कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लेनी है जरूरी, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जरूरी नहीं है कि पहली डोज लेने के 28वें दिन ही दूसरी डोज लेनी है, चााहें तो आने वाले एक हफ्ते के भीतर दूसरी डोज ली जा सकती है।
नीलमणि लाल
लखनऊ: देश में कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान 16 जनवरी को शुरू किया गया था। कोरोना से लड़ाई में वैक्सीन की दो डोज जरूरी बताई जा रही है। अब तक करीब 77 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है।
अब एक महीने बाद वैक्सीनेशन की दूसरी डोज देने का काम शुरू किया गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जरूरी नहीं है कि पहली डोज लेने के 28वें दिन ही दूसरी डोज लेनी है, चााहें तो आने वाले एक हफ्ते के भीतर दूसरी डोज ली जा सकती है।
जिनको पहली डोज़ दी गई है उन्हें एसएमएस के साथ फोन कॉल करके इस बारे में जानकारी दी जा रही है। दूसरी खुराक 4 से 6 सप्ताह के भीतर लेनी होगी। 16 जनवरी को 2,02,000 से अधिक लोगों को पहली खुराक दी गई थी।
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पूरी सुरक्षा मिलेगी
एक्सपर्ट कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज का सख्ती से पालन करने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि वैक्सीन की पहली डोज शरीर में लॉन्चपैड के रूप में कार्य करती है और इम्यून रिस्पॉन्स को गति देती है जबकि दूसरी डोज इम्यून रिस्पॉन्स को वायरस के खिलाफ मजबूत बनाती है। वैक्सीन की पहली डोज इम्यूनोलॉजिकल रिस्पॉन्स बनाती है जिससे तीन से चार हफ्तों के बीच में शरीर में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनने लगती है।
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दूसरी डोज से दोहरी सुरक्षा मिलेगी
वैक्सीन की दूसरी डोज शरीर में एंटीबॉडी के साथ-साथ टी सेल्स बढ़ाने का भी काम करेगी। इन टी सेल्स को किलर सेल्स भी कहा जाता है जो वायरस पर इम्यून रिस्पॉन्स के साथ मिलकर काम करते हैं। इसके अलावा वैक्सीन की दूसरी डोज से दोहरी सुरक्षा मिलेगी। मतलब ये कि वैक्सीन दो महीने में वायरस के खिलाफ पूरी तरह से सुरक्षा देगी।
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नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल का कहना है कि दूसरी खुराक चार से छह सप्ताह के बीच किसी भी समय दी जा सकती है। इसे विंडो पिरियड कहते हैं। अगर दूसरी डोज नहीं लगवाते हैं, तो कमजोर एंटी बाडी से दोबारा संक्रमित होने की भी संभावना रहेगी।
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