच्च शिक्षण संस्थानेां का माहौल अच्छा बनाया जा सकता है।

Update: 2019-02-28 15:51 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले सरकारी विश्वविद्यालयों, कालेजों व अन्य संस्थाओं में कुछ छात्रेां की गुंडा गर्दी से पूरा माहौल खराब होने पर गंभीर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार को कानून बनाकर ऐसें उच्च शिक्षा संस्थानेां की गरिमा को बचाने व वहां पढ़ायी का माहौल दुरूस्त करने का निर्देश दिया है।

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कोर्ट ने कहा कि इस संबध में 6 महीने में जरूरी कानून बना लिया जाये। कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून बनाते समय लखनउ विश्वविद्यालय के कुलपति की ओर से आये सुझाअेां पर भी विचार किया जाये और जब तक इस दिशा में कानून नहीं बनता तब तक उन्ही सुझाओं पर अमल किया जाये।

यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस राजेश सिंह चैहान की बेचं ने लखनउ विश्वविद्यालय में 4 जुलाई 2018 केा हुई गुंडागर्दी के बाद घटना का स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज की गयी जनहित याचिका को गुरूवार को निस्तारित करते हुए पारित किया गया।

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केार्ट ने कहा कि सरकार उच्च शिक्षा के लिए भारी भरकम बजट आवंटित करती है किन्तु उच्च शैक्षिक संस्थानेां में माहौल अच्छा न होने के कारण मेरिटोरियस छात्र इन संस्थानेां की ओर आकर्षित नहीं होते। केार्ट की चिन्ता थी कि इस संस्थानेां में पढ़ायी का माहौल बने न कि ये मात्र कुछ छात्रेां की राजनीतिक महत्वाकांक्षा का अड्डा मात्र बनकर रह जायें।

दरअसल इस केस की सुनवायी के दौरान केार्ट ने लखनउ विश्वविद्यालय के कुलपति व शासन से सुझाव मांगे थे कि किस प्रकार उच्च शिक्षण संस्थानेां का माहौल अच्छा बनाया जा सकता है। जिसके बाद लखनउ विश्वविद्यालय के कुलपति ने 29 अक्टूबर 2018 केा अपने सुझाव कोर्ट केा पेश किये थे। इन सुझावेां में अन्य बातों के साथ साथ यह भी था कि कैम्पस में छात्रेां केा धरने प्रदर्शन से पहले कुलपति या प्रशासन की अनुमति जरूरी हो तथा हर साल सुरक्षा के बावत आडिट होना चाहिए।

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