दो लोगों की लड़ाई में बिल्ली ने मारी बाज़ी, ऐसी ही गुलाबो सिताबो की कहानी
कोरोना के कहर के बीच अमिताभ बच्चन अभिनीत गुलाबो-सिताबो रिलीज हो गई। शूजीत सरकार की यह दर्शकों को मैसेज देने में कामयाब रही है। ना घर के ना घाट और लालच बुरी बला है इन दो मुहावरों को चरितार्थ करती इस फिल्म ने इसके माध्यम से बहुत बड़ा संदेश दिया है
मुंबई कोरोना के कहर के बीच अमिताभ बच्चन अभिनीत गुलाबो-सिताबो रिलीज हो गई। शूजीत सरकार की यह दर्शकों को मैसेज देने में कामयाब रही है। ना घर के ना घाट और लालच बुरी बला है इन दो मुहावरों को चरितार्थ करती इस फिल्म ने इसके माध्यम से बहुत बड़ा संदेश दिया है कि जो अवसर जीवन में मिले उसे ना जाने दे, जो पाना चाहते वह ना मिले तो जो मिल रहा है उसे भी ना गवाएं।
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कहानी-
फिल्म की कहानी मिर्जा (अमिताभ बच्चन ) और बांके (आयुष्मान खुराना) के आस-पास घूमती है। जो फातिमा महल में रहते हैं। फातिमा महल एक 100 साल पुरानी हवेली है जो मिर्जा की बेगम (फारुख जाफर) के नाम पर है।इसके मालिक मिर्जा। बाकी सब लोग जो हवेली में रहते हैं सब किराएदार हैं और किराए के नाम पर मिर्जा को 20- 30 रूपये देते हैं। लेकिन सबसे बुरा हाल है बांके का। जो इस हवेली पर अपना हक भी समझते हैं और किराया भी ठीक से नहीं देते हैं। बांके किराया नहीं देता है और मिर्जा उसकी नाक में दम करके रखता है। दोनों की नोकझोंक चलती रहती है, और परेशान हो मिर्जा इस हवेलीको बेचने का फैसला लेता है। लेकिन हवेली मिर्जा की बेगम फातिमा उर्फ फत्तो (फारूक जफर) की है। मिर्जा हवेली को अपने नाम करने की कोशिश करता है। उधर, पुरातत्व विभाग वालों की नजर भी मिर्जा की हवेली पर पड़ती है तो वहीं मिर्जा बिल्डर को अपनी हवेली भी बेच देता है। लेकिन फातिमा उर्फ फत्तो कुछ ऐसा घाव मिर्जा को देती है, जो फिल्म की पूरी टोन ही बदलकर रख देता है। इस तरह आयुष्मान और मिर्जा सिर्फ हाथ मलते रह जाते है।
बिल्ली ने मारी बाजी...
इस फिल्म को देखने के बाद तो दो बंदरों की लड़ाई में बिल्ली का फायदा वाली कहानी भी याद आती है। तो बांके और मिर्जा के बीच में तीसरा शख्स कौन जो बाजी मारता है ये फिल्म देखकर पता लगेगा। साथ फिल्म की कहानी सुनकर तो ऊपर दिए दो मुहावरों को भी फिल्म पर फिट देखते होंगे।
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एक्टिंग
गुलाबो सिताबो में अमिताभ बच्चन मिर्जा के रोल में कुछ इतने फिट हो गए है कि सब देखकर भूल ही जाते हैं वह एक्टिंग कर रहे हैं। वहीं आयुष्मान खुराना इस तरह के रोल को करने में परिपक्व है। लेकिन फारूक जफर का किरदार और एक्टिंग दोनों ही बेहतरीन है सपोर्टिंग रोल में बिजेंद्र काला और विजय राज ने भी अच्छा काम किया है।लेकिन फिल्म की जान इसकी कहानी और डायरेक्शन दोनों है. अमेजन प्राइम वीडियो की 'गुलाबो सिताबो 'घर बैठे परफैक्ट एंटरटेनमेंट है, जिसे जरूर देखें। खबरों के अनुसार फिल्म ने शुरूआत के साथ ही अच्छी कमाई कर ली है।इस फिल्म को अमेजन प्राइम पर बेचने से निर्माताओं हो अच्छा फायदा हुआ है।