बिहार की राह चला UP बोर्ड, टॉपरों पर एक बार फिर उठ रही उंगली
यूपी बोर्ड ने 9 जून को 10वीं और 12वीं के बोर्ड के नतीजे घोषित किए। इस बार दोनों ही कक्षाओं में यूपी टॉप करने वाली छात्राएं सामान्य प्रश्नों पर भी हड़बड़ाती नजर आईं। इतना ही नहीं हाईस्कूल टॉपर ने अपनी सफलता का राज खोलते हुए बताया कि परीक्षाकक्ष में टीचर भी प्रश्नों के उत्तर बता देते थे।
लखनऊ : यूपी बोर्ड ने 9 जून को 10वीं और 12वीं के बोर्ड के नतीजे घोषित किए। इस बार दोनों ही कक्षाओं में यूपी टॉप करने वाली छात्राएं सामान्य प्रश्नों पर भी हड़बड़ाती नजर आईं। इतना ही नहीं हाईस्कूल टॉपर ने अपनी सफलता का राज खोलते हुए बताया कि परीक्षाकक्ष में टीचर भी प्रश्नों के उत्तर बता देते थे। ऐसे में बिहार बोर्ड के तर्ज पर यूपी में भी बोर्ड परीक्षा की आड़ में होने वाले बड़े खेल से इंकार नहीं किया जा सकता ।
एक ही जिले के 10वीं और 12वीं की टॉपर
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 9 जून को 10वीं और 12वीं के बोर्ड परिणाम घोषित किए। यूपी बोर्ड के परीक्षा परिणामों की घोषणा के बाद से बिहार के टॉपरों को लेकर चल रही चर्चा ने यूपी टॉपरों को लेकर एक बार फिर से तूल पकड़ लिया। इस बार यूपी टॉप करने वाली 12वीं की प्रियांशी तिवारी और दसवीं की तेजस्वी देवी एक ही जिले फतेहपुर की निकलीं। फतेहपुर के लिए ये गर्व की बात है। लेकिन जब दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा टॉप करने वाली तेजस्वी देवी (जिन्होंने 95.83 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं) कहती हैं कि जिन प्रश्नों का उत्तर नहीं आता था, वह कक्ष में मौजूद टीचर उन्हें बता देते थे, तो निश्चित रूप से यह बोर्ड परीक्षा परिणामों पर शंका पैदा करने लगता है। इसके अलावा यह भी समझ से परे है कि कैसे फतेहपुर की मेधावी छात्राओं में टॉप टेन में जगह बनाने वाली कई छात्राओं के परीक्षा केंद्र और यहां तक की परीक्षा कक्ष भी एक ही आवंटित हो गए। क्या इन मेधावियों पर मां सरस्वती की सीधी कृपा बरस रही है या फिर यूपी बोर्ड पर भी बिहार की तर्ज पर नकल माफियाओं का काला साया पड़ गया है।
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बलिया में 15 टॉपरों में से 11 एक ही स्कूल के
यूपी के बलिया जिले के हाईस्कूल के 15 टॉपरों में से 11 टॉपर तिलेश्वरी देवी इंटर कॉलेज के ही हैं। इतना ही नहीं बल्कि 12वीं के परिणामों पर गौर करें तो जिले के टॉप 15 में 13 मेधावी इसी कॉलेज के हैं। यह वहीं कॉलेज हैं जिसमें बोर्ड परीक्षा के दौरान सचल दस्ते ने कुछ छात्रों को छात्राओं के स्थान पर परीक्षा देते पकड़ा था। सूत्रों की मानें तो कुछ छात्रों ने बोर्ड फॉर्म भरने के दौरान अपना जेंडर मेल न लिखकर फीमेल लिख दिया था। इसके चलते उन्हें होम सेंटर में ही परीक्षा देने का मौका मिल गया था। अब इसी स्कूल के 11 बच्चों को जिले के टॉप 15 मेधावियों की लिस्ट में जगह बनाना शंका पैदा कर रहा है।
‘अपना भारत’ के सवालों से हड़बड़ाए टॉपर्स
