Dancing Plague History: जब नाचते-नाचते दम तोड़ देते थे इंसान, क्या आप जानते हैं इस बीमारी के बारे में

Dancing Plague 1518: डांसिंग प्लेग, एक ऐसी रहस्यमय बीमारी, जिससे 400 से अधिक लोगों ने दम तोड़ दिया था। लेकिन आज भी यह एक रहस्य, शोध और चर्चा का विषय बना हुआ है।;

Written By :  Shivani Jawanjal
Update:2025-01-08 07:30 IST

Dancing Plague (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Dancing Plague Kya Hai: जो भी सजीव इस पृथ्वी पर जन्म लेता है, उसकी एक दिन मृत्यु निश्चित है। मृत्यु इस दुनिया का ऐसा कटु सत्य है जिसे कोई नहीं बदल सकता। यह भी कहा जाता है कि जिस दिन हम जन्म लेते हैं, उसी दिन हमारी मृत्यु कब और कैसे होगी, यह भी तय हो जाता है। हमने अक्सर मृत्यु के विभिन्न कारणों के बारे में सुना है, जैसे बीमारियां, दुर्घटनाएं या अन्य प्राकृतिक आपदाएं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई इंसान नाचते-नाचते मौत के मुंह में चला गया हो?

लेकिन इतिहास में एक ऐसी घटना दर्ज है, जिसे ‘डांसिंग प्लेग’ (Dancing Plague) के नाम से जाना जाता है। यह घटना 1518 में फ्रांस (France) के स्ट्रासबर्ग शहर (Strasbourg) में हुई थी। इस रहस्यमय बीमारी में लोग अचानक नाचने लगते थे और तब तक नाचते रहते थे, जब तक उनकी मृत्यु न हो जाए। यह नाचने का सिलसिला थमने का नाम नहीं लेता था, और लोग थकावट, दिल का दौरा या अन्य कारणों से दम तोड़ देते थे। इस विचित्र और रहस्यमय बीमारी से 400 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी।

इस अजीब और रहस्यमय घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि इतिहासकारों और वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया था। हालांकि ‘डांसिंग प्लेग’ (Dancing plague) आज भी एक रहस्य, शोध और चर्चा का विषय बना हुआ है।

क्या थी घटना (Dancing Plague History In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

जुलाई, 1518 में यह विचित्र घटना घटी, जब ‘फ्राउ ट्रॉफिया’ (Frau Troffea) नामक एक महिला स्ट्रासबर्ग, अलसास (वर्त्तमान समय में फ़्रांस) में अपने घर से नाचते हुए घर के बाहर गली में जोर-जोर से और बिना रुके नाचना शुरू कर देती है। नेड पेनेंट-रेआ के अनुसार, इस महिला ने 14 जुलाई को अपने घर से बहार निकलकर बिना किसी गाने या संगीत के गली में नाचना शुरू किया। महिला जोर-जोर से और अजीबोगरीब तरीके से नाच रही थी। धीरे-धीरे अन्य लोगों ने भी उसका अनुकरण करना शुरू कर दिया। कुछ ही दिनों में, 30 से अधिक लोग इस रहस्यमय और विचित्र बीमारी की चपेट में आ गए। इन लोगों में से कई इतने जुनूनी हो गए थे कि वे बिना रुके नाचते रहे, जब तक कि मौत ने उन्हें इस त्रासदी से मुक्ति नहीं दिला दी।

ट्रॉफिया ने लगातार एक सप्ताह तक नाचना जारी रखा। जल्दी ही, तीन दर्जन अन्य लोग भी इस नृत्य में शामिल हो गए। और अगस्त तक, ‘डांसिंग प्लेग’ में 400 लोगों की जान ले ली।

‘डांसिंग प्लेग’ (Dancing Plague Symptoms) की चपेट में आये लोगों की हालत

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बताया जाता है कि, ‘डांसिंग प्लेग’ (Dancing plague) की चपेट में आए लोगों की हालत इतनी ख़राब हो जाती थी कि उनका बचना असंभव लगता था। लगातार नाचने के कारण उनकी शारीरिक स्थिति बिगड़ने लगती थी। उनके शरीर में ऐंठन और झटके आते थे, जिससे उनकी हालत और भी गंभीर हो जाती थी। पसीने से लत-पत हुए लोग हिंसक होकर हवा में हाथ लहराते थे और उनकी आंखों में कोई अभिव्यक्ति नहीं होती थी।

कुछ मामलों में, लोगों के पैर सूज जाते थे और उनमें खून जम जाता था। लेकिन वे फिर भी पैरों से खून निकलने तक नाचते रहते थे। कई लोग थकावट, भूख और प्यास से जूझते हुए गिर पड़ते थे। कुछ लोग तो दिल का दौरा या स्ट्रोक के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाते थे।

कब कम हुआ इसका प्रकोप

‘डांसिंग प्लेग’ (Dancing plague) का प्रकोप इतना ज्यादा था कि हर दिन कई लोगों की जान जा रही थी। हालांकि आज तक मृतकों की अंतिम संख्या अज्ञात है। अचानक शुरू हुए इस प्रकोप का कारण क्या था, तथा इससे कैसे बचा जाये या इसका इलाज क्या था किसी को नहीं पता था। लेकिन सितंबर की शुरुआत में ‘डांसिंग प्लेग’ (Dancing plague) का प्रकोप अपने आप कम हो गया।

