Foreign Universities in India: भारत से ही करें कैंब्रिज, ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़ाई..मोदी सरकार का 'Master Stroke'

Foreign Universities in India: यूजीसी का नया बिल पास होने के बाद दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय भारत में अपना कैंपस खोल पाएंगे। आइये जानें इससे क्या-क्या होंगे फायदे?

Written By :  aman
Update: 2023-01-06 12:00 GMT

प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Foreign Universities in India: कैम्ब्रिज, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का सपना अब बस 'सपना' बनकर नहीं रह जायेगा। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आपके उस सपने को पंख देने की कोशिशों में जुटी है। दरअसल, भारत सरकार विदेशी विश्वविद्यालयों (Foreign Universities) के लिए दरवाजे खोल रही है। इस बात का खुलासा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए ड्राफ्ट रेगुलेशन (UGC Foreign University Bill) के सामने आने से हुआ।

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC)  5 जनवरी को 'फॉरेन यूनिवर्सिटी बिल' (Foreign University Bill) आम जनता के सामने लेकर आया। इस बिल में कुछ शर्तों के साथ दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों का कैंपस भारत में खोलने की मंजूरी मिल पाएगी। वर्ल्ड टॉप यूनिवर्सिटीज को शुरुआत में 10 साल के लिए कैंपस खोलने का परमिशन मिलेगा। इस दौरान कोर्स सिर्फ ऑफलाइन चलाने होंगे। अब आपके में सवाल उठा रहा होगा कि केंद्र सरकार के इस कदम से देश के छात्रों को क्या फायदा होगा? तो चलिए बताते हैं, इसके फायदे...

बिल का ड्राफ्ट आया सामने 

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 'फॉरेन यूनिवर्सिटी बिल' का ड्राफ्ट देश के सामने रखा है। सरकार ने लोगों से उनकी राय भी मांगी है। संसद में इस बिल के पास होने के बाद ये कानून बन जाएगा। इस कानून के तहत अमेरिका (USA), ब्रिटेन (Britain), यूरोप (Europe) सहित चीन की सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय भारत में अपने कैंपस खोल पाएगी। भारत सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से दुनिया के टॉप यूनिवर्सिटीज (World's Top Universities) जैसे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University), हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University), येल यूनिवर्सिटी (Yale University), ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University), स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) जैसे संस्थान भी भारत में अपने कैंपस खोल पाएंगे।

विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत आने के फायदे

अब आपके मन में ये सवाल भी उठेगा कि देश में तो पहले से ही कई विश्वविद्यालय हैं, फिर विदेशी यूनिवर्सिटीज के क्या फायदे होंगे? तो आपको बता दें कि, इन विश्वविद्यालयों के देश में आने के कई फायदे हैं। जिनमें से मुख्यतः बड़े फायदे इस प्रकार हैं। -

विदेशी यूनिवर्सिटी की पढ़ाई सस्ते दरों पर

विश्वविद्यालय के मुख्य कैंपस की तुलना में भारत में उनकी पढ़ाई सस्ती होगी। यूजीसी के ड्राफ्ट बिल में कहा गया है कि 'फीस स्ट्रक्चर' निर्धारित करने की छूट उन यूनिवर्सिटीज को होगी। मगर, अमेरिका (USA), ब्रिटेन की तुलना में भारत में फीस कम रहने की पूरी संभावना है। मतलब, विदेशी यूनिवर्सिटी की पढ़ाई सस्ते दरों पर होगी। 

भारतीय टैलेंट को मिलेगा निखरने का मौका 

आपको बता दें, भारत में ऐसे लाखों युवा हैं जिनमें टैलेंट कूट-कूट कर भरे हैं। भारतीय छात्रों में मेरिट भी है। मगर, विदेश जाने और वहां रहने के मोटे खर्च की वजह से उन्हें जीवन के सुनहरे मौके गंवाने पड़ जाते हैं। उन्हीं संस्थानों का कैंपस जब भारत में खुल जाएगा, तो ये समस्या समाप्त हो जाएगी। अर्थात, मोटी बचत के साथ-साथ टैलेंट को भी निखरने का मौका मिलेगा। 

मिलेंगे रोजगार   

भारत में विश्वविद्यालय के कैंपस खुलने पर वहां काम करने के लिए टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ (Teaching and Non Teaching Staff) की भी जरूरत होगी। ये भारत के शिक्षकों और यंग ग्रेजुएट्स के लिए नौकरियों के ढेरों नए अवसर लेकर आएगा। 

भारत आएंगे विदेशी छात्र  

भारतीय छात्रों (indian students) के अलावा अन्य देशों से भी स्टूडेंट्स इन यूनिवर्सिटीज में पढ़ने भारत आएंगे। खासकर एशियाई देशों (Asian countries) के छात्रों को भी पढ़ाई सस्ते में मिल जाएगी। अर्थात भारत में विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ेगी। किसी देश के एजुकेशन सिस्टम (Education System) को बेहतर बनाने के लिए एक जरूरी मानक है। इससे सरकार की भी आय बढ़ेगी।  

भारत में बढ़ेगा रिसर्च वर्क 

भारत में फॉरेन स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ने के साथ-साथ रिसर्च वर्क बढ़ेगा। इंटर-कल्चरल एक्सचेंज (Inter-Cultural Exchange) भी बढ़ेगा। ऐसा वैश्विक स्तर पर किसी संस्थान को रैंकिंग देने के अहम मापदंड हैं। तो जाहिर है कि वैश्विक स्तर पर शिक्षा के मामले में भारत की रैंकिंग में सुधार होगा। वहीं, जब दुनिया के टॉप यूनिवर्सिटीज भारत में होंगे तो यहां की यूनिवर्सिटीज के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा भी देखने को मिलेगी। एक स्वस्थ प्रतियोगिता होगी। जो भारत की टॉप यूनिवर्सिटीज को और बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करेगा। भारत के शिक्षा जगत में इससे आमूल-चूल बदलाव आएगा। 

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