विदेश से MBBS करने वाले भारतीय छात्रों को भी देना होगा NEET एग्जाम

विदेश से MBBS करने की इच्छा रखने वाले भारतीय स्टूडेंट्स को भी जल्द ही मेडिकल के नेशनल एलिजिबिलटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) से गुजरना पड़ेगा। इस टेस्ट में निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त करने पर ही कैंडिडेट्स को विदेशी इंस्टीट्यूट से मेडिकल की पढ़ाई करने की अनुमति दी जाएगी। इसका उद्देश्य पैसे और संपर्कों के दम पर विदेशी संस्थानों से मेडिकल की डिग्री प्राप्त करने वालों पर लगाम लगाना है।

Update: 2017-05-24 07:59 GMT

नई दिल्ली : विदेश से MBBS करने की इच्छा रखने वाले भारतीय स्टूडेंट्स को भी जल्द ही मेडिकल के नेशनल एलिजिबिलटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) से गुजरना पड़ेगा। इस टेस्ट में निर्धारित न्यूनतम अंक प्राप्त करने पर ही कैंडिडेट्स को विदेशी इंस्टीट्यूट से मेडिकल की पढ़ाई करने की अनुमति दी जाएगी। इसका उद्देश्य पैसे और संपर्कों के दम पर विदेशी संस्थानों से मेडिकल की डिग्री प्राप्त करने वालों पर लगाम लगाना है।

अगले साल से अमल होने के आसार

-केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय फिलहाल इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए जरूरी कार्रवाई कर रहा है।

-अगले साल इस योजना पर से अमल होने की संभावना हैं।

-सूत्रों का कहना है कि विदेशी मेडिकल इंस्टीट्यूट में योग्यता का ध्यान नहीं रखा जाता और महज पैसे के दम पर वहां दाखिला मिल जाता है। -ऐसे में अयोग्य छात्र भी मेडिकल की डिग्री हासिल कर लेते हैं।

-वापस भारत आने पर इन स्टूडेंट्स को प्रैक्टिस करने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) का स्क्रीनिंग टेस्ट पास करना होता है और इसमें ज्यादातर छात्र नाकाम हो जाते हैं।

छात्रों के लिए नीट अनिवार्य

-पिछले 5 साल के दौरान एमसीआई का स्क्रीनिंग टेस्ट पास करने वाले छात्रों का प्रतिशत 13 से 27 प्रतिशत के करीब रहा है।

-देश में किसी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन न मिल पाने पर अधिकतर भारतीय छात्र चीन, रूस, बांग्लादेश, नेपाल और यूक्रेन आदि से MBBS कर लेते हैं।

-सरकार का इरादा है कि जो छात्र नीट में निर्धारित अंक प्राप्त करेगा उसे ही विदेश से मेडिकल की पढ़ाई के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।

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