Entertainment News: बड़े सितारों संग झारखंड में शूटिंग करेंगे जितेन्द्र सिंह तोमर!

"Newstrack" के साथ बातचीत में जीतेंद्र ने बताया कि जेएसटी फिल्म्स में 90 फीसदी नए कलाकारों को ही मौके देता हूं जिससे उन्हें वह सबकुछ न झेलना पड़े, जो मैंने झेला है। B4U Music पर रिलीज हुआ 'Dil Ki Khwahishein'

Written By :  Shashwat Mishra
Published By :  Pallavi Srivastava
Update:2021-06-11 13:42 IST

Entertainment News: बॉलीवुड में यूं तो प्रतिभाशाली कलाकारों की कमी नहीं है। मगर, लोगों के दिलों पर वही खरा उतर पाता है, जो सच्चे मन से व पूरी मेहनत से सिर्फ अपना काम करता है। ऐसे ही एक शख्स की हम बात कर रहे हैं, जिनका नाम है जीतेंद्र सिंह तोमर। मायानगरी में पिछले लगभग 15 सालों से इन्होंने हर वह काम किए, जो एक जुनूनी व्यक्ति अपने सपने को पूरा करने के लिए करता है। हाल ही में इनके प्रोडक्शन हाउस 'जेएसटी फिल्म्स' (JST Films) के बैनर तले बना गाना 'दिल की ख़्वाहिशें' (Dil Ki Khwahishein) B4U Music के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज हुआ है। जिसे दर्शकों द्वारा भरपूर प्यार व सपोर्ट मिल रहा है। इस गाने के डायरेक्टर भी जीतेंद्र सिंह तोमर ही हैं। इसमें अक्षय सावंत और संध्या भद्री को मुख्य भूमिका में देखा जा सकता है। वहीं,'दिल की ख़्वाहिशें'  को उत्कर्ष दवे ने अपनी मधुर आवाज देकर गाने में चार चांद लगा दिए। इस गाने के बोल लिखे हैं प्रीत सुरती ने। तो गाने के म्यूजिक डायरेक्टर व कंपोजर आकाश शाह हैं।

झारखंड के एक छोटे शहर से निकलकर निर्देशक जीतेंद्र सिंह तोमर ने बनाया नाम pic(social media)

'जेएसटी फिल्म्स' में मिलता है नए कलाकारों को मौका

झारखंड के एक छोटे से कस्बे धनबाद से निकलकर मुंबई जैसी मायानगरी में छा जाने वाले जीतेंद्र सिंह तोमर आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने अपनी मेहनत, लगन व हार न मानने वाली प्रतिभा की वजह से ही ये मुकाम हासिल किया है। करीब एक दशक से ज्यादा समय इंडस्ट्री में बिताने वाले जीतेंद्र आज भी उतने ही मेहनतकश हैं, जितना वह बतौर सहायक निर्देशक साल 2008 में श्तारक मेहता का उल्टा चश्माश् के सेट पर थे। वह 2008 से ही इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने लगे थे। धीरे-धीरे उन्होंने कई टीवी सीरियल्स में अस्सिटेंट डायरेक्टर के रूप में कार्य किया, जिसमें सोनी टीवी का शो अदालत और लाइफ ओके चैनल पर प्रसारित होने वाला धार्मिक शो देवों के देव महादेव शामिल है। जीतेंद्र ने "न्यूजट्रैक"(Newstrack) संग बातचीत में बताया कि इंडस्ट्री में कई सालों तक काम करने के बाद मुझे यह महसूस हुआ कि अब मुझे कुछ अलग करना चाहिए, जिससे मैं दूसरों के काम भी आ सकूं। तब मैंने सोचा कि क्यों न मैं एक प्रोडक्शन हाउस खोलूं, जिससे नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिले। मैं अपने जेएसटी फिल्म्स में 90 फीसदी नए कलाकारों को ही मौके देता हूं। जिससे उन्हें वह सबकुछ न झेलना पड़े, जो मैंने यहां पर झेला है।

शेमारू, जी म्यूजिक और वॉल्यूम के साथ कर रखा है काम

कई सालों तक नेशनल टीवी चैनल्स पर सहायक निर्देशक का काम करने के बाद जीतेंद्र ने अपना प्रोडक्शन हाउस शुरू करने की ठानी। इससे वह निर्माता-निर्देशक बने। साथ ही उन्होंने कई बड़ी म्यूजिक कंपनियों के साथ भी काम किया। इनमें शेमारू, जी म्यूजिक, बी4यू म्यूजिक और वॉल्यूम जैसी म्यूजिक कंपनियों के नाम शामिल हैं। न्यूजट्रैक के साथ बातचीत में जीतेंद्र ने अपने सपने के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि वह एक दिन जरूर बड़े सितारों संग अपने राज्य में शूटिंग करेंगे। जिससे उनके भी क्षेत्र के लोगों को इस फील्ड में आने का हौसला मिल सके।

संघर्षों से भरी रही जिंदगी

जीतेंद्र के बारे में अगर बात करें तो वह आज जिस मुकाम पर हैं, इसके पीछे उनका वर्षों का कड़ा संघर्ष है। अपने शुरुआती दिनों में जीतेंद्र बोरीवली में रहा करते थे। काम की तलाश में कभी वह मलाड जाते, तो कभी अंधेरी में निर्माता-निर्देशकों के आस-पास भटकते रहते। एक दिन रोज की ही तरह वह घर से निकले और कांदिवली में एक सीरियल के सेट पर जाकर खड़े हो गए। गेट पर ही उन्हें गार्ड ने रोक दिया और अंदर जाने की इजाजत नहीं दी। मगर, जीतेंद्र ने हार नहीं मानी। वह रोजाना उसी दरवाजे के पास जाकर खड़े हो जाते। फिर एक दिन गार्ड का दिल पसीज गया और उसने जीतेन्द्र को अंदर जाने दिया। इसके बाद उन्हें उसी सीरियल में इस शर्त पर काम मिला कि पैसे नहीं मिलेंगे। लेकिन, जीतेंद्र के अंदर सीखने का जुनून ऐसा था कि वो उस सीरियल पर दिन-भर भाग-दौड़ कर काम करते रहे। शूटिंग और प्रोडक्शन की एक-एक बारीकी समझते गए और इस तरह से उनके निर्देशन करियर का आगाज हो गया।

माता-पिता का मिला साथ

जीतेंद्र ने अपने बचपन के ही दिनों में यह तय कर लिया था कि वह एक दिन सपनों की नगरी मुंबई में अपने सपनों को पूरा करेंगे। इनका जन्म धनबाद शहर के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था। अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई भी इन्होंने धनबाद के ही एक स्कूल से की। जिसके बाद दसवीं की आगे की पढ़ाई करने के लिए जीतेंद्र को हजारीबाग जाना पड़ा। मगर, अब तक उन्हें समझ में आ गया था कि उन्हें क्या करना है? अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में ही जीतेंद्र ने कई स्टेज शो किए। इसके बाद, ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करते ही उन्होंने फैसला कर लिया कि अब उन्हें मुंबई जाना है और अपने सपनों को पूरा करना है। जीतेंद्र के इस फैसले को उस वक्त और बल मिला, जब उनके माता-पिता ने ज्यादा न-नुकुर करे बिना, उन्हें मुंबई की ट्रेन पर बिठा दिया। उसके बाद से ही जीतेंद्र सफलता की बोगी में बैठकर अपने सपनों की रेल में चल रहे हैं।

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