शिक्षामित्रों को तगड़ा झटका: 68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में नहीं मिलेगा भारांक
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों द्वारा बेसिक शिक्षा परिषद की 68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में वेटेज देने की की याचिका को खारिज कर दिया है जिससे शिक्षामित्रों को तगड़ा झटका लगा है।
बता दें कि चीफ जस्टिस डीबी भोसले व् न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कुल भूषण व अन्य की दाखिल अपील की सुनवाई करते हुए अपने अादेश में कहा कि लिखित परीक्षा में न्यूनतम कट ऑफ हासिल करने वाले शिक्षामित्रों को ही वेटेज अंकों का लाभ मिलेगा। गैर पास शिक्षामित्रों को भारांक (वेटेज) नहीं मिलेगा। शिक्षामित्र चाहते थे कि भर्ती की लिखित परीक्षा में मिले अंकों में वेटेज अंक जोड़कर उत्तीर्ण होने वालों को मौका दिया जाए।
गौरतलब है कि राजकीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए आयोजित लिखित परीक्षा में 7224 शिक्षामित्र उत्तीर्ण हुए हैं। वहीं, 33 हजार से अधिक पदों पर बीएड, बीटीसी अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। शिक्षामित्रों की मांगों को लेकर संघर्ष करने वाले संगठनों के अधिकतर नेता सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सके।
ये है शिक्षामित्रों का पूरा घटनाक्रम
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गत वर्ष जुलाई में प्रदेश के 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द करने के बाद हुए आंदोलन के बाद सरकार ने शिक्षामित्रों को राहत देने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की। टीईटी के बाद सरकार ने 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती निकालकर शिक्षामित्रों को अधिकतम 25 बोनस अंक भी देने की घोषणा की थी।
सहायक अध्यापक के 68,500 पदों पर भर्ती के लिए 27 मई को आयोजित लिखित परीक्षा में कुल 1,07,873 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। टीईटी उत्तीर्ण करीब 38 हजार शिक्षामित्रों में से 34,311 शिक्षामित्रों ने सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा दी थी। 13 अगस्त को जारी परिणाम में उत्तीर्ण 41,556 अभ्यर्थियों में 7224 शिक्षामित्र हैं।
68500 सहायक शिक्षक भर्ती में कापियां बदलने के मामले प्रदेश सरकार को फटकार
68500 सहायक शिक्षक भर्ती के एक और मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति इरशाद अली की बेंच ने मंगलवार को सोनिका देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई है। इस भर्ती में कापियां बदलने के मामले की धीमी जांच पर कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि तीन हफ्ते बीतने के बाद भी सरकार दोषियों का पता नहीं लगा सकी है। कोर्ट ने 27 सितंबर को जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी है। ऐसा न होने पर जांच समिति के चेयरमैन को हाजिर होने का निर्देश भी दिया गया है।