Alzheimer Treatment: अल्जाइमर में कारगर होगा यह घरेलू उपाय, आयुर्वेद ने खोज लिया इलाज

Alzheimer Treatment: राजकीय आयुर्वेद कॉलेज टूड़ियागंज, कोलकाता स्थित बोस इंस्टीट्यूट और साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स के साझा अध्ययन में इस बात का पता चला है।

Newstrack :  Network
Update:2024-11-09 15:10 IST

Alzheimer Treatment (Pic: Social Media)

Alzheimer Treatment: अंग्रेजी दवाओं के दौर में आज भी घरेलू उपाय तमाम बीमारियों में कारगर साबित हो रही है। अल्जाइमर जैसी लाइलाज मानी जाने वाली बीमारी का भी घर में बनाई जाने वाली दवाओं से इलाज संभव है। ऐसा राजकीय आयुर्वेद कॉलेज टूड़ियागंज, कोलकाता स्थित बोस इंस्टीट्यूट और साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स के साझा अध्ययन में पता चला है। अध्ययन के अनुसार लहसुन और पुराने घी से बनने वाली भी परंपरागत दवा अल्जाइमर जैसी लाइलाज मानी जाने वाली बीमारी में भी कारगर है।

अध्ययन से मिली जानकारी

अध्ययन में इसका सकारात्मक असर देखने को मिला है। एल्सेवियर की ओर से प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय जर्नल बायोफिजिकल केमिस्ट्री ने इसे मान्यता दी है। अभी तक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में ही इसे मान्यता थी। पर अब आधुनिक चिकित्सा पद्धति में स्वीकार किया जा रहा है। राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. संजीव रस्तोगी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि आयुर्वेद में यह दवा हमेशा से याददाश्त से जुड़ी बीमारी के इलाज में मान्यता मिली है।

अल्जाइमर के रोगियों के लिए हो सकता है वरदान

परीक्षण के लिए कोलकाता स्थित बोस इंस्टीट्यूट और साहा न्यूक्लियर शोध संस्थान से संपर्क किया गया। प्रारंभिक परीक्षणों में अल्जाइमर में यह औषधि बेहद कारगर पाई गई है। यह किसी भी दुष्प्रभाव से मुक्त है। उन्होंने बताया कि यह औषधि अल्जाइमर के रोगियों के लिए वरदान साबित हो सकती है। पूर्व में इसके प्रयोग अवसाद के रोगियों पर किए जा चुके हैं उसमें भी उत्साहवर्धक परिणाम देखने को मिले हैं।

इस तरह करता है काम

यह औषधि अल्जाइमर को पैदा करने वाले बीटा एमिलॉइड प्रोटीन में कमी लाता है। डॉ. रस्तोगी ने बताया कि अल्जाइमर होने का बेहद स्पष्ट कारण अभी तक तलाशा नहीं जा सका है। सामान्य रूप से इसकी वजह बीटा एमिलॉइड प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन मस्तिष्क की कोशिकाओं में जमा होकर धीरे- धीरे उनकी कार्य क्षमता में कमी लाता है। लहसुन और घी से बनी परंपरागत दवा के प्रयोग से इस प्रोटीन के जमाव में भारी कमी देखी गई। इस दिशा में और काम करके लाखों रोगियों को लाभ पहुंचाया जा सकता है।  

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