हनुमान का ये रूप देख दंग रह गए थे लोग, आज भी करते हैं याद

दारा सिंह ने कई फिल्मों में अभिनय के अलावा निर्देशन व लेखन भी किया। उन्हें देश के प्रसिद्व टी० वी० धारावाहिक रामायण में हनुमान के अभिनय का मौका मिला जिसके बाद वह घर घर में हनुमान के रूप में ऐसा लोकप्रिय हो गए कि आज भी हनुमान की तस्वीरों में उनकी झलक दिख जाती है।

Update: 2020-11-19 03:56 GMT
People were stunned to see this form of Hanuman, still remember

मुम्बई।हनुमान हमारी आस्था के प्रतीक हैं। वह अमर देवता हैं। हनुमान के कारनामों से शायद ही कोई अपरिचित हो। लेकिन हनुमान अपने कारनामों को साकार करने छोटे पर्दे पर अवतरित हुए तो सभी रह गए दंग। हनुमान का रूप धरा था दारा सिंह ने। दारा सिंह एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम है जो पहलवानी फिल्मों के अलावा राजनीति में भी सक्रिय रहे।

कौन थे ये आधुनिक हनुमान

टीवी धारावाहिक रामायण में हनुमान की निभाई उनकी भूमिका को लोग आज भी याद करते हैं। दारा सिंह का असली नाम दीदार सिंह रन्धावा था। और उनका जन्म 19 नवम्बर, 1928 पंजाब में हुआ था। बचपन से ही उनको पहलवानी का शौक रहा था।

इसके बाद उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और उसमें विजेता रहे। वह अपने जमाने के विश्व प्रसिद्ध फ्रीस्टाइल पहलवान रहें। उन्होंने 1959 में पूर्व विश्व चैम्पियन जार्ज गारडियान्का को पराजित करके कामनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी।

1968 में वे अमरीका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बन गये।

उन्होंने पचपन वर्ष की आयु तक पहलवानी की और पाँच सौ मुकाबलों में किसी एक में भी पराजय का मुँह नहीं देखा।

1983 में उन्होंने अपने जीवन का अन्तिम मुकाबला जीतने के पश्चात कुश्ती से सम्मानपूर्वक संन्यास ले लिया।

इस बीच साठ के दशक में उनके हष्ट पुष्ट शरीर को देखकर निर्माता निर्देशकों ने उन्हे फिल्मों में मौका दिया।

फिल्मी सफर

उन्होंने अपने समय की मशहूर अदाकारा मुमताज के साथ हिन्दी की स्टंट फिल्मों में प्रवेश किया।

उन्होंने 1963 से लेकर 2012 तक कई फिल्मों में काम किया।

जिसमें जब वी मैट दिल अपना पंजाबी कल क्या होगा सीमा हिन्दुस्तान की कल हो न हो, शरारत, फर्ज, दुल्हन हम ले जायेंगे,

दूर नही ननकाना, जुल्मी, दिल्लगी, गुरू गोबिंद सिंह, लव कुश, राम, शस्त्र, अनमोल दादा, बेचैन, प्रेम दीवाने, मौत की सजा,

धर्म संकट, अजूबा, प्रतिज्ञा, नाकाबंदी, घराना, पाँच फौलादी, उस्ताद जी, महावीरा, कृष्णा-कृष्णा, कर्मा, धर्म, मर्द, खेल मुकद्दर का,

भक्ति में शक्ति, नालायक, जय बजरंग बली, हनुमानजी, वारण्ट, धरम करम, दुख भंजन तेरा नाम, कुँवारा बाप, मेरा दोस्त,

मेरा धर्म, मेरा नाम जोकर, आनन्द, सिकन्दर-ए-आजम, लुटेरा, किंग कौंग, पहली झलक, संगदिल समेत कई फिल्मों में काम किया।

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दारा सिंह ने कई फिल्मों में अभिनय के अलावा निर्देशन व लेखन भी किया। उन्हें देष के प्रसिद्व टी० वी० धारावाहिक रामायण में हनुमान के अभिनय का मौका मिला जिसके बाद वह घर घर में हनुमान के रूप में ऐसा लोकप्रिय हो गए कि आज भी हनुमान की तस्वीरों में उनकी झलक दिख जाती है।

आत्मकथा

उन्होंने अपनी आत्मकथा मूलत पंजाबी में लिखी थी जो 1993 में हिन्दी में भी प्रकाशित हुई। उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया। दारा सिंह अगस्त 2003 से अगस्त 2009 तक पूरे छह वर्ष राज्य सभा के सांसद रहे।

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इसके बाद धीरे धीरे उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। इस बीच 7 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया किन्तु पाँच दिनों तक कोई लाभ न होता देख उन्हें उनके मुम्बई स्थित निवास पर वापस ले आया गया। जहाँ उन्होंने 12 जुलाई 2012 को दुनिया को अलविदा कह दिया।

श्रीधर अग्निहोत्री की रिपोर्ट

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