मास्क पहनने से हो सकती हैं ये समस्याएं, फेफड़ों को ऐसे बनाएं मजबूत

कोरोना वायरस की वजह से सभी की ज़िन्दगी पर गहरा असर पड़ा है। लोगों को ना चाहते हुए भी अपने करीबियों से दूरी बनानी पड़ रही हैं।इस बीच मास्क हमारा साथी बन गया है

Update:2020-08-25 19:40 IST
The mask has become our companion

कोरोना वायरस की वजह से सभी की ज़िन्दगी पर गहरा असर पड़ा है। लोगों को ना चाहते हुए भी अपने करीबियों से दूरी बनानी पड़ रही हैं।इस बीच मास्क हमारा साथी बन गया है। घर से बहार निकलते ही कुछ याद हो ना हो अब हम मास्क लगाना बिलकुल नहीं भूलते। लेकिन मास्क लगते वक़्त भी कई बाते हैं जिनको हमे ध्यान में रखना होगा। तभी इस वायरस से बचाव संभव है। वरना मास्क लगाने के बावजूद आप संकट में पड़ सकते है।

विशेषज्ञों का मानना

मास्क को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इसको केवल नाक, मुंह और ठुड्डी के ऊपर रखें और सिर्फ इसकी पट्टियों को ही छुएं, सतह को नहीं। myUpchar से जुड़े एम्स के डॉ. अजय मोहन का कहना है कि मास्क को लेकर यह सुनिश्चित करें कि यह अच्छी तरह से फिट हो और चेहरे और कपड़े के बीच और किनारों की ओर कोई जगह खाली न हो। इसमें कोई दो राय नहीं कि पूरे समय मास्क पहने रखना असहज है।

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सास लेने में दिक्कत

कई लोगों को इसे पहनने के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है, विशेष रूप से उन लोगों को जो श्वसन संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं। सभी ने अपने विज्ञान की कक्षाओं के दौरान सुना होगा कि शरीर ऑक्सीजन लेता है और कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ता है। फेफड़े ऑक्सीजन और कार्बन डाईऑक्साइड के आदान-प्रदान की अनुमति देते हैं, जो शरीर के लिए महत्वपूर्ण है। जब लंबे समय तक मास्क पहनते हैं तो कार्बन डाईऑक्साइड का बाहर निकलना प्रभावित होता है, जो फेफड़ों के लिए खतरनाक हो सकता है। हालांकि, यह केवल तभी हानिकारक है जब मास्क बहुत टाइट हो और लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाए।

myUpchar से जुड़े एम्स के डॉ. नबी वली का कहना है कि जब फेफड़े रोगग्रस्त हो जाते हैं तो ये कार्बन डाईऑक्साइड निकालने और पर्याप्त ऑक्सीजन ग्रहण करने का काम ठीक से नहीं कर पाते। इसलिए बेहतर होगा कि फेफड़ों को ही मजबूत किया जाए। सांस लेने पर बेहतर नियंत्रण किसी भी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने के जोखिम को कम कर सकता है। जानिए फेफड़ों को मजबूत करने के कुछ आसान उपाय –

डायाफ्रामिक ब्रीदिंग या उदरीय श्वसन

डायाफ्रामिक ब्रीदिंग या उदरीय श्वसन में फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिए डायाफ्राम (उदर) की मांसपेशियों का इस्तेमाल किया जाता है। इस क्रिया में नाक से सांस लेते हैं और मुंह से छोड़ते हैं। डायाफ्राम सांस लेने में सहायता करता है, जिसका मतलब है कि एक कमजोर डायाफ्राम सांस की तकलीफ का कारण बन सकता है। इस तरह की सांस की क्रिया क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज से पीड़ित लोगों के लिए भी मददगार है।

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नियमित व्यायाम

नियमित व्यायाम से मांसपेशियों की शक्ति और कार्य में सुधार हो सकता है। जब नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो मांसपेशियों को कम मात्रा में ऑक्सीजन और कम कार्बन डाईऑक्साइड की जरूरत होती है, जो फेफड़ों को अच्छे से काम करने में मदद कर सकती है।

खूब पानी पिएं

अपने संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हाइड्रेटेड रहना जरूरी है। दिनभर पानी पीने से फेफड़ों में अंदरूनी परत नम रहती है, जो फेफड़ों को मजबूत बनाने में मदद करता है।

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