Flesh Eating Bacteria: इस बैक्टीरिया से 48 घण्टे में काम तमाम, शरीर को ही खा जाता है

Flesh Eating Bacteria: इस बीमारी को स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (एसटीएसएस) कहते हैं और जापान में इसके मामले इस साल 2 जून तक 977 तक पहुँच गए हैं।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2024-06-16 11:26 GMT

Flesh Eating Bacteria 

Flesh Eating Bacteria: एक आफत जाती नहीं कि दूसरी आ जाती है। इंसान बचे तो भी बचे कैसे? कोरोना अभी ठंडा पड़ा ही है कि जगह जगह से जानलेवा वायरस और बैक्टीरिया की खबरें आती जा रही हैं।डराने वाली ताज़ा खबर जापान से है जहाँ एक ऐसा बैक्टीरिया फैला हुआ जो शरीर में घुसने के बाद शरीर को ही खाने लगता है और इंफेक्शन के 48 घण्टे में ही मरीज की मौत हो सकती है।इस बैक्टीरिया पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफेक्शियस डिजीज 1999 से ही नज़र रखे हुए है। इस बीमारी को स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (एसटीएसएस) कहते हैं और जापान में इसके मामले इस साल 2 जून तक 977 तक पहुँच गए हैं, जबकि पिछले पूरे साल में 941 मामले आये थे।

मामूली संक्रमण बन जाता है जानलेवा

- ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (जीएएस) आमतौर पर बच्चों में सूजन और गले में खराश का कारण बनता है, जिसे "स्ट्रेप थ्रोट" के रूप में जाना जाता है।

- कुछ स्ट्रेन तेजी से गंभीर लक्षण पैदा कर सकते हैं जैसे कि बदन दर्द और सूजन, बुखार, लो बीपी, नेक्रोसिस, सांस लेने में समस्या, ऑर्गन फेलियर और मृत्यु।

- 50 से अधिक उम्र के लोगों को इसका खतरा अधिक होता है।

- टोक्यो महिला चिकित्सा विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों के प्रोफेसर केन किकुची के अनुसार, अधिकांश मौतें 48 घंटों के भीतर होती हैं। सूजन कुछ ही घंटों में पैर से घुटने तक फैल सकती है, और 48 घंटों के भीतर मृत्यु हो सकती है।

- मौजूदा दर पर जापान में इस साल 2,500 मामले देखने को मिल सकते हैं, जिसमें 30 फीसदी की भयानक मृत्यु दर हो सकती है।

कई और देशों में मामले

अन्य देशों में भी हाल ही इस बैक्टीरिया का प्रकोप देखा गया है। 2022 के अंत में कम से कम पाँच यूरोपीय देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इनवेसिव ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस के मामलों में वृद्धि की सूचना दी थी। इसमें स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम भी शामिल है। इसके मामलों में वृद्धि कोरोना प्रतिबंधों के समाप्त होने के बाद हुई।

कैसे बचें

- सावधानी और स्वच्छता बरत करके ही इस भयंकर संक्रमण से बचा जा सकता है।

- डॉक्टरों ने हाथ की स्वच्छता और खुले घावों के इलाज के महत्व पर जोर दिया है।

- शौच के बाद बहुत अच्छी तरह से हाथ साफ करना जरूरी है क्योंकि मल के माध्यम से हाथों को बैक्टेरिया दूषित कर सकता है।

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