Disadvantages of sitting: लंबे समय तक बैठे रहने का नतीजा, मोटापा, कमज़ोर हड्डियां और जम सकता है नसों में थक्का

Disadvantages of sitting: देखने में लगता है कि कर्मचारियों के लिए जीवन कई मायनों में आसान हो गया है क्योंकि उन्हें बेहतर आराम मिलता है, वे वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने में सक्षम होते हैं और ऑफिस आने-जाने का खर्च भी बचाते हैं।

Update:2023-08-05 21:37 IST
Disadvantages of sitting (Pic: Social Media)

Disadvantages of sitting: लंबे समय तक बैठे रहने का नतीजा, मोटापा, कमज़ोर हड्डियां और जम सकता है नसों में थक्का लंबे समय तक बैठे रहने से न केवल आपका वजन बढ़ता है, पीठ की हड्डियों और पीठ की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है, बल्कि पैरों की नसों में थक्के जमने का भी खतरा रहता है। कोरोना के बाद की दुनिया में वर्क फ्रॉम होम एक नया सिस्टम बन गया है या हाइब्रिड मॉडल हो गए हैं। देखने में लगता है कि कर्मचारियों के लिए जीवन कई मायनों में आसान हो गया है क्योंकि उन्हें बेहतर आराम मिलता है, वे वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने में सक्षम होते हैं और ऑफिस आने-जाने का खर्च भी बचाते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि घर से काम करने के समग्र स्वास्थ्य के अपने नुकसान हैं जिन्हें नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है।

सेहत के खतरे

घण्टों कुर्सी पर बैठे रहने का मॉडल न्यूनतम एक्टिविटी का होता है। और हमारे स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बहुत से लोग घंटों एक ही स्थिति में बैठे रहते हैं और जब वे व्यायाम नहीं करते हैं या नियमित रूप से चलते फिरते नहीं हैं, तो उन्हें हड्डी, मांसपेशियों और जोड़ों से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। मांसपेशियों और जोड़ों को फिट रहने के लिए नियमित कसरत की आवश्यकता होती है और उन्हें पर्याप्त रूप से हिलाया-डुलाया न जाये तो उनकी स्थिति खराब हो सकती है।

विटामिन डी की कमी

घर से बाहर न निकलने से विटामिन डी की कमी हो सकती है। इससे कैल्शियम अवशोषण प्रभावित होता है और हड्डियों की सेहत बिगड़ सकती है। घर या कमरे में बन्द रहने से व्यक्ति का एनर्जी लेवल बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

  • 'बैठे रहना नया धूम्रपान है।" मतलब ये कि लंबे समय तक बैठे रहना सिगरेट पीने जितना ही हानिकारक है।
  • लंबे समय तक बैठे रहने से न केवल वजन बढ़ता है, बल्कि पीठ की हड्डियाँ और पीठ की मांसपेशियाँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, और पैरों में थक्के जमने का भी खतरा होता है, जिसे डीप वेनस थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) भी कहा जाता है।
  • डीप वेनस थ्रोम्बोसिस का एक खतरनाक अंजाम फेफड़ों में खून का थक्का जमना हो सकता है।
  • लंबे समय तक बैठे रहने से पॉस्चर खराब हो जाता है। झुककर बैठने से निचली और मध्य पीठ की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और धीरे-धीरे मांसपेशियों में जल्दी थकान होने लगती है, जिसके परिणामस्वरूप मध्य और पीठ के निचले हिस्से में दर्द और गर्दन में दर्द होता है।
  • गतिहीन जीवन शैली और शारीरिक व्यायाम की कमी से शरीर की सहनशक्ति और शरीर की ताकत की कमी हो जाती है, जिससे बार-बार पीठ, गर्दन और कंधे में दर्द रहने लगता है।

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