बीएड विशेष शिक्षा के अभ्यर्थियों को UPTET में बैठने देने का निर्देश: हाईकोर्ट

Update:2018-10-05 18:55 IST

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुनर्वास परिषद् नई दिल्ली (आर.सी.आई) के बीएड (विशेष शिक्षा) डिग्री धारकों को भी यूपी टीईटी परीक्षा 2018 में बैठने देने का आदेश शुक्रवार को दिया है। एन.सी.टी.ई व राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति एस.डी सिंह ने आशुतोष कुमार सिंह व अन्य दस लोगों की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि आर.सी.आई को एन.सी.टी.ई से मान्यता प्राप्त है। 23 अगस्त 2010 को इसके द्वारा जारी अधिसूचना में बीएड विशेष शिक्षा डिग्री को मान्य किया गया है। इस डिग्री को कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए अर्ह माना गया है। बीएड विशेष को बीएड सामान्य डिग्री के समकक्ष माना गया है। किन्तु प्रदेश सरकार 28 जून 2018 के विज्ञापन से केवल बीएड डिग्री धारकों को ही मान्य करार दिया है और बीएड विशेष शिक्षा डिग्री धारकों को इस यूपी टीईटी परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही है। वैध डिग्री होने के बावजूद उन्हें टीईटी परीक्षा में बैठने से रोकना गलत है।

एनसीटीई को ये मिला निर्देश

एन.सी.टी.ई को कोर्ट ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करे कि बीएड विशेष बीएड के समकक्ष डिग्री है या नहीं। एनसीटीई के अधिवक्ता का कहना है कि यह डिग्री विशेष प्रकार के बच्चों को पढ़ाने के लिए मान्य है। सामान्य छात्रों पर लागू नहीं होगी। राज्य सरकार ने भी इसी तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि बीएड विशेष शिक्षा को यूपी टीईटी में शामिल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने याचियों को प्राविजनल तौर पर परीक्षा में बैठने देने का निर्देश दिया और कहा है कि यह याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगी।

 

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बीटीसी तृतीय सेमेस्टर के परिणाम में गड़बड़ी की जांच के लिए कमेटी बनाने का आदेश

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीटीसी तृतीय सेमेस्टर परीक्षा के परिणाम में हुई धांधली की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को निर्देश दिया है कि वह अपनी अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर पूरे मामले की जांच करे और 23 अक्टूबर को इसकी जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में दे। विकास और 31 अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति एम.के.गुप्ता सुनवाई कर रही है। इससे पूर्व कोर्ट ने सचिव से इस मामले की जानकारी मांगी थी। उनकी ओर से बताया गया कि सभी डायटों से 20 सितम्बर तक रिपोर्ट मांगी थी मगर रिपोर्ट नहीं मिल सकी। सचिव ने कहा कि जल्दी इस मामले में उपचारात्मक कार्यवाई करेंगे। याची के अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह का कहना था कि परीक्षा परिणाम घोषित करने में व्यापक अनियमितता की गयी है। अधिकतम 25 अंक पाये प्रश्न पत्र में 29 अंक दे दिये गये। याचिका में इससे संबंधित साक्ष्य भी लगाये गये थे। याचीगण का कहना था कि चौथे सेमेस्टर की परीक्षा जल्दी ही प्रारंभ होने वाली है। कोर्ट ने सचिव को जांच कर 23 अक्टूबर को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।

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