अमिताभ की मां- जानी-मानी सिंगर व थिएटर आर्टिस्ट, याद कर भावुक हुए बिग बी

नारी स्वतंत्रता की पक्षधर होने के साथ ही वह मॉडर्न ख्यालों वाली युवती थी। लाहौर के कालेज में शिक्षण के दौरान वह हरिवंश राय बच्चन की कविताओं से प्रभावित हुई। हरिवंश राय बच्चन की पहली पत्नी श्यामा के निधन के बाद उन्होंने बच्चन से विवाह कर लिया और एक साल बाद ही अमिताभ की मां बन गई।

Update:2020-12-21 09:35 IST
अमिताभ की मां- जानी-मानी सिंगर व थिएटर आर्टिस्ट, याद कर भावुक हुए बिग बी

अखिलेश तिवारी

लखनऊ: अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन और उनकी मधुशाला को तो सभी लोग जानते हैं लेकिन शायद यह कम लोगों को ही मालूम है कि अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन एक अच्छी गायिका होने के साथ ही थिएटर आर्टिस्ट भी थी। नारी स्वतंत्रता की पक्षधर होने के साथ ही वह मॉडर्न ख्यालों वाली युवती थी। लाहौर के कालेज में शिक्षण के दौरान वह हरिवंश राय बच्चन की कविताओं से प्रभावित हुई। हरिवंश राय बच्चन की पहली पत्नी श्यामा के 1936 में निधन के बाद उन्होंने 1941 में बच्चन से विवाह कर लिया और एक साल बाद ही अमिताभ की मां बन गई।

इंदिरा की खास सहेलियों में से एक

अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन का जन्म 12 अगस्त 1914 को पंजाब के लायलपुर में एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता सरदार खजान सिंह सूरी पंजाब में बैरिस्टर हुआ करते थे। जवाहरलाल नेहरु की पुत्री इंदिरा गांधी से महज 3 साल उम्र में बड़ी तेजी बच्चन की इंदिरा से अच्छी निभी। इलाहाबाद आने के बाद वह उनकी खास सहेलियों में शामिल हो गई। बताते हैं कि पंडित नेहरू से उनकी बहन सरोजिनी नायडू ने तेजी बच्चन और हरिवंश राय बच्चन का पहली बार परिचय कराते हुए हरिवंश राय बच्चन को कवि और तेजी को उनकी कविता बताया।

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मां की तरह दिखते हैं अमिताभ

तेजी बच्चन अपनी युवावस्था में बेहद खूबसूरत महिला थी उनकी खूबसूरती का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अमिताभ बच्चन के नाक- नक्श अपनी मां से मिलते जुलते हैं। अमिताभ खुद अपनी मां को लेकर बेहद इमोशनल हैं। कुछ साल पहले उन्होंने अपनी मां के जन्मदिन पर उनके साथ अपनी फोटोज शेयर की और उनके बारे में अपने विचार भी व्यक्त किए।

अमिताभ बच्चन के फेसबुक वाल से

अपनी पोस्ट की शुरुआत में उन्होंने लिखा कि -"बस अब कुछ ही क्षणों में दुनिया की सबसे खूबसूरत मां का जन्म होता है। 12 अगस्त 1977 में हमारे एक प्रिय पारिवारिक मित्र ने मां से उनका लिखा एक पत्र हासिल किया था, इसमें बेहद ही बेहतर विचारों का जिक्र था। इनके शब्दों में दार्शनिकता की सुंदरता की छाप थी"। पत्र के अगले हिस्से में तेजी बच्चन ने लिखा था कि-" स्नेह ,सम्मान और प्यार का प्रसार जब धीरे-धीरे होता जाता है, तब यह लंबे समय तक टिके रहता है, क्योंकि वक्त की कसौटी पर खरा उतरा हुआ होता है. वक्त किसी को भी नहीं बख्शता।"

मां के लिखे पत्र को भी किया शेयर

अमिताभ ने अपनी पोस्ट में मां के लिखे पत्र के अगले हिस्से भी शेयर किए हैं जिसमें उन्होंने लिखा कि-" जब मैं एक बच्ची थी तब अपनी घरेलू जिंदगी को सबसे ज्यादा महत्व देती थी इस बात पर हमेशा से मेरा यकीन रहा था और यही कारण था कि मैं अपने परिवार के साथ सबसे ज्यादा समय बिता पाई। एक बार जब वह प्यार का इस कदर अनुभव कर लेते हैं तो जिंदगी में चाहे उनके समक्ष कोई भी परिस्थिति क्यों ना आए, उन्हें पता रहता है कि उनकी सुरक्षा के लिए उनके माता-पिता उनके पीछे हैं।

File Photo

यह उनके लिए एक ताकत है जो ने जिंदगी में आगे लेकर जाती है। क्या आपने इस बात पर कभी गौर फरमाया है कि जिसे प्यार नहीं मिलता वह काफी ज्यादा नफरत के साथ बड़ा होता है ? मैं महिलाओं की आजादी पर यकीन करती हूं लेकिन इस आज़ादी की कीमत अपने घर से चुकानी पड़े । इसका समर्थन मैं नहीं करती। इसी आजादी के चलते महिलाएं उस चीज को खोती जा रही हैं जिसने हमेशा से उन्हें भावनात्मक रूप से पुरुषों से सशक्त बनाया है और वही है उनकी कोमलता और लोगों के लिए उनका प्यार।"

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अपनी मां के पत्र और उनके विचारों को लेकर बेहद भावुक दिख रहे अमिताभ ने अपनी पोस्ट में उनके पत्र का आखरी हिस्सा भी साझा किया। उन्होंने कहा कि उनकी मां ने किस तरह जीवन को जिया और उन सब का मार्गदर्शन किया। इसे पत्र के अन्य हिस्सों से समझा जा सकता है। अमिताभ ने लिखा कि-" इसके आगे कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा मैं बस खामोशी के साथ मन ही मन में उनके लिए प्रार्थना करके उन्हें याद करना चाहता हूं।"

पत्र के अंत में तेजी बच्चन लिखती हैं...

पत्र के अंत में तेजी बच्चन ने लिखा कि-" मुझे न सिर्फ प्यार किया गया बल्कि ऐसी समझ के साथ बड़ा किया गया जो प्यार के सिवाय एक या दो मुस्कान के कभी कुछ नहीं मांगता। प्यार कभी यह नहीं मांगता कि तुम मुझे क्या दे सकते हो ? बल्कि प्यार तो यह कहता है कि-" मैं तुम्हें क्या दे सकता हूं ?" यह मेरे पति, मेरे बच्चों और दोस्तों के प्रति मेरी अपनी सोच है। "

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