NEET-JEE परीक्षा: अब अकादमिक जगत ने PM मोदी को लिखा पत्र, की ये बड़ी मांग

जेईई-नीट की परीक्षा को लेकर अकादमिक समुदाय ने पीएम मोदी  को इसके आयोजन का समर्थन करने के लिए एक पत्र लिखा है। उन्होनें यह उम्मीद जताई है कि परीक्षा के आयोजन से छात्रों को एक वर्ष नहीं गंवाना पड़ेगा।

Update: 2020-08-27 04:04 GMT
अकादमिक जगत ने PM मोदी को लिखा पत्र

नई दिल्ली : जेईई-नीट की परीक्षा को लेकर अकादमिक समुदाय ने पीएम मोदी को इसके आयोजन का समर्थन करने के लिए एक पत्र लिखा है। उन्होनें यह उम्मीद जताई है कि परीक्षा के आयोजन से छात्रों को एक वर्ष नहीं गंवाना पड़ेगा। यह समर्थन शिक्षकों के एक समूह द्वारा किया गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि जेईई (JEE Mains) और (NEET UG) परीक्षा पहले से तय तारीखों पर ही आयोजित की जाएंगी।

 

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सोशल डिस्टेंसिंग

बता दें कि जेईई (JEE Main) एग्जाम 1 से 6 सितंबर के बीच होना है जबकि नीट(NEET (UG) एग्जाम 13 सितंबर को होना है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने दावा किया है कि NEET और JEE परीक्षा को सुरक्षित रूप से आयोजित करने के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाई है, सोशल डिस्टेंसिंग के अनुसार बैठने की व्यवस्था की है और परीक्षा केंद्र में प्रवेश और निकास की खास व्यवस्था की है।

 

छात्रों का साल नहीं होगा बर्बाद

प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में अकादमिक जगत से जुड़े लोगों ने जेईई/एनईईटी परीक्षा के संचालन का समर्थन किया है। साथ ही कहा है कि उम्मीद है कि छात्रों को एक वर्ष गंवाना नहीं पड़ेगा। परीक्षा के समर्थन में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) के प्रोफेसर सीबी शर्मा, दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्री प्रकाश सिंह, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार के वीसी प्रोफेसर संजीव शर्मा, डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी, गुजरात के वीसी अमी उपाध्याय, केरल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रो-वीसी प्रोफेसर जयप्रसाद आदि ने परीक्षा के समर्थन में पीएम मोदी को पत्र लिखा है।

 

 

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विरोध के बीच परीक्षा

अकादमिक जगत से जुड़े लोगों ने यह पत्र उस समय लिखा जब छात्रों और कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने कोरोना संकट के बीच जेईई/एनईईटी परीक्षा कराये जाने का विरोध किया है। 7 गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वो सितंबर में प्रस्तावित इस परीक्षा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री विरोध जता चुके हैं।

बता दें कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जेईई और नीट जैसी परीक्षाएं कराये जाने को अनिवार्य बताया है। एजेंसी ने कहा है कि अगर इसे शून्य वर्ष मानते हैं, तो हमारी प्रणाली एक सत्र में दो साल के उम्मीदवारों को कैसे समायोजित कर पाएगी। कोविड-19 के चलते परीक्षा रद्द करना जरूरी है।

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