Chewing Gum Negative Effects: च्युइंग गम चबाने की आदत आपको कई तरह से कर सकती है बीमार, स्टडी में हुआ खुलासा

Chewing Gum Khane Ke Nuksan: नए अध्ययन में पाया गया है कि च्युइंग गम लार में सैकड़ों से हजारों माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics) छोड़ सकता है, जो स्वास्थ्य को कई नुकसान पहुंचा सकते हैं।;

Written By :  Shreya
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Update:2025-03-30 11:10 IST
Chewing Gum Negative Effects: च्युइंग गम चबाने की आदत आपको कई तरह से कर सकती है बीमार, स्टडी में हुआ खुलासा

Chewing Gum Negative Effects (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

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Chewing Gum Microplastics Side Effects: अगर आप भी च्युइंग गम (Chewing Gum) खाने के आदी हैं तो सतर्क हो जाएं, क्योंकि वैज्ञानिकों ने हालिया स्टडी में एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। अध्ययन में पाया गया है कि च्युइंग गम लार में सैकड़ों से हजारों माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics) छोड़ सकता है, जिसे आप निगल सकते हैं। इससे कई संभावित स्वास्थ्य नुकसान हो सकते हैं। आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में डिटेल में।

क्या है स्टडी?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

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सैन डिएगो, सीए में अमेरिकन केमिकल सोसाइटी की स्प्रिंग मीटिंग में प्रस्तुत किए गए शोध में पाया गया कि औसतन प्रति ग्राम च्युइंग गम से सैकड़ों से हजारों माइक्रोप्लास्टिक्स निकलते हैं। सिंथेटिक और प्राकृतिक दोनों ही तरह के च्युइंग गम में वैज्ञानिकों ने माइक्रोप्लास्टिक्स पाए हैं। शोधकर्ताओं ने इस स्टडी में पांच प्रकार के सिंथेटिक च्युइंग गम और पांच प्रकार के नेचुरल च्युइंग गम की जांच की थी। स्टडी को अब तक किसी सहकर्मी-समीक्षित पत्रिका में प्रकाशित नहीं किया गया है।

हालांकि माइक्रोप्लास्टिक्स के संपर्क में आने के दीर्घकालिक प्रभावों को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन उभरते सबूतों ने कई संभावित स्वास्थ्य नुकसानों का सुझाव दिया है।

माइक्रोप्लास्टिक सुरक्षित है या नहीं

प्रोजेक्ट के मुख्य अन्वेषक और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स (यूसीएलए) में इंजीनियरिंग प्रोफेसर, संजय मोहंती, पीएचडी ने एक प्रेस स्टेटमेंट में कहा कि "हमारा लक्ष्य किसी को डराना नहीं है। वैज्ञानिकों को नहीं पता है कि माइक्रोप्लास्टिक हमारे लिए असुरक्षित है या नहीं। कोई ह्यूमन ट्रायल नहीं है। लेकिन हम जानते हैं कि हम रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक के संपर्क में आते हैं, और यही हम यहां जांचना चाहते थे।

हेल्थलाइन की रिपोर्ट में मोहंती के हवाले से लिखा गया है कि, फूड से संबंधित अधिकतर अंतर्ग्रहण अध्ययन प्लास्टिक के कंटेनरों से माइक्रोप्लास्टिक के साथ भोजन के संदूषण के बारे में हैं, लेकिन च्युइंग गम एकमात्र ऐसा फूड है, जो प्लास्टिक से बना है, जिसके बारे में अधिकांश लोग नहीं जानते। हम च्युइंग गम में माइक्रोप्लास्टिक को मापना चाहते थे। ह्यूमन बॉडी में कुल माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क और किसी भी संभावित नकारात्मक प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए यह महत्वपूर्ण है।

