UP की क्षेत्रीय भाषाओं को मिलेगी इंटरनेशनल पहचान, LU में चलेंगे कई कोर्सेज

इस सेंटर को यूपी सरकार की ओर से 38.60 लाख रुपए का फंड जारी किया गया है। प्रों पांडेय ने बताया कि इससे इंफ्रास्टक्चर और वेबसाइट डिजाइनिंग में लगाया जाएगा। लेकिन अभी इस सेंटर को शुरू करने के लिए एलयू में जगह नहीं मिली है। ऐसे में बिल्डिंग बनाने के लिए 20 लाख रुपए बजट और मांगा गया है। हालांकि, ओएनजीसी बिल्डिंग में इस सेंटर को शुरू करने की मंजूरी मिल जाती है तो बिना जगह के फंड के ही इस सेंटर को शुरू किया जा सकेगा।

Update:2016-09-25 17:14 IST

लखनऊ : लखनऊ यूनिवर्सिटी (एलयू) में जल्द ही सेंटर फॉर लैंग्वेजेस कल्चरल टेक्स्ट रिकॉर्ड एंड ट्रांसलेशन ऑफ इंडियन लिट्रेचर बनने जा जा रहा है। एलयू में अब यूपी की क्षेत्रीय भाषाओं को इंटरनेशनल पहचान दिलाएगी।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोशन

-इस तहत यूपी की 6 बोलियों और भाषा भोजपुरी, हिंदी, अवधि, संस्कृत, उर्दू और पर्शियन के साहित्य का अंग्रेजी में अनुवाद किया जाएगा।

-इसके बाद इसका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोशन किया जाएगा।

-इसमें भाषाओं के साथ फोल्क, रहन-सहन, खान-पान और पहनावे सहित पूरी संस्कृति का प्रमोशन होगा।

शुरू होंगे कई कोर्स

-सेंटर फॉर कल्चरल टेक्स्ट के तहत कई कोर्सों को चलाने का प्रपोजल भी भेजा गया है।

-इसमें एमए इन ट्रांस्लेशन समेत कई सर्टिफिकेशन कोर्स शुरू किए जाएंगे।

-प्रो. निशी पांडेय ने बताया कि इन कोर्सों में छात्रों को सिर्फ भाषा का अनुवाद करने के साथ साथ टरांसलेशन की हर फील्ड में स्पेश्लाइज्ड भी किया जाएगा।

यूपी सरकार ने दिया फंड

-इस सेंटर को यूपी सरकार की ओर से 38.60 लाख रुपए का फंड जारी किया गया है।

-प्रों पांडेय ने बताया कि इससे इंफ्रास्टक्चर और वेबसाइट डिजाइनिंग में लगाया जाएगा। लेकिन अभी इस सेंटर को शुरू करने के लिए एलयू में जगह नहीं मिली है।

-ऐसे में बिल्डिंग बनाने के लिए 20 लाख रुपए बजट और मांगा गया है।

-हालांकि, ओएनजीसी बिल्डिंग में इस सेंटर को शुरू करने की मंजूरी मिल जाती है तो बिना जगह के फंड के ही इस सेंटर को शुरू किया जा सकेगा।

पोर्टल पर रिलीज होगा कंटेंट

-ट्रांसलेशन के लिए एक पोर्टल का निर्माण किया जाएगा।

-इन भाषाओं का जितना भी अनुवाद होगा उसे इस पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।

-सेंटर की इंचार्ज प्रों निशी पांडेय ने बताया कि वेब पोर्टल पर सिर्फ तमिल, तेलुगु, मराठी,

और बंगाली भाषाओं के साहित्य अंग्रेजी में मिलते थे।

-यहीं कारण है कि इन भाषाओं की दुनिया में पहचान है, जबकि अवधि उर्दू और पर्शियन में इससे

बेहतर साहित्य मौजूद है।

-उन्होंने बताया कि एलयू की नवनिर्मित ओएनजीसी की बिल्डिंग में इस सेंटर को

खोलने की तैयारी का प्रपोजल वीसी प्रो. एसबी निमसे को भेजा गया है।

-इस सेंटर के लिए जो प्रपोजल दिया गया है, इसमें इन भाषाओं के साहित्य शामिल हैं।

-इन भाषाओं के क्षेत्र और वर्तमान लोकप्रियता समेत हर पहलू पर शोध होगा।

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