3 Baje Neend Khulna: 3 बजे नींद खुल जाने का रहस्य छिपा है लिवर में

3 Baje Neend Khulna: रात तीन बजे नींद खुलने का सीधा संबंध शरीर के मेटाबॉलिज्म और लिवर से है। आइए जानते है कैसे?

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-12-01 08:12 GMT

3 Baje Neend Khulna: रात तीन बजे नींद खुल जाना, ये बहुत से लोगों के साथ होता है। आप अपने समय से सो जाते हैं, गहरी नींद में। लेकिन तीन बजे पता नहीं क्यों नींद खुल जाती है। फिर दोबारा नींद जल्दी नहीं आती और जब आती है तो सुबह उठने पर लगता है मानों रात भर सोए ही नहीं थे, एक अजीब सी सुस्ती और थकावट रहती है। नींद और तीन बजे के इस रहस्यमय संबंध पर काफी रिसर्च हुई है। कुछ लोग इसे कोई असामान्य रूहानी ताकतों का चक्कर बताते हैं। लेकिन मेडिकल साइंस का जवाब कुछ और है। रात तीन बजे नींद खुलने (3 baje nind khulna) का सीधा संबंध शरीर के मेटाबॉलिज्म (metabolism) और लिवर (Liver) से है।

एक थ्योरी के अनुसार, शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की एनर्जी शरीर में घूमती रहती है और प्रत्येक दो घण्टे के अंतराल पर शीर्ष लेवल पर पहुंचती है। रात एक से 3 बजे के बीच लिवर का फंक्शन (liver function) सबसे ज्यादा सक्रिय होता है। जब लिवर की पीक सक्रियता (Liver activation) 3 बजे खत्म होती है तो शरीर सभी तरह के तनाव कारकों को प्रोसेस कर चुका होता है। ये कारक शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के होते हैं। लिवर चक्र की समाप्ति पर मस्तिष्क बेहद जीवंत स्वप्नों का निर्माण करता है, जिन्हें हम सुबह का सपना कहते हैं। वे इसलिए बनते हैं क्योंकि बीते दिनों और हफ्तों के अनसुलझे मसले मस्तिष्क में गड्डमड्ड हो कर एक अजीब सी पिक्चर बना देते हैं। इसी अजीब पिक्चर के चलते झटके से नींद खुल जाती है।

पश्चिमी देशों के शोधकर्ताओं का भी मानना है कि रात में लिवर समेत सभी अंग अपने आप को रिपेयर करते हैं। चिकित्सा वैज्ञानिकों का मत है कि लिवर भोजनों के बीच के अंतराल में मेटाबॉलिज्म को सामान्य बनाये रखने के लिए लिवर अपने भीतर ग्लाइकोजन बचाये रखता है। ये केमिकल शरीर के वैकल्पिक ईंधन का काम करता है। ग्लाइकोजन शरीर को करीब 12 घंटे के लिए ग्लूकोज़ उपलब्ध कराता है। इस अवधि के बाद शरीर अपने फैट या अडिपोज़ टिश्यू को तोड़ कर केटोन्स रिलीज़ करता है जो शरीर के लिए एक आवश्यक ईंधन है। अगर आपका मेटाबॉलिज्म स्वस्थ और लचीला है तो लिवर का ये चक्र लगातार बिना रुके चलता रहता है और कई कई घण्टे के उपवास से कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।


लिवर (फोटो- सोशल मीडिया)

लेकिन यदि मेटाबॉलिज्म अपने ईंधन के लिए शक्कर पर निर्भर है तो शरीर में एक अलग स्ट्रेस रिस्पांस पैदा होता है जिसमें एड्रेनल ग्रंथियां कॉर्टिसॉल हार्मोन रिलीज़ करती हैं जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।

अब अगर देर रात ब्लड शुगर लेवल (blood sugar level) नीचे चला जाता है तो नींद खुल जाती है। इसकी वजह ये है कि लिवर की अपनी एनर्जी की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए कई बदलाव पैदा होते हैं जिनमें स्वप्न भी शामिल हैं। स्ट्रेस भले ही किसी प्रकार का हो, उससे मेटाबॉलिज्म पर दबाव पड़ता है नतीजतन एड्रेनल ग्रंथि से कॉर्टिसॉल का लेवल बढ़ता है और अलग अलग हार्मोन भी रिलीज़ होते हैं। इन सबका इतना जबरदस्त प्रभाव पड़ता है कि गहरी से गहरी नींद भी टूट जाती है।

अगर ब्लड शुगर लेवल संतुलित है तो ये सब हार्मोन रिलीज़ होने की नौबत नहीं आती है। यानी अगर आराम की नींद चाहिए तो मेटाबोलिक रूप से फ्लेक्सिबल रहना होगा, यही कुंजी है।

आपकी नींद में गड़बड़ी का कारण ब्लड शुगर असंतुलन है कि नहीं, ये पता करने के लिए शाम को जल्दी खाना खा लें, और बेड पर जाने तक कुछ भी न लें। सोने से पहले सिर्फ एक चम्मच शहद या एक चम्मच कोकोनट आयल या एक उबला आलू लें। इनको अलग अलग रात लें और अपनी नींद पर होने वाले असर को देखें। इससे आपको अपने मेटाबॉलिज्म की सक्रियता का पता चल जाएगा कि वह शरीर के फैट को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करता है कि शक्कर पर निर्भर है।

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