कैसे की गई स्टडी?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अध्ययन में पांच प्रकार के सिंथेटिक च्युइंग गम और पांच प्रकार के नेचुरल च्युइंग गम की जांच की गई थी। इस एक्सपेरीमेंट के एक हिस्से के रूप में, एक व्यक्ति ने विभिन्न चबाने के पैटर्न और लार को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक ब्रांड के सात गम चबाएं। व्यक्ति ने चार मिनट तक च्युइंग गम चबाया और हर 30 सेकंड में लार का सैंपल प्रोड्यूस किया। फिर उन्होंने अपने मुंह को साफ पानी से धो दिया। इसके बाद लार के सभी सैंपल को एक सैंपल में मिलाया गया।

वहीं, एक अलग एक्सपेरीमेंट में हर 20 मिनट में लार के नमूने इकट्ठे किए गए। इसके बाद रिसर्चर्स ने लार के नमूनों में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा को मापा। जिसमें पाया गया कि प्राकृतिक च्युइंग गम में भी सिंथेटिक च्युइंग गम के समान ही माइक्रोप्लास्टिक थे, जो कि हैरान करने वाला था। इसके अलावा यह भी पाया गया कि दोनों तरह के च्युइंग गम में एक ही प्रकार के पॉलिमर्स थे, सबसे अधिक मात्रा में पॉलीओलेफिन्स थे, जो एक प्रकार का प्लास्टिक है, जिसमें पॉलीइथिलीन और पॉलीप्रोपिलीन शामिल हैं।

माइक्रोप्लास्टिक के स्वास्थ्य पर प्रभाव (Microplastics Negative Health Effects In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

NCBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि मनुष्य मुख्य रूप से विभिन्न प्लास्टिक प्रोडक्ट्स (जैसे, प्लास्टिक पैकेजिंग कंटेनर, डिकम्पोजिंग प्लास्टिक मटेरियल्स, मछली पकड़ने के जाल, टेक्सटाइल्स और पर्सनल हाइजीन प्रोडक्ट्स) का उपयोग करके और पर्यावरण (जैसे, हवा, पानी, समुद्री जल या मिट्टी) में प्रवाहित पेंट के टुकड़ों (जैसे, पेंट का घर्षण) के संपर्क में आने से माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आते हैं। इस प्रकार, मनुष्य सीधे इनजेशन, सीधे संपर्क और सांस के माध्यम से माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आ सकते हैं।

1- श्वसन और हृदय संबंधी रोग

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

एक अध्ययन के परिणामों से पता चलता है कि मनुष्य सांस के जरिए माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आ सकते हैं। इस प्रकार, हवा में माइक्रोप्लास्टिक की लो कंसंट्रेशंस के दीर्घकालिक संपर्क से व्यक्ति की संवेदनशीलता और कण विशेषताओं के आधार पर श्वसन (Respiratory Diseases) और हृदय संबंधी रोग (Cardiovascular Diseases) हो सकते हैं।

2- कैंसर और प्रजनन संबंधी समस्याएं

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

शार्प माइक्रोप्लास्टिक पार्टिकल्स ह्यूमन बॉडी को शारीरिक रूप से उत्तेजित करके टॉक्सिसिटी पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक पॉलिमर को संश्लेषित करते समय, अंतिम उपयोग के आधार पर कई केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें से अधिकांश अंतःस्रावी विघटनकारी होते हैं। अंतःस्रावी विघटनकारी, जिन्हें हार्मोनल रूप से सक्रिय एजेंट भी कहा जाता है, कई प्रकार के कैंसर (Various Cancers) और रिप्रोडक्टिव सिस्टम डिसऑर्डर्स (Reproductive System Disorders) का कारण बनकर मानव शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

3- पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी करता है प्रभावित

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कोशिका और पशु प्रयोगों के परिणामों से पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक मानव शरीर की विभिन्न प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है, जिसमें पाचन, और प्रतिरक्षा प्रणाली शामिल हैं।

नोट- यह खबर सामान्य जानकारी के लिए है। इसकी सटीकता, सत्यता या असर की जिम्मेदारी न्यूजट्रैक नहीं लेता है।

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