Death Anniversary सुचित्रा सेन: नजर ना लगे पारो को इसलिए धूप में काला चश्मा पहनने के लिए मना किया जाता था

फिल्म 'देवदास' की पारो को आज तक लोग नहीं भूल पाए हैं।ऑक्सफोर्ड से अपना ग्रेजुएशन करने वाली बिमल रॉय की पारो की खूबसूरती के बारे में ऐसी चर्चा थी कि किसी की नजर ना लगे इसलिए उनको धूप में काला चश्मा पहनने के लिए मना किया जाता था।

Update: 2019-01-17 11:21 GMT

फिल्म 'देवदास' की पारो को आज तक लोग नहीं भूल पाए हैं।ऑक्सफोर्ड से अपना ग्रेजुएशन करने वाली बिमल रॉय की पारो की खूबसूरती के बारे में ऐसी चर्चा थी कि किसी की नजर ना लगे इसलिए उनको धूप में काला चश्मा पहनने के लिए मना किया जाता था।

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मिसेज सेन के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर एक्ट्रेस सुचित्रा सेन ने एक बच्ची की मां बनने के बाद हिंदी सिनेमा में पहली फिल्म की थी। बिमल रॉय की मशहूर फिल्म ‘देवदास’ से सुचित्रा ने हिंदी सिनेमा में एंट्री ली और अपनी एक्टिंग से सबको अपना दीवाना बना दिया। उनका हर एक अंदाज निराला था। यहां तक कि धूप में जब वो काला चश्मा पहनती थीं तो लोगों के दिल धड़कने लगते थे।

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साल 1955 में रिलीज हुई 'देवदास' में सुचित्रा सेन ने पारो की भूमिका निभाई थीं और आज तक लोग इस किरदार को भूल नहीं पाए। वहीं सुचित्रा सेन 1975 में रिलीज हुई फिल्म 'आंधी' से अपनी एक अलग पहचान बनाई। 1952 में सुचित्रा सेन ने एक्ट्रेस बनने के लिए फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और बांग्ला फिल्म 'शेष कोथा' में काम किया हालांकि फिल्म रिलीज नहीं हो सकी। फिर उन्होंने बांग्ला फिल्म 'सारे चतुर’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। 1962 में 'बिपाशा' में काम करने के लिए उस समय में सुचित्रा सेन को एक लाख रुपए मिले थे जब कि हीरो उत्तम कुमार को सिर्फ अस्सी हजार रुपयों से संतोष करना पड़ा था।

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सुचित्रा सेन की आज डेथ एनिवर्सरी है। आज ही के दिन साल 2014 में सिनेमा की इस महानायिका का निधन हुआ था।

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सुचित्रा सेन का असली नाम रोमा दासगुप्ता है। सुचित्रा के पिता करूणोमय दासगुप्ता स्कूल में हेडमास्टर थे। 5 भाई बहनों में सुचित्रा तीसरी संतान थीं। सुचित्रा सेन ने अपनी स्कूली पढ़ाई पवना से ही की। इसके बाद वह इंग्लैंड चली गईं और समरविले कॉलेज, ऑक्सफोर्ड से अपना ग्रेजुएशन किया।

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मास्को फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म 'सात पाके बांधा'

1963 में सुचित्रा सेन की एक और सुपरहिट फिल्म 'सात पाके बांधा' रिलीज हुई। उन्हें इस फिल्म के लिए मास्को फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म एक्ट्रेस के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में पहला मौका था जब किसी भारतीय एक्ट्रेस को विदेश में पुरस्कार मिला था। बाद में इसी कहानी पर 1974 में हिंदी में 'कोरा कागज' बनीं जिसमें सुचित्रा सेन का किरदार जया बच्चन ने निभाया। इस फिल्म के गाने लोग आज भी याद किया करते हैं।

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1972 में सुचित्रा सेन को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अपनी एक्टिंग से लोगों के बीच खास पहचान बनाने वालीं सुचित्रा सेन ने 17 जनवरी 2014 को दुनिया को अलविदा कह दिया था।

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