यूपी के फतेहपुर, बलिया और हरदोई के अलावा यूपी की राजधानी लखनऊ के टॉपर्स भी सवालों का जवाब सही तरीके से नहीं दे पाए। जब ‘अपना भारत’ के संवाददाता ने एक निजी स्कूल के टॉपरों से बात की तो मैथ में सबसे ज्यादा नंबर लाने वाले ये मेधावी फॉर्मूलों में अटक गए। इसके अलावा कुछ और सवालों के जवाब देने में भी हड़बड़ाते नजर आए।
मैथ में 96 अंक, लेकिन फॉर्मूला नहीं पता।
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टॉपर्स पर संदेह
अपना भारत के संवाददाता टॉपर्स के ज्ञान का पता लगाने के लिए राजधानी के सेंट मीराज इण्टर कॉलेज पहुंचे। वहां 12वीं की टॉपर पल्लवी यादव और सिमरन चौधरी बैठी हुई थीं। स्कूल के मालिक विनोद रात्रा ने उनका परिचय करवाते हुए बताया कि ये दोनों हमारे यहां के मेधावी हैं। इसके बाद जब रिपोर्टर ने उनसे फिजिक्स और केमिस्ट्री के कुछ सवाल पूछे तो दोनों हड़बड़ा गईं। फिजिक्स में एनर्जी का फॉर्मूला बताने में भी दोनों मेधावी कई बार अटकीं। वहीं मैथ में त्रिभुज का क्षेत्रफल निकालने वाले ‘हीरोज फार्मूला’ के बारे में पूछने पर टॉपर सिमरन चौधरी ने कहा- 'ऐसा कुछ होता है क्या।' जब संवाददाता ने उन्हें इस फार्मूला के बारे में बताया तो उन्होंने अंदाजे से जवाब देने की कोशिश की, लेकिन फिर भी पूरा फार्मूला सही से नहीं बता सकीं। यहां ये बता देना जरूरी है कि पल्लवी यादव के मैथ में 96 और सिमरन चौधरी के 93 अंक आए हैं। इतना ही नहीं पल्लवी यादव और सिमरन चौधरी दोनों मेरिट में भी शामिल हैं। ऐसे में इनका बेसिक सवालों के पूछे जाने पर हड़बड़ाना शंका पैदा करता है।
हाईस्कूल रिजल्ट 2017 में एक ही स्कूल के ज्यादातर टॉपर
इस साल के हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा परिणामों पर गौर करें तो यूपी के फतेहपुर जनपद के जय मां एसजीएम इंटर कॉलेज की तेजस्वी देवी ने 95.83 प्रतिशत के साथ प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया। वहीं इसी स्कूल की उषा देवी ने 95 प्रतिशत अंकों के साथ यूपी में चौथा स्थान प्राप्त किया। वहीं यूपी के हरदोई जिले के माधोगंज स्थित लखनऊ पब्लिक स्कूल के क्षितिज सिंह और नवनीत कुमार दिवाकर ने 95.33 प्रतिशत के साथ संयुक्त रूप से दूसरा स्थान हासिल किया। इसी स्कूल के रिव पटेल ने 95.17 प्रतिशत के साथ यूपी में तीसरा स्थान हासिल किया। इसी प्रकार कानपुर जिले के सरदार पटेल इंटर कॉलेज की निशा यादव और प्रिया अवस्थी ने 95 प्रतिशत अंक लाकर संयुक्त रूप से प्रदेश में चौथा स्थान हासिल कर लिया। इन्हीं स्कूलों के ज्यादातर छात्रों पर सरस्वती मां की विशेष कृपा रही है। जब तेजस्वी यादव से उनकी सफलता का राज पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया जो प्रश्न उसे नहीं आते थे, उसका जवाब उसे कक्ष में मौजूद टीचर बता देते थे, तो ऐसे में परीक्षा की शुचिता पर सवाल खड़े होने लगते हैं।
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इंटर रिजल्ट 2017 में टॉप फाइव में एक स्कूल की 4 छात्राएं
इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा के इस साल के परिणामों पर गौर करें तो पाएंगे कि फतेहपुर जिले के एक स्कूल से ही टॉप फाइव रैंकरों में से चार छात्राएं शामिल हैं। यूपी के फतेहपुर जिले के सरस्वती बाल मंदिर इंटर कॉलेज रघुवंशपुरम की 4 छात्राओं प्रियांशी तिवारी (96.20 प्रतिशत, रैंक 1), सोनम सिंह (95.80, रैंक 2), दर्शिका सिंह (95.20 प्रतिशत, रैंक 4) और आकांक्षा (95 प्रतिशत, रैंक 5) शामिल हैं। इतना ही नहीं टॉप 50 में भी इस स्कूल की अधिकतर छात्राएं शामिल हैं। इन चारों छात्राओं का परीक्षा केंद्र और यहां तक कि परीक्षा कक्ष भी एक ही था। इतना ही नहीं मेरिट लिस्ट के मुताबिक सरस्वती बाल मंदिर इंटरव्यू कॉलेज की ही 23 छात्राओं ने मेरिट में जगह बना ली। यह सब महज संयोग है या कुछ और इसे लेकर यूपी में चर्चाएं जोरों पर हैं।
किसी एक जिले पर विशेष कृपा
यूपी बोर्ड के पिछले कई सालों के परिणाम उठाकर देखें तो किसी एक ही जिले पर एक साल में बोर्ड की कृपा रहती है। इतना ही नहीं पिछले ढाई दशकों में बोर्ड के टॉपरों से लेकर तैयार होने वाली मेरिट लिस्ट पर हमेशा सवाल खड़े होते रहे हैं। 1980 और 1990 के दशक में लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल के छात्र यूपी बोर्ड में लगातार परचम फहराते आए थे। इसके बाद दूसरे स्कूलों से मेधावी निकलने लगे और खासकर एक ही स्कूल से कई मेधावी निकलने का सिलसिला शुरू हुआ। साल 1995 से लेकर 2002 तक कानपुर के बीएनएसडी शिक्षा निकेतन से काफी छात्र मेरिट में आने लगे थे। लगातार एक ही कालेज से बड़ी संख्या में मेधावियों के निकलने पर सवाल भी खड़े हुए थे। इसके बाद लखनऊ के रजत गल्र्स कॉलेज, लखनऊ पब्लिक कॉलेज और बाराबंकी के महारानी लक्ष्मीबाई इंटरव्यू कॉलेज जैसे स्कूलों का दबदबा हो गया। अब तो यूपी बोर्ड ने इसी ट्रेंड को फॉलो करना शुरू कर दिया है। आमतौर पर हर साल बोर्ड परिणामों में एक ही जिला या स्कूल टॉपरों की फैक्ट्री के रूप में उभरकर मेरिट लिस्ट में छा जाता है।
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किसी खास इलाके या जिले के ही होते हैं टॉपर
यूपी बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों में एक खास ट्रेंड देखने को मिल रहा है। वर्तमान और पिछले सालों के परिणामों पर गौर करें तो देखने को मिलेगा कि जिस स्कूल या जिले का टॉपर बोर्ड परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल करता है, उसी जिले या स्कूल का उस साल की बोर्ड परीक्षा परिणामों में दबदबा रहता है। इतना ही नहीं बल्कि लंबी चौड़ी मेरिट लिस्ट में भी उसी एक स्कूल या जिले के मेधावी छाए रहते हैं।
वर्ष 2017
यूपी के फतेहपुर जिले के जिस स्कूल की इंटरमीडिएट प्रदेश टॉपर रही, उसी स्कूल की तीन अन्य छात्राएं टॉप 5 में शामिल रहीं। हाईस्कूल में भी इसी जिले के एक स्कूल से प्रदेश टॉपर और टॉप रैंकिंग वाली छात्राएं निकलीं। बलिया में तो टॉप 15 में से 13 बच्चे एक ही स्कूल के रहे।
