RO /aro Paper Leak: अभ्यर्थियों ने उठाए सवाल, बोले- सरकारी प्रेस होने के बाद भी निजी प्रिंटिंग प्रेस पर भरोसा क्यों?

RO /aro Paper Leak: नीट यूपी पेपर से पहले यूपी में आरओ/एआरओ और उससे पहले एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती का पेपर भी प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ था। लगातार गड़बड़ियों के बाद भी यूपीपीएससी अपनी कार्यप्रणाली में कोई सुधार करता नहीं दिख रहा है।

Update:2024-06-25 17:45 IST

RO /aro Paper Leak

RO /aro Paper Leak: नीट यूजी पेपर लीक मामला पूरे देश में सुर्खियों में है। छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। वे सरकार और एनटीए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब किसी परीक्षा का पेपर लीक हुआ है। कुछ दिन पहले ही यूपी में समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक होने का मामला सामने आया था, जिसकी जांच कर रही यूपी एसटीएफ ने खुलासा किया है कि पेपर भोपाल की एक प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ था। इससे पहले एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती का पेपर भी प्रिंटिंग प्रेस से ही लीक होने के आरोप लगे थे। वहीं नीट के पेपर भी प्रिंटिंग प्रेस से ही लीक होने के आरोप लग रहे हैं। इस तरह से देखा जाए तो कई परीक्षाओं के पेपर प्रिंटिंग प्रेस से ही लीक हुए। अब ऐसे में यहां परीक्षा कराने संस्थाओं पर सवाल उठना तो लाजमी है।

निजी प्रिंटिंग प्रेस पर इतना भरोसा क्यों?

अभ्यर्थियों ने इस पर सवाल उठाए हैं कि जब प्रदेश में सरकारी प्रिंटिंग प्रेस है उसके बावजूद आयोग को निजी प्रिंटिंग प्रेस पर इतना भरोसा क्यों है? हालांकि, परीक्षाओं में शुचिता और पेपरों की सुरक्षा को लेकर पहले भी यह मांग उठती रही है कि भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्र सरकारी प्रिंटिंग प्रेस में ही छपवाए जाएं।


2018 में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती का पेपर भी हो गया था लीक-

यही नहीं कई वर्षों पहले प्रयागराज की गवर्नमेंट प्रेस में प्रश्न पत्र छपवाए जाने का प्रस्ताव भी रखा गया था, लेकिन यह प्रस्ताव केवल कागजों में ही सीमित रह गया और भर्ती संस्थाएं अपने हिसाब से निजी प्रिंटिंग प्रेसों में पेपर छपवाती रहीं। इससे पहले मार्च 2018 में एलटी ग्रेड शिक्षक के 10768 पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। इस परीक्षा में हिंदी और सामाजिक विज्ञान विषय के पेपर लीक होने के आरोप लगे थे। मामले में जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी। जांच में सामने आया था कि पेपर कोलकाता, पश्चिम बंगाल की एक निजी प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुए थे। इस मामले में एसटीएफ ने प्रिंटिंग प्रेस संचालक को गिरफ्तार किया था। बाद में आयोग की तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को भी गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई थी।


नीट के पेपर भी प्रिंटिंग प्रेस से ही हुए थे लीक?

अब तो नीट में भी अहमदाबाद की निजी प्रिंटिंग प्रेस से पेपर लीक होने की बात सामने आ रही है। पेपर लीक में निजी प्रिंटिंग प्रेसों की संलिप्तता सामने आने के बावजूद इस दिशा में कोई सुधार नहीं किया गया। वहीं अभ्यर्थी सवाल उठा रहे हैं कि सरकारी प्रिंटिंग प्रेसों में पेपर क्यों नहीं छपवाए जाते, जबकि सरकार के सभी गोपनीय दस्तावेज इन्हीं प्रिंटिंग प्रेसों में छपवाए जाते हैं।


निजी प्रिंटिंग प्रेसों पर कोई नियंत्रण नहीं

पेपरों की गोपनीयता को लेकर निजी प्रिंटिंग प्रेसों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता है और ऐसे में पेपर लीक जैसी घटनाओं में किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की सीधे तौर पर कोई जवाबदेही नहीं रह जाती है। इसी वजह से लगातार मांग की जा रही है कि पेपर सरकारी प्रिंटिंग प्रेसों में ही छपवाए जाएं, ताकि अफसरों और कर्मचारियों की जवाबदेही भी तय हो सके।


जब प्रेस का नाम गोपनीय तो कैसे पहुंचे माफिया

यूपीपीएससी में परीक्षा नियंत्रक को छोड़कर कोई नहीं जानता कि प्रश्न पत्र किस प्रिंटिंग प्रेस में छपवाने के लिए भेजे जाते हैं। ऐसे में नकल माफिया संबंधित प्रिंटिंग प्रेसों तक आखिर कैसे पहुंच जा रहे हैं। यह सूचना आखिर नकल माफिया तक किसके माध्यम से पहुंचाई जा रही है कि प्रश्न पत्र छपवाने के लिए कहां भेजे गए हैं।


अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय एवं अन्य प्रतियोगी छात्रों ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है। जिसमें मांग की है कि सभी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र केवल सरकारी प्रिंटिंग प्रेसों में ही छपवाए जाएं। वहीं साथ ही यह भी मांग की गई कि निजी एजेंसियों के माध्यम से परीक्षा न कराई जाए। परीक्षा के आयोजन के लिए अलग से सरकारी तंत्र विकसित किया जाए। जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।

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