Birthday Special: सफेद रंग के ही कपडे क्यों पहनते हैं गुलज़ार(Gulzar) साहब
हमने अक्सर गुलज़ार साहब को सफ़ेद कपड़ों के लिबास में देखा है। उनका इन कपड़ों को पहनना भी एक राज़ है।
एंटरटेनमेंट डेस्क: गुलज़ार(Gulzar) साहब का जन्म भारत के झेलम जिला पंजाब के दीना गाँव में, जो अब पाकिस्तान में है, 18 अगस्त 1937 को हुआ था। गुलज़ार अपने पिता की दूसरी पत्नी की इकलौती संतान हैं।
उनकी माँ उन्हें बचपन में ही छोङ कर चल बसीं। माँ के आँचल की छाँव और पिता का दुलार भी नहीं मिला।
वह नौ भाई-बहन में चौथे नंबर पर थे। बंट्वारे के बाद उनका परिवार अमृतसर (पंजाब, भारत) आकर बस गया, वहीं से गुलज़ार साहब मुंबई चले गये।
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हमने अक्सर गुलज़ार साहब को सफ़ेद कपड़ों के लिबास में देखा है। उनका इन कपड़ों को पहनना भी एक राज़ है।
ऐसा माना जाता है जब उनका तलाक़ अभिनेत्री ‘राखी’ से हुआ था उसके कुछ समय बाद से ही वह सफ़ेद कलर के लिबास में दिखने लगे।
ख़ामोशी को पहनाया लफ़्ज़ों का पैरहन
मई 15, 1973 को अभिनेत्री राखी-गुलज़ार ने साथ जीने-मरने की कसमें खाईं, लेकिन 3 साल में ही कसमों की ये डोर टूट गई और दोनों अलग हो गए।
इस बीच एक बेटी 'मेघना'(Meghna) उनकी ज़िन्दगी में आई। प्यार से गुलज़ार ने उसे 'बोस्की' नाम दिया।
बरसों से अलग-अलग रह रहे पति-पत्नी, राखी-गुलज़ार के बीच फ़िलवक़्त बोस्की ही एक कड़ी है।
गुलज़ार अपने एकाकीपन को 'ख़ामोशी' से जीने के साथ-साथ इस एहसास को लफ़्ज़ों का पैरहन ओढ़ाकर नए-नए शाहकार रच रहे हैं।
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मातम का सफ़ेद रंग ओढ़े हैं आज तक
उन्हें बोलते हुए सुनना कभी न भूल पाने वाला एहसास है।
यूँ लगता है, जैसे वो हाथों के इशारे से अपने चारों तरफ़ हवा के कैनवास पर कोई चित्र बना रहे हैं।
और यही चित्र लफ़्ज़ शायरी, नज़्म या नग़मे की शक़्ल में हमारे दिलों पर उभर जाते हैं।
बरसों से सफ़ेद कुर्ते-पायजामे को अपना लिबास किए हुए, लगता है गुलज़ार कभी अपने माज़ी के गाँव दीना की गलियों से बाहर आए ही नहीं।
या फिर लगता है, उनके बचपन पर लगे हिज्रत के घावों ने उनके दिल में हर रंग के लिए नफ़रत भर दी हो, शायद आज तक गुलज़ार उसी के मातम में सफ़ेद रंग ओढ़े हुए हैं।