मिर्गी नहीं है जानलेवा आम लोगों की तरह ही ज़िन्दगी बिता सकते हैं मिर्गी से ग्रसित लोग
मिर्गी की बीमारी को हमारे देश में हमेशा से बहुत भ्रामक नज़रिए से देखा जाता है। मिर्गी कई धारणाओं और गलत फ़हमियों से घिरी है। मिर्गी से ग्रसित लोग हीन भावना से ग्रसित हो जाते हैं। उन्हें इस बात का डर रहता है कि इस बीमारी का पता चलने पर लोग उनसे दूरी बना लेंगे।
स्वाति प्रकाश
लखनऊ: मिर्गी की बीमारी को हमारे देश में हमेशा से बहुत भ्रामक नज़रिए से देखा जाता है। मिर्गी कई धारणाओं और गलत फ़हमियों से घिरी है। मिर्गी से ग्रसित लोग हीन भावना से ग्रसित हो जाते हैं। उन्हें इस बात का डर रहता है कि इस बीमारी का पता चलने पर लोग उनसे दूरी बना लेंगे। नूरमंज़िल के कंसल्टेंट साइकैट्रिस्ट डॉ अजय राजपूत कहते हैं कि मिर्गी की बीमारी में दौरा पड़ने की वजह जानना बहुत ज़रूरी है। वह कहते हैं कि मिर्गी का इलाज करवाना उतना ही आसान है जितना बाकी बीमारियों का।
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आम लोगों की तरह कर सकते हैं काम
डॉ राजपूत कहते हैं कि आम धारणा है कि मिर्गी से ग्रसित लोगों पर लगातार नज़र रखने की ज़रूरत होती है क्योंकि उन्हें कभी भी दौरा पड़ सकता है, और ऐसे लोग साधारण ज़िन्दगी नहीं जी सकते। लेकिन सच तो यह है कि मिर्गी से ग्रसित लोगों पर खास नज़र रखने की कोई ज़रूरत नहीं है। वह बाकी लोगों की तरह हर तरह के काम कर सकते हैं। कई जगहों पर मिर्गी से ग्रसित लोग हैं जो अपने क्षेत्र में सफल हैं।
जानलेवा नहीं है यह रोग
डॉ अजय कहते हैं कि आज भी ग्रामीण और छोटे शहरों के लोगों में यह गलतफहमी है कि मिर्गी की बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि मिर्गी बाकी बीमारियों की तरह ही एक आम बीमारी है जो दवा से ठीक हो सकती है। न ही यह बीमारी संक्रामक है। मिर्गी से ग्रसित व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार करना गलत है क्योंकि इस बीमारी से किसी को भी संक्रमण का खतरा नहीं होता।
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मिर्गी से ग्रसित महिलाएं कर सकती हैं गर्भधारण
अक्सर लोग मानते हैं कि मिर्गी से ग्रसित महिलाओं को गर्भधारण नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे माँ और बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। हालांकि यह बात पूरी तरह सच नहीं है। मिर्गी से ग्रसित महिलाओं में जन्म दोष का थोड़ा जोख़िम होता है, लेकिन अगर गर्भवती महिला डॉक्टर से ज़रूरी परामर्श ले तो इस जोख़िम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। डॉक्टरी परामर्श से महिला गर्भधारण में विशेष सावधानियां बरत कर आम औरतों की तरह ही बच्चे को जन्म दे सकती है।
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अंधविश्वास से रहें दूर
डॉ राजपूत बताते हैं कि उनकी ओपीडी में आने वाले अधिकतर मिर्गी के मरीजों के घरवाले अंधविश्वास से ग्रसित होते हैं। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों से आने वाले लोग मिर्गी को धर्म और जादू टोने से जोड़कर देखते हैं। इसलिए काफी समय तक डॉक्टरी परामर्श लेने के बजाय पूजा पाठ और बाबा के चक्करों में फंसे रहते हैं। दिक्कत बढ़ने पर अस्पताल लेकर आते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज़ों के परिजनों की काउंसलिंग करके उन्हें समझाया जाता है कि यह बीमारी दिमाग में लगी कोई चोट , स्ट्रोक या ट्यूमर से होती है एयर इसका इलाज पूरी तरह सम्भव है। इनमें से कई लोगों को लगता है कि मिर्गी पड़ने पर रोगी अपनी जीभ निगल जाएगा जिस कारण वह रोगी के मुंह मे चम्मच या कोई और चीज़ डाल देते हैं। वह परिजनों को समझाते हैं कि इंसान का खुद की जीभ निगलना नामुमकिन है , इसलिए रोगी के मुंह में कुछ न डालें, इससे चोट लगने का खतरा है। रोगी के सिर के नीचे केवल तकिया रखकर उसकी करवट बदल दें।अगर इन बातों का ख्याल रखा जाए तो मिर्गी के मरीज़ का सफल इलाज किया जा सकता है।