PCS-J: दोस्तों का साथ टीचर्स का आशीर्वाद और पैरेंट्स के सपनों ने बनाया जज
लखनऊ: पीसीएस-जे 2015 में सफल होने वाले अभ्यर्थियों में एक नाम प्रफुल्ल कुमार चौधरी(150 वीं रैंक) का भी है। प्रफुल्ल न्याय की कुर्सी पर बैठकर जरुरत मंदों, गरीबों और असहायों के लिए कुछ करना चाहते हैं। इसकी वजह वे बताते हैं कि पहले जनता हमपर विश्वास करती है और दूसरी वे स्वयं ही बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। संत कबीर नगर के छोटे से गांव करौता से आने वाले प्रफुल्ल कुमार चौधरी के पिता एक सामान्य किसान है और काम धंधा करके अपने बच्चों को तालीम देने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या कहते हैं प्रफुल्ल चौधरी?
-उनकी इस सफलता का बीजारोपण बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में हुआ।
-जब 2009 में एलएलबी में उनका दाखिला हुआ।
-इसके बाद सीनियर्स और टीचर्स से मोटीवेट हुए।
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-उनके मां बाप का सपना था कि प्रफुल्ल एक अधिकारी बने।
-प्रफुल्ल का कहना है कि मां बाप की आंखों में उम्मीदों ने मुझे हौसला दिया।
-टीचर्स ने राह दिखाई और दोस्तों ने इस बात का यकीन दिलाया कि मैं कुछ भी कर सकता हूं।
-फिर क्या था तैयारी में जुट गया. लेकिन पढ़ाई के लिए घर से बाहर रहने के लिए हॉस्टल चाहिए था।
-यह जरुरत भी लखनऊ के बीबीएयू से पूरी हो गई।
-एलएलबी पूरी होने पर उन्हें बीबीएयू से एलएलएम में दाखिला मिल गया।
-एलएलएम पूरा होने के बाद भी पढ़ाई जारी रखी और बीएचयू से पीएचडी करने लगे।
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पहले प्रयास में नहीं थी तैयारी दूसरे में बाजी मारी
प्रफुल्ल ने कहा कि यह उनका दूसरा प्रयास था, पहले प्रयास में वह अपने पीएचडी के एडमिशन और अन्य कामों में मशगूल हो गए जिससे उन्हें तैयारी का मौक़ा नहीं मिला। दोस्तों के कहने पर बिना तैयारी के ही एग्जाम दिया तो सफलता नहीं मिली लेकिन दूसरी बार योजना बद्ध तरीके से तैयारी की और अपना सेलेक्शन सुनिश्चित किया।
परिवार के साथ साथ गुरुजन और दोस्तों का है सहयोग
प्रफुल्ल ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पिता राजमन चौधरी माता सत्यभामा चौधरी के साथ साथ अपने गुरुजनों और दोस्तों को देते हैं, जिन्होंने कभी भी उनके हौसलों को थकने नहीं दिया और जिनके सपनो ने उन्हें सोने नहीं दिया।