क्या थी डॉक्टर्स की थ्योरी (Doctors Theory On Dancing Plague)

बीबीसी के अनुसार, जुलाई से शुरू हुई इस घटना में अगस्त के महीने तक नाचने वाले 100 तक पहुंच गई थी। यह किसी तरह का इंफेक्शन होने का भी दावा किया गया, जिसमें इंसान बेसुध होकर नाचता है, जब तक की उसकी मौत ना हो जाये। इस तरह की घटना लगातार बढ़ रही थी और लोग लगातार इसकी चपेट में आ रहे थे। हालांकि जब इस घटना से 15 लोगों की मौत हो गई तब प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया।

तथा उस वक्त डॉक्टर ने भी अपनी थ्योरी देते हुए कहा की यह कोई प्राकृतिक बीमारी है, जो शरीर में ब्लड टेम्प्रेचर बढ़ने से हो रही है। लेकिन मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, इस कारण एक-एक इंसान को संभालना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में डॉक्टर्स के सुझाव पर लोगों के लिए खाली जगहों को डांस फ्लोर्स में तब्दील किया गया। क्योकि डॉक्टर्स का कहना था इन्हें ऐसे ही नाचने दिया जाये, जब इनका बॉडी टेम्प्रेचर काम जायेगा यह नाचना बंद कर देंगे। हलाकि डॉक्टर्स यह थ्योरी गलत साबित हुई।

वैज्ञानिकों और इतिहासकारों की थ्योरी

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कई वैज्ञानिकों और इतिहासकारों ने इसके कारणों को समझने की कोशिश की। एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इवान क्रोसियर ने इस घटना पर शोध करते हुए इसे ‘मंथ ऑफ हिस्टीरिया’ (Month of Hysteria) नाम दिया। वहीं, प्रोफेसर टिमोथी जोन्स ने इसके संभावित कारणों पर प्रकाश डाला। उनके अनुसार, उस समय फ्रांस में मौसम बहुत खराब था। तेज गर्मी, सूखा और फसलों का नष्ट होना आम था, साथ ही तेज बारिश और ओले भी लोगों के लिए मुसीबत बने हुए थे।

मौसम की इन कठिन परिस्थितियों के साथ-साथ लोग यौन संचारित रोगों, मोतियाबिंद और अन्य बीमारियों से भी जूझ रहे थे। उस समय प्लेग का डर भी लोगों के बीच फैला हुआ था। इन समस्याओं ने मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ा दी और लोग अपनी जीवन परिस्थितियों से पूरी तरह त्रस्त हो गए।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना का कारण फंगल संक्रमण (एर्गोट) हो सकता है। यह एक प्रकार का फंगस है, जो राई के आटे से बनी रोटी में पाया गया। एर्गोट संक्रमण शरीर में झटके (convulsions) और मानसिक भ्रम पैदा कर सकता है, जिससे लोग असामान्य व्यवहार करने लगते हैं।

अमेरिकी इतिहासकार जॉन वालर ने इसे मास साइकोजेनिक डिसऑर्डर (सामूहिक मानसिक विकार) कहा। उनके अनुसार, उस समय लोग गंभीर तनावों से गुजर रहे थे, जैसे अकाल, बीमारियां (जैसे चेचक और उपदंश) और गरीबी। इन गंभीर समस्याओं ने लोगों की मानसिक स्थिति को इतना कमजोर कर दिया कि यह विचित्र और रहस्यमय घटना हुई।

अंधविश्वास से भी जोड़ा (Superstition About Dancing Plague)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक, कुछ लोगों ने इसे अंधविश्वास का भी नाम दिया। जिनका मानना था की यह सेंट वाइंटस के श्राप का प्रभाव है। दरसअल, इसके पीछे यह कहानी है कि, कई सालों पहले सेंट वाइंटस के एक संत थे, जिन्हें फ़्रांस के लोगों की उनपर आस्था थी। और लोगों का मानना था वाइंटस नाच-गाकर लोगों की बीमारियां ठीक करते हैं और इसीलिए नाचने वाले लोगों को सेंट वाइटस के प्रार्थना कक्ष में ले जाकर वहां उनके हाथों में क्रॉस देकर उन्हें प्रार्थनाओं के साथ नाचने दिया गया जाता था।

इस प्रक्रिया के दौरान उनके ऊपर पवित्र जल (हॉली वॉटर) भी छिड़का जाता था। हालांकि इस अंधविश्वास या आध्यात्मिक उपाय से कई लोगों की स्थिति में सुधार हुआ था। तो कुछ ऐसे भी लोग थे जो इस विशेष प्रक्रिया के बिना भी ठीक हो गए।

ऐतिहासिक दस्तावेज़, जिसमें "चिकित्सक के नोट्स, कैथेड्रल के उपदेश, स्थानीय और क्षेत्रीय क्रॉनिकल्स, और यहां तक कि स्ट्रासबर्ग शहर परिषद द्वारा जारी किए गए नोट्स" शामिल हैं, जिसमें इस पूरी घटना की जानकारी दी गई हालांकि इसके कारण के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है ।

बरहाल, यह दुनिया रहस्यों से भरी हुई है और इतिहास में कई ऐसी विचित्र घटनाएं दर्ज हैं, जो आज भी अनसुलझी हैं। डांसिंग प्लेग की यह घटना भी उन्हीं रहस्यमयी घटनाओं में से एक है, जो लोगों के मन में सवाल छोड़ जाती है और इतिहासकारों और वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बनी रहती है।

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