कोरोना का डबल म्यूटेंट कर रहा दोगुना प्रहार, इम्यूनिटी हो सकती है बेकार

वायरस का डबल म्यूटेशन एंटीबॉडीज के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को खत्म कर सकता है।

Update: 2021-04-04 07:31 GMT

नीलमणि लाल

लखनऊ। देश के कई राज्यों में कोरोना की तेज लहर के लिए इस वायरस का 'डबल म्यूटेंट' जिम्मेदार हो सकता है। माना जा रहा है कि वायरस का यह रूप पहले वाले से कहीं ज्यादा खतरनाक है क्योंकि ये बेहद संक्रामक है और पहले से बीमार और अशक्त लोगों को मुसीबत में डाल सकता है। अभी डबल म्यूटेंट की पड़ताल की जा रही है।

भारत में कोरोना का 'डबल म्यूटेंट' 

बड़ा खतरा ये है कि वायरस का डबल म्यूटेशन एंटीबॉडीज के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर, शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को खत्म कर सकता है। इसकी वजह से कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में भी दोबारा संक्रमण की आशंका बनी रहती है। कुछ मामलों में ये वेरिएंट्स वैक्सीन्स को भी निष्प्रभावी करने की क्षमता रखते हैं।

डबल म्यूटेशन यानी दोहरा उत्परिवर्तन तब होता है जब एक वायरस की दो म्यूटेटेड वेरिएंट्स साथ मिलकर एक तीसरा वेरिएंट बनाती हैं। भारत में जो डबल म्यूटेंट दिख रहा है वह ई484क्यू और एल452आर से मिलकर बना है। ये महाराष्ट्र से लिये नमूनों में पाया गया है।

18 राज्यों में कोरोना वायरस के कई और वेरिएंट्स

भारत के कम से कम 18 राज्यों में कोरोना वायरस के कई और वेरिएंट्स का भी पता चला है। डबल म्यूटेंट वेरिएंट के ताजा नमूनों की जीनोमिक सीक्वेंसिंग 10 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के ग्रुप द्वारा जा रही है।
भारत में अब तक इस वेरिएंट के 771 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें सबसे पहले 736 मामले यूके वेरिएंट का पता चले और 34 मामलों में एक वेरियंट दक्षिण अफ्रीका और एक ब्राजील का है।

8 से 10 म्यूटेशन कई देशों में दिखे
विभिन्न प्रकार के वायरस के जीनोमिक वेरिएंट में बदलाव होना आम बात है। विशेषज्ञों का कहना है कि वेरिएंट का एक साथ म्यूटेशन हो सकता है और आपस में मिल सकते हैं। ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका वेरिएंट में 8 से 10 म्यूटेशन देखे जा चुके हैं। किसी भी वायरस में निरंतर बदलाव होता रहता है और ये प्राकृतिक प्रक्रिया है। वायरस अपने अंदरुनी ढांचे को बदलते रहता रहता है। जब म्यूटेशन का इंसानी शरीर पर प्रभाव होता है, तब ये वेरिएन्ट कहलाता है। कोरोना वायरस का ये नया वेरिएन्ट भी ब्रिटेन, सिंगापुर, डेनमार्क, जापान और ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के 16 अन्य देशों में भी पाया गया है।


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