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साल 2016
इंटरमीडिएट में बाराबंकी जिले के टॉप 5 में 4 छात्राएं महारानी लक्ष्मीबाई मेमोरियल इंटर कालेज की रहीं। इसी कॉलेज से साक्षी वर्मा ने 98.20 प्रतिशत के साथ पूरे प्रदेश में टॉप किया और इसी कालेज के 70 प्रतिशत बच्चों ने मेरिट लिस्ट में जगह बनाई थी। इसी तरह हाईस्कूल में रायबरेली जनपद के ही एक ही स्कूल के ज्यादातर बच्चों ने मेरिट में जगह बनाई थी। इसी वर्ष रायबरेली के विबग्योर पब्लिक स्कूल की सौम्या पटेल ने 98.67 प्रतिशत अंक हासिल कर 10 वीं में पूरे प्रदेश में टॉप किया था। वहीं इसी स्कूल की इकरा और उमरा महमूद ने 97.17 प्रतिशत अंक लाकर संयुक्त रूप से पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया था। इतना ही नहीं इसी कालेज की निशा साहू ने 96.83 प्रतिशत लाकर पूरे प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया था।
वर्ष 2015
इस साल बोर्ड परीक्षा परिणामों में इंटरमीडिएट के टॉप 3 मेधावी लखनऊ के एक ही कॉलेज से निकले थे। इस साल लखनऊ के राजाजीपुरम स्थित लखनऊ पब्लिक कॉलेज की ज्योति राठौर 97.20 प्रतिशत के साथ पूरे प्रदेश में टॉप किया था। दूसरा स्थान हासिल करने वाली मानसी जायसवाल (97 प्रतिशत) और तीसरे स्थान पर मोहम्मद कासिफ अंसारी (96.6 प्रतिशत) रहे। आश्चर्यजनक रूप से मेरिट लिस्ट के ज्यादातर मेधावी इसी कॉलेज के रहे।
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सख्ती से होता है मूल्यांकन गड़बड़ी संभव नहीं
यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव शैल यादव ने बताया कि बोर्ड परीक्षाओं के क्रियान्वयन और उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में काफी सख्ती बरती जाती है। किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी की संभावना नहीं है। फिर भी यदि कभी कोई शिकायत करता है तो परिणामों की जांच करवा ली जाती है।
माध्यमिक शिक्षा के निदेशक अमरनाथ वर्मा ने बताया कि मेरिट में जिन स्कूलों के बच्चे मेधावियों के रूप में उभरकर आए हैं, उन सभी स्कूलों की शैक्षिक साख अच्छी है। इसके अलावा इस बार हमने काफी सख्ती भी दिखाई है। बोर्ड परीक्षा के दौरान अलग अलग जनपदों में करीब दो हजार नकलचियों को पकड़ा गया। परीक्षा के दौरान कई केंद्रों और स्कूलों को काली सूची में भी डाला गया। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिकाओं के लिए 257 अति सुरक्षित केंद्रों पर 15 दिनों के रिकार्ड समय में मूल्यांकन पूरा करवाया गया। इस साल 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने वाले बच्चों की उत्तरपुस्तिकाओं का पुन: मूल्यांकन करवाया गया। ऐसे में किसी प्रकार की गड़बड़ी की कोई संभावना ही नहीं है।
नोट- हम अपनी इस खबर के माध्यम से किसी मेधावी को हतोत्साहित नहीं कर रहे, बल्कि हमारा उद्देश्य बिहार की तर्ज पर चल पड़े यूपी के माध्यमिक शिक्षा विभाग की एक अनदेखी तस्वीर को सामने लाना है।